4 अप्रैल, 2025 पहलगाम की बायसरन घाटी में आतंकी हमले से 17 दिन पहले, कुछ लोग पहलगाम के उन होटलों की रेकी कर रहे थे, जहां ज्यादा टूरिस्ट ठहरते हैं। ये लोग आतंकी थे। रेकी का मकसद था कश्मीर घूमने आए लोगों का कत्लेआम। होटल्स से बात नहीं बनी, तो 15 अप्रैल
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फिल्मों की शूटिंग से मशहूर हुई बेताब घाटी, अरू घाटी और फेमस एम्यूजमेंट पार्क की रेकी के बाद बायसरन घाटी को हमले के लिए चुना गया। वजह- पहलगाम आने वाले टूरिस्ट यहां जरूर आते हैं, यहां सिक्योरिटी नहीं होती है और आने-जाने का रास्ता ऐसा नहीं है कि हमले के बाद आर्मी तेजी से पहुंच सके। आतंकियों ने जैसा सोचा था, वही हुआ। वे आए, 15 मिनट तक गोलियां बरसाते रहे, 26 टूरिस्ट की हत्या की और जंगलों में गायब हो गए।
पहलगाम अटैक की जांच आगे बढ़ने के साथ ये बातें सामने आई हैं। हमले की जांच नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी NIA कर रही है। NIA चीफ सदानंद दाते 1 मई को पहलगाम पहुंचे। वे बायसरन घाटी भी गए और तीन घंटे रुके।
जांच में पता चला है कि आतंकी बायसरन घाटी से पहले ऐसी जगह तलाश रहे थे, जहां ज्यादा से ज्यादा टूरिस्ट को मार सकें। सोर्स बताते हैं कि टारगेट चुनने से लेकर हमले की कमान तक सबके पीछे पाकिस्तानी सेना के कमांडो से आतंकी बने हाशिम मूसा का दिमाग था।
बायसरन घाटी पहलगाम के सबसे मशहूर टूरिस्ट स्पॉट में शामिल है। इसका रास्ता पहाड़ों से होकर जाता है। यही वजह है कि यहां मदद के लिए आर्मी के जल्दी पहुंचने की उम्मीद नहीं थी।
20 दिन पहले पहलगाम आ गए थे आतंकी सोर्स बताते हैं, ‘आतंकी बायसरन घाटी में अटैक से करीब 20 दिन पहले पहलगाम आ गए थे। लोकल सपोर्ट और ओवरग्राउंड वर्कर्स की मदद से उन्होंने टारगेट चुनने के लिए रेकी शुरू की। उनकी नजर पहलगाम के सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाली जगहों जैसे होटल, पार्क और टूरिस्ट स्पॉट पर थी।
सबसे पहले 4 अप्रैल को होटलों की रेकी की गई। 10 दिन तक होटलों की रेकी का काम चला। 15 अप्रैल से पहलगाम के आसपास के पार्क और घाटी की रेकी शुरू की गई।
हमले के लिए आखिर बायसरन घाटी को ही क्यों चुना गया सोर्स के मुताबिक, होटलों और 4-5 भीड़भाड़ वाले टूरिस्ट स्पॉट की रेकी के बाद आतंकियों ने बायसरन घाटी को चुना। इसकी वजह की पड़ताल हमने पहलगाम के मशहूर सेल्फी पॉइंट से की। यहां से उन सभी जगहों पर गए, जहां रेकी की बात सामने आई है।
पहलगाम में एंट्री करते ही सबसे पहले सेल्फी पॉइंट आता है। पहलगाम अटैक के तीसरे दिन ही यहां टूरिस्ट आने लगे हैं। यहां से एक किमी आगे-पीछे दोनों तरफ आर्मी और पुलिस तैनात रहती है। यहां से आसानी से घेराबंदी हो सकती है। इसलिए ये जगह आतंकियों के न निशाने पर रही और न उन्होंने यहां रेकी की।
उन्होंने रेकी के लिए 6 स्पॉट चुने…
1. होटल: जहां सबसे ज्यादा टूरिस्ट रुकते हों
2. पार्क: एम्यूजमेंट पार्क और लेवेंडर पार्क
3. घाटी: अरु घाटी, बेताब घाटी और बायसरन घाटी

