Ekadashi Vrat Katha: कामदा एकादशी का व्रत आज 8 अप्रैल दिन मंगलवार को है. आज कामदा एकादशी के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं. रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं. इस एकादशी का व्रत रखकर विष्णु पूजा करने से भक्तों के पाप मिटते हैं और मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं. इस दिन पूजा के समय कामदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ते हैं, इससे व्रत पूरा होता है और इसका महत्व भी पता चलता है. कामदा एकादशी वाले दिन भद्रा भी लग रही है, जिसकी वजह से आप उस समय में कोई शुभ कार्य नहीं कर पाएंगे. हालांकि पूजा पाठ पर कोई रोक नहीं होगी. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कामदा एकादशी व्रत कथा, मुहूर्त और पारण समय के बारे में.
कामदा एकादशी व्रत कथा
एक समय की बात है. युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि चैत्र शुक्ल एकादशी का व्रत कैसा है? भगवन! इसके महत्व और व्रत विधि के बारे में विस्तार से बताएं. उनके इस आग्रह पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि चैत्र शुक्ल एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जानते हैं, जो लोगों को पापों से मुक्ति प्रदान करती है. इसकी कथा कुछ इस तरह से है-
भोगीपुर राज्य पर राजा पुंडरीक का शासन था. उसका राज्य धन और सभी प्रकार के ऐश्वर्य से भरा हुआ था. उसके राज्य में ललित और ललिता नाम के युवक और युवती रहते थे. दोनों को एक दूसरे से बेहद प्रेम था. ललित एक गायक था. एक बार वह राजा पुंडरिक की सभा में गायन कर रहा था, तभी उसने ललिता को देखा. उसका ध्यान भटक गया और उसका सुर-ताल बिगड़ गया.
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जब राजा पुंडरीक को इस बारे में पता चली, तो उसने ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया. उस श्राप के प्रभाव से ललित का शरीर 8 योजन में फैल गया. वह जंगल में रहता था. उसका जीवन काफी कष्टपूर्ण था. इस बात से उसकी पत्नी ललिता दुखी रहने लगी. वह जब अपने पति को देखती तो उसके पीछे-पीछे दौड़ती. एक दिन ललिता घूमते-घूमते विंध्याचल पर्वत पर पहुंच गई. वहां पर श्रृंगी ऋषि का आश्रम था.
वह आश्रम के अंदर गई और श्रृंगी ऋषि को प्रणाम किया. मुनिवर से आशीर्वाद दिया और उनके पास आने का कारण पूछा. इस पर ललिता रोने लगी, फिर उसने अपने मन की पीड़ा बताई. तब श्रृंगी ऋषि ने उससे कहा कि कामदा एकादशी का व्रत चैत्र शुक्ला एकादशी को है. इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करो. व्रत का पारण करने के बाद इस व्रत के पुण्य को अपने पति को दान कर दो. इस पुण्य के प्रभाव से तुम्हारा पति राक्षस योनि से मुक्ति पा जाएगा.
उपाय जानकर ललिता काफी खुश हुई और श्रृंगी ऋषि के आश्रम से वापस लौट आई. कामदा एकादशी के दिन उसने श्रृंगी ऋषि के बताए अनुसार विधि विधान से व्रत रखा और विष्णु पूजा की. व्रत पारण के बाद उसने भगवान विष्णु को साक्षी मानकर अपने पुण्य पति ललित को दान कर दिए. विष्णु कृपा से वह राक्षस योनि से मुक्त हो गया. वह ललिता को पाकर खुश हो गया. फिर दोनों खुशी पूर्वक रहने लगे. कुछ समय बाद वे स्वर्ग लोक चले गए.
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कामदा एकादशी 2025 मुहूर्त और शुभ योग
चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि का शुभारंभ: 7 अप्रैल, सोमवार, रात 8 बजे से
चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि का समापन: 8 अप्रैल, मंगलवार, रात 10:55 बजे पर
कामदा एकादशी पूजा मुहूर्त: सुबह 06:03 बजे से सुबह 7:55 बजे तक
ब्रह्म मुहूर्त: 04:32 ए एम से 05:18 ए एम तक
अभिजीत मुहूर्त: 11:58 ए एम से 12:48 पी एम तक
रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 6:03 बजे से सुबह 7:55 बजे तक
भद्रा का समय: सुबह 8:32 बजे से रात 9:12 बजे तक
कामदा एकादशी व्रत का पारण समय: 9 अप्रैल, बुधवार, सुबह 6:02 बजे से सुबह 8:34 बजे के बीच
द्वादशी तिथि का समापन: 9 अप्रैल, रात 10:55 बजे