औरंगाबाद जिले के अंबा थाना क्षेत्र के चिल्हकी बिगहा गांव निवासी बृज किशोर मेहता अपने चार बेटों के साथ 39 बिगहा में 2012 से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। उन्होंने 2021 से सेव की भी खेती शुरू कर दी है। बृज किशोर के स्ट्रॉबेरी की कोलकाता, पटना, धनबाद,
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बृज किशोर मेहता बताते हैं कि उनका बेटा गुड्डू कुमार (30) 2011 में हरियाणा में मजदूरी के लिए गया। वह स्ट्रॉबेरी की खेती करता था। इसके बाद मैं भी वहां चला गया। वहीं से आइडिया आया कि अपने गांव में भी स्ट्रॉबेरी की खेती करें। 2012 में वह हरियाणा से 7 स्ट्रॉबेरी का पौधा लेकर अपने गांव पहुंचे और इसकी बुआई की। कुछ समय बाद देखा कि स्ट्रॉबेरी की फल उनके खेत में लग गई है। 2013 में लगभग 100 से अधिक पौधे की बुआई की। इस बार भी उनको स्ट्रॉबेरी की खेती में सफलता मिली।
2019 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने औरंगाबाद में उपजे स्ट्रॉबेरी का स्वाद चखा था।
4 बेटों और 50 से अधिक मजदूरों की लेते हैं मदद
अब बृज किशोर मेहता बड़े पैमाने पर स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। 4 बेटों और 50 से अधिक मजदूरों के सहयोग से 39 बिगहा में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं और गांव वालों से भी करवा रहे हैं। बृज किशोर मेहता औरंगाबाद के जोगिया, अपने पैतृक गांव अंबा थाना क्षेत्र के चिल्हकी, अंबा थाना के पास और बिहार झारखंड के बॉर्डर जोड़ा पर स्ट्रॉबेरी की खेती के साथ उन फलों की खेती करते हैं।

अक्टूबर-नवंबर में तैयार हो जाता है सेव का फल
बृज किशोर मेहता ने बताया कि बिहार झारखंड के बॉर्डर जोड़ा पर गांव के समय उन्होंने अपने फार्म हाउस के पास वर्ष 2021 में 70 हरमन 99 सेव का पेड़ लगाया था। कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दिया था कि 2 साल तक कोई फल सेव के पेड़ से नहीं तोड़ना था, इसलिए वह शुरुआती दौर में ही सेव के फल को मंजर के समय ही पेड़ से अलग कर दिया। 2024 में अत्यधिक तापमान रहने की वजह से सेव का फसल नहीं हो पाया। उन्होंने बताया कि सेव के लि 10 डिग्री सेल्सियस से लेकर 45 डिग्री सेल्सियस तक की तापमान और दोमट मिट्टी की जरूरत है। मई माह में सेव का मंजर लगता है, जून-जुलाई में फल निकलता है और अक्टूबर-नवंबर में फल तैयार हो जाता है।

जिला प्रशासन की ओर से भी बृज किशोर को सम्मानित किया गया है।
बृजमोहन को सरकार की ओर से कई बार मिल चुका है अवार्ड
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की ओर से इस वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर बृज किशोर मेहता को विशेष अतिथि के रूप में सम्मानित किया गया। इससे पहले इनको बिहार सरकार और जिला प्रशासन की ओर से भी सम्मानित किया गया है। किसान ने बताया कि औरंगाबाद में कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग यूनिट, ट्रांसपोर्टिंग के लिए AC वाली गाड़ी नहीं रहने के कारण बहुत ही कम समय में फल खराब हो जाता है। वहीं उनका कहना है कि अनुदान की राशि किसानों को मिलनी चाहिए।