ग्रामीण क्षेत्रों में दूषित जल से होनेवालीं बीमारियां रोकने और जांच प्रक्रिया को तेज करने की दिशा में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) ने बड़ा कदम उठाया है। विभाग अब पानी की जांच रिपोर्ट 48 घंटे के बजाय मात्र 20 घंटे में उपलब्ध कराएगा। इसके लि
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यह एक उन्नत तकनीक, िजसमें जांच करने में लगता कम समय
यह एक उन्नत तकनीक है जिसमें पानी को एक पतली झिल्ली (मेम्ब्रेन) से गुजारा जाता है। यह झिल्ली पानी में मौजूद सूक्ष्मजीवों जैसे बैक्टीरिया और फंगस को फिल्टर कर अलग कर देती है। इससे पानी की शुद्धता का पता लगाने में अधिक सटीकता और तेजी आती है। इस तकनीक से सबसे अधिक लाभ बाढ़ प्रभावित मुजफ्फरपुर, भागलपुर, मुंगेर, खगड़िया, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज आदि जिलों को होगा। इन जिलों में हर साल बाढ़ और जलभराव की समस्या रहती है। इन क्षेत्रों में बारिश और बाढ़ के दौरान पेयजल स्रोत अक्सर दूषित हो जाते हैं। इससे हैजा, डायरिया, टायफायड जैसी बीमारियां फैलती हैं। तेजी से जांच रिपोर्ट मिलने से ऐसे इलाकों में समय रहते दूषित जल के स्रोत की पहचान कर उसे बंद किया जा सकेगा और वैकल्पिक शुद्ध जल की व्यवस्था की जाएगी। विभाग का यह कदम ग्रामीण स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए अहम माना जा रहा है।