पीजीआई में 5 मई से ऑनलाइन इंडेंटिंग सिस्टम लागू होने जा रहा है।
चंडीगढ़ स्थित पीजीआई में आयुष्मान भारत और हिमकेयर योजना के तहत इलाज करा रहे मरीजों को अब दवाइयों और इम्प्लांट्स के लिए अमृत फार्मेसी के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। 5 मई से अस्पताल में ऑनलाइन इंडेंटिंग सिस्टम पूरी तरह लागू किया जा रहा है। इससे मरीजों को
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अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि यदि कोई दवा या आइटम पी.जी.आई. के सामान्य स्टॉक में उपलब्ध है तो उसे पहले वहीं से लिया जाए। केवल वही दवाएं या सामग्री ऑनलाइन अमृत फार्मेसी से मंगवाई जाएंगी जो अस्पताल के स्टॉक में नहीं होंगी। ऑनलाइन मांगे गए आइटमों को सर्जिकल फार्मेसी सेल 24 घंटे के भीतर यह मानते हुए प्रोसेस करेगा कि वह सामान अस्पताल स्टॉक में नहीं है।
बेड तक पहुंचेगी दवा
नए सिस्टम के तहत मरीजों और उनके परिजनों को दवाओं या इम्प्लांट्स के लिए अब बाहर नहीं जाना होगा। ऑनलाइन इंडेंट मिलने के बाद अमृत फार्मेसी के कर्मचारी दवाएं सीधे मरीज के बेड तक पहुंचाएंगे। इस व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए अमृत फार्मेसी ने अतिरिक्त मैनपावर तैनात की है। अब सभी जरूरी दस्तावेज पी.जी.आई. के कंप्यूटर सिस्टम से अमृत फार्मेसी को सीधे भेजे जाएंगे, जिससे फर्जीवाड़े की संभावना खत्म हो जाएगी।
पीजीआई में ऑनलाइन सिस्टम लागू होने से हेराफेरी लगेगी लगाम।
पीजीआई में दवाओं की फर्जी पर्चियों के जरिए हेराफेरी का एक मामला सामने आया था, जिसके बाद प्रशासन ने यह बड़ा कदम उठाया है। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नवीन पांडे के अनुसार पहले मैनुअल इंडेंटिंग होती थी जिससे गड़बड़ी की संभावना रहती थी। अब HIS-2 सिस्टम के तहत ऑनलाइन व्यवस्था लागू की गई है।
18 मार्च को ट्रायल फिर लागू
इस नई व्यवस्था का ट्रायल 18 मार्च को नेहरू अस्पताल के सी-ब्लॉक से शुरू हुआ था। धीरे-धीरे इसे पूरे संस्थान में लागू किया जा रहा है। अब तक इस योजना के तहत 1.40 लाख से अधिक मरीजों को सेवाएं दी जा चुकी हैं। छह राज्यों से आए मरीज इस सेवा का लाभ उठा रहे हैं।