ग्वालियर में अंबेडकर प्रतिमा स्थापना के बाद प्रतिमा कड़ी सुरक्षा घेरे में रखी गई है।
ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में संविधान निर्माता डॉ.भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर वकीलों के दो गुट आमने-सामने है। एक गुट का कहना है कि उन्हें प्रतिमा लगाने के लिए चीफ जस्टिस से स्वीकृति मिल चुकी है। आदेश के बाद पीडब्ल्यूडी विभाग ने उसके लिए फाउ
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जबकि प्रतिमा लगाने का विरोध कर रहे गुट का दावा है कि चीफ जस्टिस की सहमति प्रक्रियात्मक गलती है। कोर्ट परिसर में किसी भी व्यक्ति का महिमा मंडन करने के लिए मूर्ति नहीं लगाई जाए। वैसे भी न्यायालय परिसर में तिरंगा लग चुका है। इससे बड़ा देश में कोई नहीं है।
इधर, बन कर तैयार हो चुकी डॉ. भीमराव अंबेडकर की 10 फीट ऊंची प्रतिमा अभी मूर्तिकार प्रभात राय के स्टूडियो में है। प्रतिमा की सुरक्षा के लिए चारों तरफ एक दर्जन से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। एक सब इंस्पेक्टर सहित 8 पुलिसकर्मी 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। स्टूडियो के जिस एरिया में मूर्ति है वहां किसी को आने-जाने की इजाजत नहीं है।
फिलहाल ग्वालियर में हाईकोर्ट के दोनों पक्ष अपनी-अपनी रणनीति बना रहे हैं। ग्वालियर में 29 जून को भीम सेना का ‘भीमराव अग्निपथ महासभा’ और आजाद समाज पार्टी ने 11 जुलाई को ‘अंबेडकर महापंचायत’ बुलाई है। साथ ही, प्रतिमा लगाने के पक्षधर वकीलों ने 31 मई को सांसद भारत सिंह कुशवाह को एक ज्ञापन दिया है। जिसमें उनसे मांग की है कि आप और केंद्रीय कानून मंत्री इस मामले में शामिल हो, जिससे कोर्ट परिसर में प्रतिमा स्थापित की जा सके।
17 मई 2025 को भीम आर्मी के पूर्व सदस्य रूपेश केन को हाईकोर्ट परिसर के सामने वकीलों ने पीट दिया।
पहले जानते हैं विवाद कहां से शुरू हुआ? ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर मूर्ति विवाद की शुरुआत 19 फरवरी 2025 को हुई थी। इसी दिन 19 फरवरी को मप्र हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ग्वालियर आए थे। यहां एक गुट के एडवोकेट विश्वजीत रतोनिया, धर्मेंद्र कुशवाह और राय सिंह ने ज्ञापन सौंपा था, जिसमें ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में अंबेडकर की प्रतिमा लगाने की मांग की गई थी।
चीफ जस्टिस ने मौखिक सहमति दे दी थी। इसके बाद पीडब्ल्यूडी ने परिसर में मूर्ति के लिए स्ट्रक्चर बना दिया। वकीलों ने चंदा इकट्ठा करके मूर्ति बनवाई। लेकिन, वकीलों के इस गुट ने बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव को इसकी जानकारी नहीं दी। इसी वजह से टकराव शुरू हो गया। 10 मई को बार एसोसिएशन ने जाकर स्ट्रक्चर पर तिरंगा लगा दिया।
26 मार्च को प्रिंसिपल रजिस्ट्रार का आदेश मामले में इसके बाद 26 मार्च 2025 को प्रिंसिपल रजिस्ट्रार का आदेश आया। इसमें बताया गया कि कमेटी के 5 सदस्यों ने डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा की स्थापना को कुछ समय के लिए टालने का सुझाव दिया था। हालांकि, दो सदस्यों ने प्रतिमा स्थापना पर सहमति जताई है। उनका तर्क था कि काम शुरू हो चुका है। वकीलों और आम जनता द्वारा मूर्ति निर्माता को भुगतान भी किया जा चुका है।
बैठक के बाद से काफी समय बीत चुका है। जिला और हाईकोर्ट के अधिकांश वकीलों ने मूर्ति स्थापना के पक्ष में हस्ताक्षर अभियान शुरू कर दिया है, इसलिए मूर्ति स्थापित की जानी चाहिए। इस आदेश में आखिरी लाइन यही लिखा था कि मूर्ति स्थापित की जा सकती है।

