पूर्णिया GMCH (Government Medical College and Hospital) में 6 साल में 6 बार ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन हुआ, पर आजतक मरीजों को सुविधा नहीं मिली और न अभी मिलने की उम्मीद है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि नई बिल्डिंग बन रही है। जिसमें 30 बेड का ICU है। जिस
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इन सब का खामियाजा मरीजों को भुगतनी पड़ रही है। GMCH में रेफर करने का सिलसिला जारी है। ICU के अभाव में रोज करीब 8 मरीज रेफर होते हैं। अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार 1 हजार से अधिक मरीज रेफर हुए हैं। बताया जाता है कि डॉक्टरों की भी कमी है। 200 डॉक्टरों की जगह 50 डॉक्टरों के भरोसे ही काम चलाया जा रहा है
मजबूरी में मरीजों को निजी अस्पताल में इलाज कराना पड़ता है, लाखों रुपए खर्च होते हैं। दलाल के चक्कर में कई की तो जान भी चली जाती है। ये हाल उस GMCH का है जिसपर 5 जिलों के मरीज निर्भर है।
पूर्णिया GMCH, जो सदर अस्पताल से अपग्रेड हुआ।
पूर्णिया सदर अस्पताल मेडिकल कॉलेज में अपग्रेड
दरअसल, पूर्णिया सदर अस्पताल मेडिकल कॉलेज में अपग्रेड हुआ है। 2012 में मेडिकल कॉलेज बनाने की घोषणा हुई थी। 2024 में मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हो गया। 6 साल में इसका शिलान्यास 2 बार हुआ। 17 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बरौनी में आयोजित शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान पहली बार GMCH पूर्णिया का शिलान्यास किया था।
दूसरी बार 4 मार्च 2019 को स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने मेडिकल कॉलेज निर्माण की आधारशिला रखी। इसे 3 साल में यानी 2022 तक पूरा करना था। हालांकि इसे बनने में 6 साल लग गए, पिछले साल 25 फरवरी को लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार ने वर्चुअल मोड में लोकार्पण किया।

सीएस से लेकर मंत्री तक काट चुके फीता
GMCH के निर्माण में 400 करोड़ से अधिक रुपए खर्च हुए, पर लाभ ज्यादा नहीं मिल रहा। GMCH पर सीमांचल के 4 जिले पूर्णिया, अररिया, कटिहार और किशनगंज के अलावा कोसी के मधेपुरा जिले के मरीजों की निर्भरता है।
ट्रॉमा सेंटर में 5 बेड का वेंटिलेटर और 17 बेड का आईसीयू जरूर है। मगर आधी-अधूरी सुविधा के कारण ये पूरी तरह बेकार है। ICU ट्रॉमा सेंटर में ही है। अलग-अलग तिथियों में इसका 6 बार उद्घाटन किया जा चुका है।
सबसे पहले तत्कालीन सीएस डॉ. एसके वर्मा ने दो बार उद्घाटन किया। इसके बाद सदर विधायक विजय खेमका और फिर सांसद रहते हुए संतोष कुमार कुशवाहा ने भी उद्घाटन किया था।
तत्कालीन डीएम से लेकर प्रमंडलीय आयुक्त और फिर आखिर में मंत्री मंगल पाण्डेय ने भी फीता काटा था। 3 डॉक्टर, 6 नर्स और 4 टेक्नीशियन की ड्यूटी लगाई गई। मगर सभी डॉक्टरों का ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बाद से ही 5 बेड का वेंटिलेटर और 17 बेड का आईसीयू धूल फांक रहा है।

500 मरीजों पर महज 55 जीएनएम ही कार्यरत
GMCH के उद्घाटन के साल भर पूरे होने को है, बावजूद इसके 500 बेड वाले भवन को पूरा नहीं किया जा सका है। पुराने सदर अस्पताल के भवन में ही मरीजों का इलाज हो रहा है, जहां सिर्फ 300 बेड की क्षमता है। जबकि मरीजों की तादाद दोगुनी है। मगर अब तक न ही डॉक्टरों की कमी को दूर किया जा सका है और न स्टाफ की संख्या बढ़ी।
ओपीडी से लेकर पुरुष सर्जिकल वार्ड, महिला सर्जिकल वार्ड, पुरुष मेडिकल वार्ड, महिला मेडिकल वार्ड, बच्चा वार्ड, इमरजेंसी वार्ड, प्रसव वार्ड, एसएनसीयू वार्ड सहित 12 वार्ड हैं, जहां मरीजों का इलाज होता है। 200 डॉक्टरों की जगह 50 डॉक्टरों के भरोसे ही काम चलाया जा रहा है। हालांकि इंटर्न पर आए 300 डॉक्टरों ने कमी को पूरा किया है।
वहीं, 500 मरीजों पर महज 55 जीएनएम ही कार्यरत हैं। हर एक वार्ड में रोज 40 से अधिक मरीज रहते हैं। हर वार्ड में महज 2 जीएनएम हैं।
नए भवन में 30 बेड का आईसीयू का निर्माण किया जा रहा
GMCH के उपाधीक्षक डॉ. कनिष्क कुणाल ने कहा कि टेक्नीशियन और डॉक्टर की कमी से ट्रॉमा सेंटर को बंद किया गया है। नए भवन में 30 बेड का आईसीयू का निर्माण किया जा रहा है। वार्ड तैयार होते ही सुविधा मिलने लगेगी।