झारखंड में चाइनीज मुर्गी इन दिनों आकर्षण का केंद्र बनी हुई। हजारीबाग में कुछ पशुपालक इसका व्यापार कर रहे हैं। झुंड में घुमती यह मुर्गियां साइज में देशी मुर्गी से बड़ी होती है। इसके अंडे में अत्याधिक प्रौटीन होने की वजह से इसकी डिमांड बढ़ी है। ये मुर्गी
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पशुपालक सोहन राज बताते हैं कि पिछले तीन-चार सालों से हम यहां आ रहे हैं। रांची, बोकारो, गोला में पहले भी इन मुर्गियों को बेच चुके हैं। हम अभी पांच की संख्या में आए हैं और मुर्गियों को बेचे रहे हैं।
फार्मिंग करने वालों को काफी फायदा होता है
ये मुर्गियां डेढ़ महीने की उम्र से ही अंडे देने लगती हैं। इसलिए इसकी फार्मिंग करने वालों को काफी फायदा होता है। मुर्गियों को अनाज, बीज, और फलियां खिलाई जाती हैं। इसके एक अंडे की कीमत 12-15 रुपए है।
पशुपालक सोहन राज अपने चार अन्य साथियों के साथ दिनभर मुर्गियों को चराते और उन्हें बेचते हैं। फिर रात में ग्राउंड में ही छोटी सी झोपड़ी बनाकर सो जाते हैं। सारी मुर्गियों को घेरकर रखा जाता है।
ठंड के समय इसकी बिक्री अधिक होती है हजारीबाग में इन दिनों प्रयागराज से आए पशुपालक इन मुर्गों को बेच रहे हैं। सभी मुर्गियों का रंग एक जैसा ही है। काले और ऊपर सफेद स्पॉट। करीब दो हजार मुर्गियों को लेकर हजारीबाग पहुंचे पशुपालक ने बताया कि बिहार में इसे तीतर और उत्तर प्रदेश में चाइना मुर्गा के नाम से जाना जाता है। प्रयागराज और उसके आसपास के गांव में किसान इसकी खूब फार्मिंग कर रहे हैं। ठंड के समय इसकी बिक्री अधिक होती है। अंडे की डिमांड भी काफी है।