एम्यूजमेंट पार्क सेल्फी पॉइंट से करीब 2 किमी दूर एम्यूजमेंट पार्क है। यहां टूरिस्ट, खासकर बच्चे पिकनिक मनाने आते हैं। पार्क में एंट्री के लिए टिकट लेना पड़ता है। आने–जाने के लिए एक ही गेट है। पार्क के आखिर में पहाड़ी रास्ता है। ये पार्क हमेशा टूरिस्ट से भरा रहता है।
ये पार्क मेन रोड पर है। यहां से तीन रास्तों के जरिए आर्मी और पुलिस पहुंच सकती है। दूसरी बड़ी बात यहां से सिर्फ 500 मीटर दूर पहलगाम पुलिस स्टेशन है। एम्यूजमेंट पार्क से सामने पुलिस स्टेशन दिखाई देता है।
एम्यूजमेंट पार्क के दूसरी तरफ लेवेंडर पार्क है। दोनों पार्क में टूरिस्ट तो काफी आते हैं, लेकिन हमले के बाद पुलिस और आर्मी को पहुंचने में ज्यादा से ज्यादा 4-5 मिनट ही लगते। शायद यही वजह रही कि आतंकियों ने इन दोनों पार्कों को टारगेट नहीं किया।

अरु घाटी एम्यूजमेंट पार्क से अरू घाटी करीब 12 किमी दूर है। हम घाटी की तरफ बढ़े। करीब 3-4 किमी आगे जाने के बाद आर्मी के जवानों ने हमें रोक लिया। उन्होंने बताया कि टूरिस्ट स्पॉट बंद कर दिए गए हैं। मीडिया को भी जाने की इजाजत नहीं है।
अरू घाटी भी बिल्कुल बायसरन घाटी की तरह पहाड़ों के बीच मैदान वाला एरिया है। यहां मोबाइल नेटवर्क नहीं आता, यानी ये जगह आतंकियों के लिए बिल्कुल मनमाफिक थी। यहां आसपास हमेशा आर्मी के जवान तैनात रहते हैं। इसके अलावा ये घाटी सीधे रोड से कनेक्ट है। अगर यहां अटैक होता, तो 4-5 मिनट में फोर्स पहुंच सकती थी। माना जा रहा है कि इसी वजह से आतंकियों ने अरु घाटी को हमले के लिए नहीं चुना।

बेताब घाटी बेताब घाटी पहलगाम पुलिस स्टेशन से करीब 7 किमी दूर है। यहां कई सुपरहिट फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है, इसलिए ये काफी फेमस है। इस घाटी का रास्ता गांवों के बीच से जाता है। बेताब घाटी के लिए पहले पहाड़ तक गाड़ी से जाना पड़ता है। आगे दो पहाड़ों के बीच मैदानी इलाका है। वहीं ये घाटी है। यहां तक सीधी सड़क है, इसलिए आसपास आर्मी और पुलिस की सीधी पहुंच है। इसलिए बेताब घाटी भी हमले से बची रह गई।

बायसरन घाटी आधे घंटे से पहले आर्मी नहीं पहुंच सकती, CCTV कैमरा नहीं, इसलिए टारगेट आतंकियों को सबसे मुफीद जगह बायसरन घाटी लगी। यहां वे ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान ले सकते थे और ये आर्मी-पुलिस की पहुंच से भी दूर है। बायसरन घाटी तक जाने के लिए तीन रास्ते हैं। ये रास्ते पहलगाम टाउन, CRPF कैंप और पहलगाम पुलिस स्टेशन से जाते हैं। तीनों रास्ते करीब 4 किमी ऊपर जाकर एक जगह मिल जाते हैं।
ये पूरा रास्ता कच्चा है। यहां गाड़ियां नहीं जातीं। आगे या तो घोड़े से या फिर पैदल ही बायसरन घाटी जा सकते हैं। पहाड़ पर 6-7 किमी जाने में आर्मी या पुलिस को कम से कम आधे घंटे लग ही जाते हैं। बायसरन घाटी में CCTV कैमरे भी नहीं लगे हैं। जांच एजेंसियों को शक है कि इन्हीं वजहों से टारगेट के तौर पर बायसरन घाटी को चुना गया।

