‘जब सपने चकनाचूर हुए तब खुद को जोड़ा और फिर नई उड़ान भरी। परिवार में अधिकतर लोग सिविल सर्वेंट थे, इसलिए शुरू से ही सिविल सर्विस की तैयारी की। दो बार UPSC के इंटरव्यू तक पहुंचे, लेकिन कुछ नंबर से दोनों बार फाइनल सिलेक्शन नहीं हो पाया। UPSC के सारे अटे
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यह कहानी सहरसा के राहुल शंकर की है। राहुल शंकर 64वीं BPSC में 106वीं रैंक हासिल कर अभी सारण के एकमा के अंचल अधिकारी हैं। उनके पिता एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं।
भास्कर की स्पेशल सीरीज ‘BPSC सक्सेस स्टोरी’ में आज राहुल की कहानी। इस सीरीज में हम BPSC एग्जाम को क्रैक करने वाले लोगों की कहानी साझा कर रहे हैं।
आगे की कहानी पढ़िए और देखिए…राहुल की जुबानी…
राहुल बताते हैं, ‘मेरे परिवार में सिविल सर्वेंट्स हैं। बड़े पापा IAS, मामा IPS और मौसा IRS हैं, जिसके कारण मुझे शुरू से ही इस क्षेत्र में जाने की प्रेरणा मिली। हालांकि, परिवार वालों से पढ़ाई को लेकर कभी दबाव नहीं पड़ा। परिवार में यूनिफॉर्म देखा था, यह मेरा भी बचपन से सपना हो गया।’
राहुल की प्रारंभिक शिक्षा सासाराम के DAV पब्लिक स्कूल में हुई। इसके बाद इंटरमीडिएट के लिए जमशेदपुर चले गए। 2006 में हाईस्कूल और 2008 में इंटरमीडिएट पूरा करने के बाद राहुल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी की।
UPSC में निराशा मिली तो पिता से हिम्मत दी
ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद राहुल ने UPSC की तैयारी शुरू की। वे कहते हैं, ‘मेरा सपना IPS बनने का था। मैं हमेशा खुद को यूनिफॉर्म में देखता था। 2013 और 2016 में UPSC की सिविल सेवा परीक्षा में दो बार इंटरव्यू तक पहुंचे, लेकिन फाइनल सिलेक्शन नहीं हुआ। एक बार 2 नंबर तो एक बार 4 नंबर से सिलेक्शन नहीं हो पाया। इसी तरह 2019 में UPSC के सारे अटेम्प्ट भी खत्म हो गए।’
राहुल बताते हैं, ‘जब आखिरी अटेम्प्ट खत्म हुआ तो ऐसा लगा जैसे सब कुछ खत्म हो गया। रोना, बेचैनी और एक गहरी चुप्पी…ऐसा दौर था जहां जिंदगी जैसे रुक सी गई थी। मैं 5-6 महीने तक डिप्रेशन में रहा। रूम से बाहर नहीं निकला। इसके लिए डॉक्टर के पास तक जाना पड़ा और दवाइयों और परिवार के सहारे उस दौर से निकला।’

राहुल शंकर इन दिनों सारण जिले के एकमा में अंचलाधिकारी हैं।
वह कहते हैं, ‘जब आप रोज यूनिफॉर्म में खुद को देखते हो और फिर एक दिन पता चलता है कि अब वो सपना सपना ही रह गया तो सब कुछ टूट सा जाता है। गांव और समाज के सामने भी डर सताने लगा कि लोग क्या कहेंगे, लेकिन परिवार ने इस मुश्किल वक्त में साथ दिया। पिता और करीबी दोस्तों ने हिम्मत दी और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।’
राहुल इस समय को याद कर कहते हैं, ‘अगर परिवार और कुछ करीबी दोस्त साथ न होते, तो शायद मैं कभी उबर नहीं पाता। मेरे पिताजी हमेशा कहते थे- तुम्हारा एक आइडिया है, लेकिन भगवान का दूसरा आइडिया हो सकता है। जरूरी नहीं कि वही हो जो तुम चाहते हो।’
BPSC के लिए तैयारी की रणनीति बदली
