महासमुंद में करोड़ों की शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे के मामले में प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। बीटीआई रोड गौरवपथ स्थित वन विद्यालय के पास बनाई गई चार अवैध दुकानें जल्द ही ध्वस्त की जाएंगी। इस मामले में तीन शिक्षकों और एक पटवारी की संदिग्ध भूमिका सामने
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आरोप है कि जमीन दलाल कृष्णा कुमार साहू ने पटवारी अरविंद चंद्राकर से मिलकर फर्जीवाड़ा किया है। इसमें भूमिका चंद्राकर, भारती चंद्राकर, मोहित चंद्राकर और विकास साहू भी शामिल है।
जानकारी के मुताबिक आरोपियों ने मात्र 100 रुपए के स्टांप पेपर पर नोटरी से दस्तावेज तैयार करवाए। खसरा नंबर 102/4 की जमीन को 40 लाख रुपए में खरीद-बिक्री दिखाई गई। लेकिन वास्तविक निर्माण खसरा नंबर 102/5 पर किया गया, जो बड़े पेड़ों का जंगल है।
शासकीय जमीन को बेचने की थी योजना
जमीन दलाल कृष्णा कुमार साहू और पटवारी अरविंद चंद्राकर इन दुकानों को बनाकर व्यापारियों को बेचने के फिराक में थे। क्योंकि बरोंड़ा चौक से लेकर कलेक्टर काॅलोनी तक गौरवपथ का चौड़ीकरण होना है, और इसके कारण बहुत सी दुकानें तोड़ी जाएगी।
इसलिए दोनों मिलकर 80-80 लाख रुपए में चारों दुकान को बेचने के लिए ग्राहक तलाश कर रहे थे। इस लिए दलाल और पटवारी ने बरोंड़ा के कई व्यापारी से निरंतर संपर्क करते रहे। दलाल और पटवारी ने व्यापारियों को ई-स्टांप दिखाकर जमीन सही बताया करता था। ताकि व्यापारी इनके झांसा में आए और 40 लाख में लिए गए शासकीय भूमि से करोड़ों मुनाफा कमा सकें। और इसमें राजस्व अमला भी पूरी तरह सहयोग करता रहा।
एक्शन में जिला प्रशासन
कलेक्टर विनय कुमार ने कहा कि अवैध रूप खड़े किए गए दुकानों को तोड़ा जाएगा। पटवारी और शिक्षाकर्मियों की संदिग्ध भूमिका की जांच कराई जाएगी। शासकीय जमीन का फर्जीवाड़ा किया गया है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। राजस्व विभाग की बैठक में अधिकारियों को निर्देश देंगे कि सख्त कार्रवाई करें।