Thursday, June 26, 2025
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3 बार गिरा अगुवानी ब्रिज, अब स्टील–कंक्रीट से बन रहा: दो शिफ्ट में चल रहा काम, 18 महीने का टारगेट; उत्तर–दक्षिण बिहार को जोड़ेगा – Bihar News


उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ने वाला सुल्तानगंज-अगुवानी घाट फोर लेन पुल का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। यह जनवरी 2027 तक तैयार हो जाएगा।

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गंगा नदी पर बन रहे इस 3.16 किलोमीटर लंबे ब्रिज के चालू होने से दक्षिण बिहार से उत्तर बिहार आने-जाने में करीब 60 किमी की दूरी कम हो जाएगी।

3 बार धराशाई हो चुके पुल के हिस्से का नए सिरे से निर्माण शुरू हो गया है। इस बार पुल के सुपर स्ट्रक्चर में बदलाव किया गया है। नई डिजाइन IIT रुड़की ने तैयार की है।

अब इसे कंपोजिट स्टील बीम कंक्रीट डेन केबल स्टे तकनीक पर बनाया जा रहा है। यह पुल मोकामा गंगा ब्रिज और दीदारगंज विदुपुर सिक्स लेन की तर्ज पर बनेगा। पुल के काम का थर्ड पार्टी ऑडिट होगा।

पुल के टूटे हिस्से के साथ बाकी अधूरे काम और एप्रोच रोड का निर्माण भी साथ में शुरू किया गया है। प्रबंध निदेशक हर 15 दिन पर काम का इंस्पेक्शन करेंगे। इंजीनियर प्रमुख, कार्य प्रबंधन और पथ निर्माण विभाग भी हर महीने निरीक्षण करेंगे।

स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए, अगुवानी पुल में क्या होगा खास, कब तक बनकर तैयार होगा?

नई डिजाइन क्या है?:

यह पुल कंपोजिट स्टील बीम कंक्रीट डेन केबल स्टे डिजाइन पर बनेगा। पहले इसे एक्स्ट्रा-डोज केबल ब्रिज तकनीक पर बनाया जा रहा था।

3 बार पुल का हिस्सा गिरने के बाद IIT रुड़की ने एक्स्ट्रा डोज केबल को हटाकर कंपोजिट स्टील तकनीक से ब्रिज बनाने का सुझाव दिया है।

कंपोजिट स्टील बीम, कंक्रीट डेक और केबल-स्टे ब्रिज क्या हैः यह एक ऐसा पुल है, जिसमें स्टील बीम, कंक्रीट डेक और केबल-स्टे सिस्टम का एक साथ उपयोग किया जाएगा। यह पुल का मॉर्डन डिजाइन है, जो स्टील और कंक्रीट दोनों की ताकत को बढ़ा देता है। साथ ही केबल-स्टे सिस्टम से अतिरिक्त फायदा मिलता है।

एक्स्ट्रा-डोज केबल ब्रिज क्या हैः एक ऐसा पुल, जिसमें केबल डेक को सीधे टावर से नहीं जोड़ते हैं बल्कि डेक के नीचे केबल को एक पॉइंट से दूसरे पॉइंट तक ले जाते हैं। डेक के ऊपर कम टावर की ऊंचाई होती है।

IIT रुड़की की रिपोर्ट में क्या थाः IIT रुड़की ने पुल के स्ट्रक्चर और डिजाइन की जांच की। जून 2023 में बिहार सरकार को रिपोर्ट सौंपी। इसमें कहा गया कि एक्स्ट्रा-डोज केबल ब्रिज तकनीक पर काम चल रहा था। इसके फाउंडेशन और स्ट्रक्चर में गलती की गई है।

पथ निर्माण से मिली जानकारी के मुताबिक, पुल की डिजाइन सही नहीं रही है। IIT रुड़की ने अपनी रिपोर्ट में ब्रिज के कोड पर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया था कि तय मापदंड पर कोड नहीं स्थापित हुए।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ब्रिज का लोड भी एक बड़ी समस्या रही। मापदंड के हिसाब से पुल का लोड अधिक था। पुल के डिजाइन फेल्योर में फोर्स का रोल अहम था।

हाईकोर्ट के आदेश पर 6 जून को ब्रिज का काम शुरू हुआ। इसे 18 महीने के अंदर पूरा करना है।

दो शिफ्ट में चल रहा काम

IIT रुड़की की नई डिजाइन को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद 6 जून से ब्रिज बनाने का काम शुरू हो गया है। ब्रिज को 4 अलग-अलग यूनिट में बांटकर दो शिफ्ट में काम चल रहा है। 270 से अधिक मजदूर रोज काम कर रहे हैं। हालांकि, गंगा में जलस्तर बढ़ने के कारण काम में रुकावट आ रही हैं और कार्य की गति कुछ धीमी हो गई है।

गुणवत्ता की मॉनिटरिंग के लिए कमेटी बनी

पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह ने बताया, ‘पुल की गुणवत्ता की जांच के लिए एक सुदृढ़ परियोजना क्रियान्वयन इकाई (PIU) बनाई गई है। इसमें अनुभवी इंजीनियर, IIT या अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों के समूह की एक स्वतंत्र तकनीकी टीम भी शामिल होगी।’

सिंह ने बताया, ‘पहले चरण में पहुंच पथ का निर्माण कार्य कराया जाएगा, ताकि आने-जाने में दिक्कत ना हो। परिवर्तित सुपर स्ट्रक्चर के अनुरूप IIT रुड़की के तकनीकी परामर्श के अनुसार नींव में आवश्यक सुधार कराया जा रहा है।’

पुल कब-कब गिरा?