भीम सेना को ग्वालियर बॉर्डर पर ही रोक कर वापस हरियाणा भेजा गया।
बार एसोसिएशन विरोध में उतरी, बोली-तरीका अवैध इस आदेश के बाद बार एसोसिएशन ग्वालियर ने प्रतिमा स्थापना का विरोध शुरू कर दिया। उनका तर्क था कि मूर्ति स्थापना का तरीका पूरी तरह अवैध है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि किसी भी सार्वजनिक स्थान पर किसी भी महापुरुष की प्रतिमा स्थापित नहीं की जाएगी।
इसके बाद भी वकीलों का एक पक्ष अपनी ओर से प्रस्ताव लेकर आया और प्रक्रिया की, जबकि न बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, सदस्यों को विश्वास में लिया गया और न ही बिल्डिंग कमेटी की सहमति ली गई। जबकि बिल्डिंग कमेटी ने साफ तौर पर मूर्ति स्थापना से इनकार कर दिया था।
जातिगत विवाद में बदला विचारों का टकराव पहले यह विवाद हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के परिसर में वकीलों के दो पक्षों का था। यह विचारों का टकराव था, जो धीरे-धीरे अहम और तनाव के चलते अब जातिगत टकराव में बदलता जा रहा है। इसमें डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा का जिक्र होते ही कई बाहरी संगठन कूद पड़े हैं।
जिससे सोशल मीडिया से लेकर पान और गुमटियों की दुकानों पर जमकर चर्चा और एक-दूसरे को चुनौतियां दी जा रही हैं और स्वीकार की जा रही हैं। यही कारण है कि पुलिस ने संविधान निर्माता की प्रतिमा को निगरानी में लेकर कड़ी सुरक्षा में रखा है।

अब जानिए क्या है, दोनों पक्षों की रणनीति
प्रतिमा के पक्ष धर वकील संगठन: हाईकोर्ट परिसर में अंबेडकर मूर्ति लगाने के पक्ष वाले वकील लगातार बैठक कर रहे हैं। वह अन्य हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के वकीलों से मिलकर भूमिका बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

नए चीफ जस्टिस करेंगे मामले को लेकर फैसला बार एसोसिएशन ग्वालियर में भी बैठकों का दौर चल रहा है। उनका स्पष्ट कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है महापुरुषों की प्रतिमा नहीं लगेगी। वे हर चुनौती के लिए तैयार हैं। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन शर्मा ने कहा कि तब चीफ जस्टिस (सुरेश कुमार कैत) ने कहा था कि नए चीफ जस्टिस आएंगे वे इस मामले को लेकर फैसला करेंगे। तब तक सभी शांति बनाए रखें। लेकिन, कुछ लोग बार पर अभद्र और जातिगत टिप्पणी कर रहे हैं। यह हाईकोर्ट परिसर का मामला है। वे ऐसी टिप्पणियां न करें। यहां कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है।

आजाद समाज पार्टी का ऐलान इस विवाद में आजाद समाज पार्टी भी कूद पड़ी है। आजाद समाज पार्टी के नेता राजिंदर सिंह भाटी ने कहा है कि अंबेडकर प्रतिमा वहीं लगेगी। इसके लिए 11 जुलाई को फूलबाग ग्वालियर पर अंबेडकर महापंचायत का ऐलान किया है।

जिला प्रशासन और पुलिस की तैयारी इधर, कलेक्टर रुचिका चौहान और एसएसपी धर्मवीर सिंह ने अपने स्तर पर पूरी तैयारी कर ली है। जिससे सोशल मीडिया पर किसी भी तरह का भड़काऊ भाषण, चेतावनी को प्रतिबंधित किया है। किसी भी तरह के संगठन का प्रदर्शन बैन किया गया है। बाहर से आने वाले भीम सेना, आजाद समाज पार्टी या अन्य संगठनों को कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जा रही है। ऐसे संगठनों को जिले की सीमा पर ही रोका जा रहा है। अंबेडकर की प्रतिमा को कड़ी निगरानी में रखा है।
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हाईकोर्ट परिसर के बाहर भीम आर्मी के पूर्व सदस्य रूपेश केन से मारपीट की गई थी।
एमपी हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में डॉ. बीआर अंबेडकर की मूर्ति स्थापना का विरोध करने वाले वकीलों ने चेतावनी दी थी कि यह गली-मोहल्ला नहीं कोर्ट है, यहां भीम आर्मी आकर दिखाएं। इस पर भीम आर्मी नेता रूपेश केन पहुंच गए। यह देख वकील एकजुट हो गए। उन्होंने उनकी पिटाई कर दी। पूरी खबर यहां पढ़ें…