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वक्फ का समंदर किनारे 404 एकड़ जमीन पर दावा: 610 हिंदू-ईसाई परिवारों ने यहां खरीदी है जमीन, बोले- नया कानून बना तो ही बचेगी


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एर्नाकुलम23 मिनट पहलेलेखक: सरिता एस. बालन

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मुनम्बम के लोगों ने 22 नवंबर को मशाल रैली निकाली थी।

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हमने सालों पहले कॉलेज मैनेजमेंट से जमीन खरीदी। उस समय पूरे इलाके में पानी भरा था। हमने समुद्र की रेत भरकर इसे रहने लायक बनाया। 2022 से पहले तक टैक्स भी भर रहे थे। फिर पता चला वो जमीन हमारी है ही नहीं। हम बच्चों की पढ़ाई, उनकी शादी के लिए अपनी जमीन गिरवी तक नहीं रख सकते। इसकी कीमत रद्दी बराबर भी नहीं रही।

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केरल के एर्नाकुलम जिले में कोच्चि से 38 km दूर अरब सागर के किनारे स्थित मुनम्बम में ये दर्द एक दो-लोगों का नहीं, 610 परिवारों का है। इनमें 510 ईसाई और 100 हिंदू परिवार हैं। ये लोग मुनम्बम प्रॉपर्टी नाम से मशहूर 404 एकड़ जमीन के लिए करीब 60 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

लोगों के मुताबिक उन्होंने फारूक कॉलेज मैनेजमेंट से यह जमीन खरीदी थी। 2019 में वक्फ बोर्ड ने उनकी जमीन वक्फ संपत्ति के तौर पर रजिस्टर कर ली। अब वह सरकार से लोगों को बेदखल करने की मांग कर रहा है।

पिछले दो साल से वक्फ बोर्ड के खिलाफ मुनम्बम में विरोध-प्रदर्शन जारी है। बीते दो महीने के दौरान विवाद तेज हो गया है। वजह है केंद्र सरकार का वक्फ (अमेंडमेंट) बिल, 2024, जिसके अगले साल बजट सत्र में पास होने की संभावना है।

यह बिल संसद में पास हो जाए, इसके लिए मुनम्बम के लोग चर्चों में प्रार्थना सभाएं कर रहे हैं। उनका कहना है कि मौजूदा वक्फ एक्ट के चलते वे बोर्ड के दावे को चुनौती नहीं दे पा रहे हैं। नया बिल लागू होने पर वक्फ उनकी जमीन पर कब्जा नहीं कर पाएगा।

लोग बोले- दो साल पहले रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने बताया जमीन हमारी नहीं मुनम्बम में रहने वाले समर समिति (एक्शन काउंसिल) के संयोजक जोसेफ बेनी ने बताया, ‘यहां पर रहने वाले अधिकतर लोग मछुआरा समुदाय के हैं। मैं भी उसी समुदाय से हूं। मेरा जन्म यहीं पर हुआ। हमारे पास जमीन के दस्तावेज हैं। सालों से लैंड टैक्स भर रहे थे। 2022 में हमें बताया गया कि टैक्स नहीं भर पाएंगे। न ही कोई जमीन बेच सकता या गिरवी रख सकता है।’

‘मुनम्बम ​​​​​​प्रॉपर्टी के विवाद को लेकर ​केरल हाईकोर्ट की सिंगल बेंच, डिवीजन बेंच और वक्फ ट्रिब्यूनल में कई मामले चल रहे हैं। लैंड टैक्स भरने पर जब रोक लगी, तो हम हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने हमें सभी अधिकार दे दिए, लेकिन डिवीजन बेंच ने फैसले पर रोक लगा दी। 2022 से हम टैक्स नहीं भर पा रहे हैं।’

52 साल के लॉजिस्टिक्स पेशेवर स्टीफन वी देवस्या ने बताया, ‘हमारे पूर्वज यहीं रहते थे। हमने फारूक कॉलेज से जमीन खरीदी। हमारे पास दस्तावेज हैं। 33 साल से टैक्स भर रहे हैं। अब इतने सालों बाद वक्फ बोर्ड कह रहा है कि यह उसकी संपत्ति है। हम तो कोर्ट में भी केस नहीं लड़ सकते क्योंकि ऐसे मामलों में वक्फ ट्रिब्यूनल के पास जाना पड़ता है।’

कॉलेज से जमीन खरीदी, फिर वक्फ का दावा कैसे?

आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि अगर लोगों ने फारूक कॉलेज मैनेजमेंट से जमीन खरीदी तो वक्फ बोर्ड अचानक दावा क्यों करने लगा। सवाल जायज है, पर इसके जवाब के लिए मुनम्बम का इतिहास जानना जरूरी है।

‘पानी से भरी जगह को रेत भरकर रहने लायक बनाया, तब वक्फ कहां था’

68 साल की ओमाना यायी 50 साल से मुनम्बम की मूल निवासी हैं। उनकी शादी यहीं से हुई थी। उन्होंने कहा, ‘जब कॉलेज वालों से जमीन खरीदी थी, तब यहां पानी भरा हुआ था। हम आधी रात को मछली पकड़ने जाते थे। वापस लौटते समय सिर पर रेत लेकर आते थे। रेत भर-भरकर पानी हटाया। तब यह जगह रहने लायक हुई। अब अचानक वक्फ कहां से आ गया?’