पहलगाम में रेकी करने में आतंकियों को लोकल सपोर्ट मिला है। इसलिए NIA की टीम पहलगाम पुलिस के साथ मिलकर सभी चश्मदीदों के बयान ले रही है।
पहलगाम समेत भीड़भाड़ वाले टूरिस्ट स्पॉट पर लग रहे CCTV कैमरे पहलगाम हमले के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने 87 में से 48 टूरिस्ट स्पॉट बंद कर दिए हैं। ये फैसला सुरक्षा एजेंसियों की सिफारिश पर किया गया है। सोर्स बताते हैं कि ये स्पॉट आतंकी हमले के लिहाज से काफी सेंसिटिव हैं। कई स्पॉट के आसपास CCTV कैमरे नहीं हैं, जैसे बायसरन घाटी और उसके रूट में कहीं CCTV कैमरा नहीं था। अब इन जगहों पर CCTV कैमरे लगाए जा रहे हैं।

पहलगाम शहर और आसपास के टूरिस्ट स्पॉट अब CCTV कैमरे की जद में हैं।
आतंकी और ओवर ग्राउंड वर्कर्स का नेटवर्क खत्म करने की तैयारी NIA चीफ सदाकांत दाते 1 मई को सुबह करीब 11 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे तक बायसरन घाटी में रहे। इस दौरान 3D मैपिंग के जरिए देखा गया कि आतंकी किस-किस लोकेशन पर रहे। कहां से घाटी में एंट्री ली, कहां से बाहर निकले। इससे ये पता लगाया जा रहा है कि हमले के बाद आतंकी किस रास्ते से और कितनी दूरी तय कर सकते हैं। इससे उनकी सही लोकेशन का पता लगाया जा रहा है।
शुरुआती जांच में बायसरन घाटी में अल्ट्रासेट के सिग्नल भी मिले हैं। ये सैटेलाइट फोन होता है और आतंकी इसके जरिए एक-दूसरे से कॉन्टैक्ट करते हैं। इस बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है।

बायसरन घाटी में 3 घंटे रुकने के बाद NIA चीफ पहलगाम में CRPF कैंप गए। यहां करीब एक घंटे तक NIA की टीम और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मीटिंग की। ये भी जानकारी मिली है कि NIA चीफ पिछले कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर के DGP, IB और सेना के अफसरों के साथ लगातार मीटिंग कर रहे हैं।
मीटिंग में तय हुआ है कि जल्द आतंकियों की लोकेशन ट्रेस की जाए। अब तक पहलगाम के 20-40 किमी के दायरे में ही उनकी लोकेशन मिली है। साथ ही आतंकियों की मदद करने वाले ओवर ग्राउंड वर्कर्स के नेटवर्क का भी पता लगाकर इसे खत्म करने की तैयारी है।
बिहार के मजदूर की हत्या में TRF का हाथ, दूसरा निशाना टनल के मजदूर बने, फिर बायसरन आर्मी और जांच एजेंसियों से जुड़े सोर्स ने दैनिक भास्कर को बताया कि लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी संगठन TRF ने 2024 से कश्मीर में गैर कश्मीरियों को टारगेट करना शुरू कर दिया था।
पहला टारगेट बिल्कुल नए आतंकी को दिया गया। ये टारगेट पाकिस्तानी आतंकी और पहलगाम अटैक में वॉन्टेड हाशिम मूसा ने दिया था। ये काम शोपियां के जैनपोरा के रहने वाले 18 साल के अदनान शफी डार को दिया गया। अदनान ने आतंकी संगठन जॉइन ही किया था।
पहलगाम हमले के बाद जारी 14 आतंकियों की लिस्ट में भी उसका नाम है। लिस्ट में अदनान का नाम 11वें नंबर पर है। उसे C कैटेगरी में रखा गया है। यानी वो बिल्कुल नया आतंकी है।
सोर्स बताते हैं, ‘अदनान ने ही अक्टूबर, 2024 में बिहार के मजदूर अशोक चौहान की हत्या की थी। अशोक बांका जिले के काठिया गांव के रहने वाले थे। 18 अक्टूबर की सुबह करीब 7 से 8 बजे अशोक के पास फोन किया गया। उन्हें मक्के के खेत में मजदूरी के लिए बुलाया गया। ये फोन अदनान शफी ने कराया था। फिर ये नंबर बंद हो गया।
अशोक मक्के की कटाई के लिए खेत पर पहुंचे, तभी उन्हें गोली मार दी गई। सुबह करीब 9 बजे उनकी लाश मिली थी। जांच के दौरान एजेंसियों को अदनान के बारे में पता चला। इसके बाद 18 नवंबर 2024 को उसका नाम कश्मीर में एक्टिव आतंकियों की लिस्ट में शामिल किया गया।