भागलपुर के सुल्तानगंज-अगवानी गंगा पुल, जो एक निर्माणाधीन चार-लेन पुल है, तीन बार ढह चुका है।

पहला हादसाः 30 अप्रैल 2022 को तेज आंधी और बारिश के कारण पिलर नंबर 4, 5 और 6 को जोड़ने वाला सुपर स्ट्रक्चर का हिस्सा (लगभग 100 फीट) गिर गया।

दूसरा हादसाः 4 जून 2023 को पिलर नंबर 10, 11, 12 और 13 के बीच का सुपर स्ट्रक्चर और सब स्ट्रक्चर (लगभग 200 मीटर) ढह गया।

तीसरा हादसाः 17 अगस्त 2024 को पिलर नंबर 9 और 10 के बीच का सुपर स्ट्रक्चर गंगा नदी में समा गया। बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के मुताबिक, यह पुराना क्षतिग्रस्त हिस्सा था जिसे हटाया जा रहा था, लेकिन तेज जल प्रवाह के कारण यह गिर गया।

पुल की लंबाई कितनी होगी

ब्रिज की कुल लंबाई वैसे तो 3 किलोमीटर से अधिक है, लेकिन जब एप्रोच पथ को जोड़ेंगे तो यह बढ़कर 25 किलोमीटर हो जाएगी। इसमें पसराहा और तिलकपुर के समीप रेलवे ओवरब्रिज बना है।

रेलवे ओवरब्रिज की डिजाइन की जांच रेलवे के एसईआरसी (स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग रिसर्च सेंटर) ने की है। अगुवानी की ओर से इसका एप्रोच पथ NH-31 में सोनडीहा (पसराहा) के पास, जबकि भागलपुर की ओर तिलकपुर होते हुए यह पहुंच पथ मुंगेर मिर्जा चौकी फोरलेन से जुड़ेगा।

पुल से कौन-कौन से इलाके जुड़ेंगे?

यह पुल उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ेगा, विशेष रूप से भागलपुर के सुल्तानगंज और खगड़िया के अगुवानी को सीधे जोड़ेगा।

राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) 31 और NH- 80 को जोड़ेगा, जिससे बरौनी, खगड़िया, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, मोकामा, लखीसराय, और मिर्जा चौकी जैसे क्षेत्रों की कनेक्टिविटी सुधरेगी। इससे उत्तर बिहार सीधे झारखंड (मिर्जा चौकी के रास्ते) से जुड़ेगा।

3 बार अगुवानी ब्रिज का हिस्सा गिर चुका है। इसके बाद काम को रोक दिया गया था। तस्वीर 2023 की है।

3 बार अगुवानी ब्रिज का हिस्सा गिर चुका है। इसके बाद काम को रोक दिया गया था। तस्वीर 2023 की है।

अगुवानी पुल बनने से क्या होंगे फायदे

खगड़िया जिले से भागलपुर की दूरी 90 किलोमीटर से घटकर 30 किमी रह जाएगी। पुल बनने से उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच बेहतर कनेक्टिविटी होगी, जिससे छोट से बड़े कारोबारियों के व्यापार में बढ़ोतरी होगी।

कासिमाबाद दियारा के रहने वाले दिनेश दास ने बताया, ‘पुल बनने से व्यापार में बढ़ोतरी होगी। क्षेत्र के लगभग 15,000 परिवारों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। आने-जाने में अब जैसी कठिनाइयां नहीं रहेंगी। अभी हमें नाव का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन पुल बनने के बाद हम सीधे बाइक या अन्य वाहनों से आ-जा सकेंगे। फिलहाल यात्रा करना बहुत ही मुश्किल होता है।’

दुधेला गांव के निवासी योगेश ने बताया, ‘पुल बनने से सड़क मार्ग आसान हो जाएगा। अभी नाव से आने-जाने में 35 रुपए खर्च होते हैं, लेकिन सड़क बनने के बाद यह खर्च नहीं लगेगा। बाजार आने-जाने में भी सुविधा होगी।’

नाथनगर के हरिदासपुर के आलोक ने बताया, ‘अभी नाव ही एकमात्र विकल्प है। कई बार स्थिति ऐसी हो जाती है कि हम नाव पर चढ़ भी नहीं पाते। नाव का इंतजार करना पड़ता है और साथ ही नदी में डूबने या अन्य दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है।’

हाईकोर्ट ने कंपनी को काम करने का दिया आदेश

बार-बार पुल के गिरने की घटना का मामला पटना हाईकोर्ट पहुंचा था। काम में लापरवाही पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने काम करने वाली सिंगला कंस्ट्रक्शन कंपनी को आदेश दिया कि उसी पैसे में नए सिरे से काम शुरू करें और पुल बनाए। कोर्ट के आदेश पर फिर नए सिरे से काम शुरू हुआ है।

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