7 मिनट पहले
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पश्चिम बंगाल में 32 हजार प्राइमरी टीचर्स को नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट आज सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति पार्थसारथी चटर्जी की बेंच ये मामला सुनेगी।

शिक्षकों को नौकरी से हटाए जाने के खिलाफ लंबे समय से पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन जारी हैं।
क्या है पूरा मामला?
मई 2023 में, कलकत्ता हाई कोर्ट के तत्कालीन जज अभिजीत गांगुली ने भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं को देखते हुए 32,000 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दिया था। ये आदेश उन याचिकाओं के आधार पर लिया गया था जिनमें अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया था कि कम नंबर पाने वाले कई उम्मीदवारों को भी नियुक्ति मिल गई थी।
राज्य सरकार ने इस आदेश को चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच में अपील की थी। हालांकि, अप्रैल 2025 में सुनवाई से पहले न्यायमूर्ति सौमेन सेन ने व्यक्तिगत कारणों से खुद को मामले से अलग कर लिया। इसके बाद यह मामला मुख्य न्यायाधीश टी. एस. शिवगणनम को भेजा गया। अब यह मामला न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली नई डिवीजन बेंच के पास है। इस केस पर हाईकोर्ट आज सुनवाई करेगा।
WBSSC भर्ती के 25 हजार शिक्षकों की नौकरी भी खतरे में
एक अन्य मामले में पश्चिम बंगाल के ही 25 हजार TET पास शिक्षकों को कलकत्ता हाईकोर्ट ने 3 अप्रैल को नौकरी से निकालने का आदेश दिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन टीचर्स को फिलहाल दिसंबर 2025 तक नौकरी पर रहने की इजाजत दी है।

पश्चिम बंगाल में 25,000 टीचर्स की बर्खास्तगी को लेकर राज्य में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। टीचर्स बेदाग कैंडिडेट्स को इंसाफ देने की मांग कर रहे हैं।
CJI संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने कहा, ‘राज्य सरकार अगर कुछ शर्तों का पालन करे तो हम कक्षा 9वीं से 12वीं तक के लिए असिस्टेंट टीचर्स के रिक्रूटमेंट को लेकर राज्य सरकार की सिफारिश मानने को तैयार हैं। फ्रेश रिक्रूटमेंट के लिए 31 मई 2025 को या उससे पहले एडवर्टाइजमेंट जारी हो जाना चाहिए। इसके बाद 31 दिसंबर 2025 तक इसका एग्जाम और रिक्रूटमेंट प्रोसेस पूरी तरह से खत्म हो जाना चाहिए।’
पश्चिम बंगाल 25 हजार शिक्षक भर्ती की पूरी टाइमलाइन
पश्चिम बंगाल SSC यानी WBSSC ने 2016 से 2020 के बीच 25,000 टीचर्स और नॉन-टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति की थी। इनमें से करीब 18,000 कैंडिडेट्स की नियुक्ति 9वीं से 12वीं क्लासेज के लिए असिस्टेंट टीचर के रूप में हुई थी।
हालांकि 2021 में कई कैंडिडेट्स ने इस रिक्रूटमेंट प्रोसेस पर सवाल खड़े किए और कोर्ट में अपील भी की। इस दौरान सामने आया कि WBSSC ने बिना किसी ओपन टेंडर के M/s NYSA नाम की कंपनी को डिजिटल डाटाबेस मेंटेन करने और OMR शीट्स को स्कैन और इवैल्यूट करने की जिम्मेदारी सौंपी। कोलकाता हाईकोर्ट के अनुसार WBSSC इस कंपनी को लेकर कोई डॉक्यूमेंट सब्मिट नहीं कर पाया जो उसकी क्वालिफिकेशन साबित कर सके।
OMR शीट्स के अलावा इस भर्ती प्रक्रिया में मेरिट लिस्ट जारी किए बिना रिक्रूटमेंट किया गया, रैंक को लेकर गड़बड़ी की गई और वेटिंग लिस्ट वाले कैंडिडेट्स को लेकर भी गड़बड़ी हुई। CBI को इसकी जांच सौंपी गई, M/s NYSA के अधिकारियों और कमीशन से जुड़े अन्य लोगों से पूछताछ की गई और कुछ की गिरफ्तारी भी हुई।
आखिरकार 3 अप्रैल 2024 को कोलकाता हाईकोर्ट ने 25,000 टीचर्स और नॉन-टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति को रद्द करने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि दागी और बेदाग कैंडिडेट्स के बीच अंतर करना मुश्किल है। ऐसे में सभी की नियुक्ति रद्द की जाएगी। हालांकि 17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक नई नियुक्तियां होंगी, पुराने कैंडिडेट्स नौकरी जारी रख सकते हैं।
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