UPSC में असफलता के बाद राहुल ने BPSC की ओर रुख किया। वह बताते हैं, ‘UPSC की तुलना में BPSC की तैयारी में मैंने ज्यादा मेहनत नहीं की थी, लेकिन मेरा बेसिक ज्ञान मजबूत था, क्योंकि मैंने UPSC के लिए सालों तक पढ़ाई की थी।’
BPSC की तैयारी के दौरान राहुल ने अपनी पिछली गलतियों से सबक लिया। वे कहते हैं, ‘मैंने इस बार तय किया कि मुझे अपनी रणनीति को और सटीक करनी है। ज्यादा से ज्यादा रिवीजन पर ध्यान दिया और पिछले सालों के प्रश्नपत्रों को हल किया।’
आंख मूंदकर UPSC के पीछे न लगे रहें
UPSC डेफिनेटली एक रिस्क तो है। यूथ के प्राइम इयर्स इसकी प्रिपरेशन में निकल जाते हैं, तो आपको हमेशा एक बैलेंस्ड स्ट्रैटेजी अपनानी चाहिए। यह नहीं करना है कि आंख मूंदकर इसके पीछे लग जाना है। डिसाइड करें कि 2 या 3 अटेंप्ट देने हैं, उसमें अपनी सारी शक्ति झोंक दें। लेकिन ऐसा नहीं है कि 6-7 साल लगे ही हुए हैं और एग्जाम दिए जा रहे हैं। क्योंकि एक उम्र के बाद जीवन में और चीजें भी जरूरी होती है। आप पढ़ते नहीं रह सकते। जब लगे कि आपका टारगेट पूरा हो गया है, चाहे सिलेक्शन हुआ हो या नहीं, उसके बाद अल्टरनेटिव करियर पर ध्यान दें। साथ ही अपना प्लान B हमेशा रेडी रखें।

UPSC में असफलता मिलने के बाद राहुल ने BPSC की तरफ रुख किया। इसमें उन्होंने सफलता हासिल की।
BPSC की तैयारी के लिए टिप्स
राहुल उन उम्मीदवारों को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव देते हैं, जो BPSC की तैयारी कर रहे हैं, खासकर जिनके मुख्य परीक्षा (Mains) नजदीक हैं।
कुछ नया न करें: आखिरी कुछ दिनों में नई किताबें या टॉपिक्स पढ़ने की कोशिश न करें। जो पढ़ा है, उसे रिवाइज करें।
दिमाग शांत रखें: तनाव से बचें। आत्मविश्वास बनाए रखें और खुद पर भरोसा करें।
लिखने की प्रैक्टिस: मुख्य परीक्षा में लिखने की कला महत्वपूर्ण है। सुनिश्चित करें कि आप अपने जवाब स्पष्ट और संक्षिप्त रूप से लिख सकें।
पिछले सालों के प्रश्नपत्र हल करें: यह आपको परीक्षा के पैटर्न और प्रश्नों की प्रकृति को समझने में मदद करेगा।
50 प्लान बनाने से कुछ नहीं होगा
बहुत से एस्पिरेंट्स क्या करते हैं, एक प्लान बनाते हैं फिर थोड़ी सी भी गड़बड़ होती है तो प्लान बदल देते हैं। यही सबसे बड़ी गड़बड़ है। अगर आपने एक प्लान बना लिया है, तो सबसे पहले उसे एग्जीक्यूट करे। 50 प्लान बदलने से कुछ नहीं होता। 100 लोग 100 तरह की बातें बताते हैं। लेकिन खुद को उनसे अफेक्ट न होने दें। इसके अलावा आपको खुद के अंदर झांकने की भी जरूरत है। खुद से पूछे कि कहां सही किया और कहां गलती की। एग्जाम को, प्रोसेस को या फैमिली को ब्लेम करने से बेहतर है कि एक बार खुद के अंदर झांककर देखें।
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‘मेरा जन्म मिडिल क्लास फैमिली में हुआ, जब 8वीं कक्षा में था, तब पिता नहीं रहे। इससे घर की आर्थिक स्थिति डगमगा गई थी, लेकिन भाई ने हिम्मत नहीं हारी और मेरी पढ़ाई जारी रखवाई। मैंने पहली बार में BPSC क्रैक किया। स्कूल में बोरे पर बैठकर पढ़ाई की है। बिहार बोर्ड से 10वीं पास की है।’ पूरी खबर पढ़िए