65 साल की सिसिली एंटनी की कहानी भी मिलती-जुलती है। उन्होंने बताया, ‘मुझे यहां रहते हुए लगभग 42 साल हो गए हैं। फारूक कॉलेज से जमीन खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। दिन-रात मेहनत के बाद पैसे कमाए। जमीनी खरीदी। उस समय हमें वक्फ बोर्ड के बारे में नहीं पता था। अब जमीन की कीमत रद्दी बराबर भी नहीं रही।’

‘घर खोने के डर से ढाई साल से चैन की नींद नहीं सो पाए’

56 साल के अंबुजाक्शन ने बताया, ‘पिछले ढाई साल से हमें ठीक से नींद नहीं आई है। हमारे राजस्व अधिकार रोक दिए गए हैं। हम मछुआरे ऐसे भी ठीक से सो नहीं पाते, क्योंकि काम के चलते दिन-रात, कभी भी समुद्र में जाना पड़ता है। इंसान घर आकर शांति से सोता है। हमारे पास घर ही नहीं है, तो चैन की नींद कैसे आएगी।’

बेनी कल्लुंगल ने बताया कि वे दस साल के थे, तब मुनम्बम आए थे। अभी उनकी उम्र 62 साल है। उन्होंने कहा, ‘हम पहले फूस के घरों में रहते थे। मैं बच्चा था, तभी से हमारा परिवार फारूक कॉलेज से जमीन का केस लड़ रहा था। कॉलेज ने 1975 में केस जीत लिया। उसके बाद हमने दोगुनी कीमत पर कॉलेज वालों से जमीन खरीदी। जमीन का मालिकाना हक हमारे पास है।’

54 साल के दिहाड़ी मजदूर सिंधु ने कहा, ‘बच्चों की पढ़ाई या शादियों के लिए मेरे पास पैसे नहीं है। जमीन गिरवी रखकर बैंक से लोन लेना चाहते थे, लेकिन अब तो वो भी नहीं हो सकता।’

CM बोले- दस्तावेज वालों को बेदखल नहीं किया जाएगा मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 23 नवंबर को वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधियों के साथ एक ऑनलाइन बैठक की थी। इसमें उन्होंने मुनम्बम के लोगों को नोटिस भेजने या कोई दूसरी कार्रवाई करने पर रोक लगाने को कहा।

CM ने बाद में बयान जारी कर कहा, ‘दस्तावेज वाले किसी भी व्यक्ति को जमीन से बेदखल नहीं किया जाएगा। सरकार एक ऐसा समाधान ढूंढ रही है, जो निवासियों को अधर में न छोड़े।’

केरल में सत्तापक्ष और विपक्ष नए बिल के खिलाफ 14 अक्टूबर को केरल विधानसभा ने केंद्र के नए बिल के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया। सत्तापक्ष और विपक्ष, दोनों ने कहा कि नया कानून राज्य सरकारों और वक्फ बोर्डों के अधिकारों को छीन लेगा।

केरल में CPI (M) के नेतृत्व में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) सत्ता में है। कांग्रेस के नेतृत्व में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) विपक्षी गुट है।

BJP सांसद बोले- नया बिल लाकर क्रूरता खत्म करेंगे केरल में भाजपा के एकमात्र सांसद और केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने 30 अक्टूबर को मुनम्बम जाकर प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की थी। उन्होंने 11 नवंबर को वायनाड में चुनावी सभा के दौरान कहा था, ‘यह क्रूरता सिर्फ मुनम्बम में नहीं, पूरे भारत में है। इसे खत्म किया जाएगा। कठोर फैसले लिए जाएंगे। भाजपा संविधान को बचाने के लिए नया बिल संसद में पास करवाएगी।’

कांग्रेस ने कहा- संघ मुस्लिमों और ईसाइयों को बांटने की कोशिश कर रहा मुनम्बम में वक्फ बोर्ड के दावे पर केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता वीडी सतीसन ने 3 दिसंबर को कहा, ‘जिस 404 एकड़ जमीन को वक्फ बोर्ड अपनी संपत्ति बता रहा है, वह जमीन फारूक कॉलेज को गिफ्ट के तौर पर मिली थी, जिसे उन्होंने बेच दिया। इसके बदले उन्हें पैसे भी मिले। फिर वक्फ कैसे दावा कर सकता है? वह वक्फ की जमीन नहीं है। संघ परिवार केरल में मुस्लिमों और ईसाइयों को बांटने की कोशिश कर रहा है।’

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