अशोक की हत्या के दो दिन बाद ही 20 अक्टूबर, 2024 को सोनमर्ग में जेड-मोड़ टनल में गैर कश्मीरी मजदूरों पर हमला किया गया था। इस हमले में 7 लोगों की मौत हुई थी। इनमें एक कश्मीरी भी था। इसके बाद बारामूला में किए गए अटैक में दो सैनिकों की मौत हुई थी।
इन हमलों के बाद CCTV फुटेज से आर्मी को एक संदिग्ध के बारे में पता चला। दिसंबर 2024 में दाचीगाम के जंगलों में सेना ने एक लोकल आतंकी जुनैद अहमद भट्ट को एनकाउंटर में मार गिराया।। उसके पास मिले फोन से आतंकी हाशिम मूसा की फोटो मिली। उसी फोटो से पहली बार हाशिम मूसा के कश्मीर में एक्टिव होने की जानकारी मिली।
सूत्रों से पता चला है कि हाशिम मूसा गैर-कश्मीरियों की टारगेट किलिंग का मास्टरमाइंड है। हालांकि ये दोनों अटैक ज्यादा चर्चा में नहीं आए। इसलिए उसने बड़े अटैक की तैयारी की। इसके लिए ओवर ग्राउंड नेटवर्क को मजबूत किया और पहलगाम में बड़े हमले की साजिश रची।

कश्मीरी आतंकी आदिल 20-22 घंटे पैदल चलकर बायसरन घाटी पहुंचा सोर्स के मुताबिक पहलगाम हमले में शामिल आदिल ठोकर कोकरनाग के जंगल से बायसरन घाटी तक 20 से 22 घंटे पैदल चलकर पहुंचा था। एक ओवर ग्राउंड वर्कस से पूछताछ से पता चला है कि आतंकी अटैक से 2 दिन पहले यहां आ गए थे।
हमले में शामिल तीनों आतंकी हापतनार, कुलगाम, त्राल और कोकरनाग में एक्टिव रहे हैं। लोकल आतंकियों से उन्हें लॉजिकल सपोर्ट मिला। जांच एजेंसियों ने हमले में शामिल तीन आतंकियों के स्केच जारी किए हैं। हालांकि इसमें चौथा आतंकी भी शामिल था जो कवर दे रहा था। दो आतंकी घाटी के एंट्री गेट के पास मौजूद थे। एक जंगलों से फायरिंग कर रहा था ताकि लोग गेट की तरफ पहुंच जाए।

अमेरिकी राइफल से फायरिंग, पार्क की दीवार कूदकर भागे आतंकी हमले में सबसे ज्यादा मौतें फूड स्टॉल के आसपास हुई हैं। यह भी पता चला है कि हमले के बाद सभी आतंकी घाटी के बायीं तरफ वाले पार्क की दीवार कूदकर भागे हैं। सुरक्षाबलों को घाटी के आसपास के जंगलों में कुछ और लोकल आतंकियों के होने की जानकारी मिल रही है। माना जा रहा है कि अगर आर्मी जवाबी कार्रवाई करती, तो ये आतंकी एक्टिव हो जाते।
आतंकियों ने अमेरिका में बनी M4 कार्बाइन राइफल और AK-47 राइफल का इस्तेमाल किया। मौके से 50 से 70 कारतूस मिले हैं। आतंकियों ने अटैक को कैमरे से रिकॉर्ड किया। हमास के आतंकियों ने 7 अक्टूबर, 2023 को इजराइल में किए अटैक को शूट किया था। इस हमले में भी GoPro कैमरे की जानकारी मिल रही है, जिसकी जांच चल रही है।
हमले में 20 से ज्यादा ओवर ग्राउंड वर्कर्स को संदिग्ध माना गया है। उन्होंने विदेशी आतंकियों की मदद की। चार ओवर ग्राउंड वर्कर की खास भूमिका रही। उन्होंने रेकी से लेकर लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया।
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