सूरत के मगदल्ला इलाके में सालों से क्लीनिक चला रहे थे।
सूरत के मगदल्ला इलाके से पुलिस ने सोमवार शाम एक महिला सहित दो फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है। दोनों डॉक्टरों के पास से 10 हजार से अधिक की दवाएं कब्जे में ली थी। दोनों डॉक्टरों के पास श्रमिक लोग दवा लेने के लिए आते थे। फर्जी डॉक्टर 10 से लेकर 50 र
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क्लीनिक से स्टेराइड के इंजेक्शन तक मिले दवाओं में जो प्रेशर की दवा है, उसे ओवर डोज लेने पर मरीज कोमा में जा सकता है। स्टेराइड जो इंजेक्शन मिला है। उसे रोगी को देने के लिए एमडी डॉक्टर भी विचार कर देते हैं। इसके अलावा होम्योपैथिक की अलग-अलग कंपनी की 17 दवाएं मिली थी। इसी तरह फर्जी महिला डॉक्टर ललिता सिंह के दवाखाने से किडनी फेल हो जाए, ऐसी दवाएं मिली थीं। मलेरिया की भी दवाएं मिली थी। इन दवाओं के ओवर डोज लेने पर जान का जोखिम हो सकता है। एंटिबायोटिक दवाएं भी मिली हैं।
दोनों ही सिर्फ 10वीं-12वीं पास हैरानी की बात यह है कि इनमें से एक महिला डॉक्टर केवल 12वीं पास है और दूसरा 10वीं पास है। महिला 12 साल और पुरुष 5 साल से क्लीनिक खोलकर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि महिला मात्र 10 रुपए में इलाज करती थी। सूरत में लगातार फर्जी डॉक्टर पकड़े जा रहे हैं। इसी क्रम में मगदल्ला गांव से दो फर्जी डॉक्टरों की गिरफ्तारी हुई है, जिनमें एक महिला ललिता कृपाशंकर है।
एंटिबायोटिक, होम्योपैथिक सहित दवाओं का जत्था मिला पुलिस ने फर्जी डॉक्टरों को पकड़ा और उनके पास से दवाइयों का एक बड़ा जखीरा बरामद किया था। अब, इन एंटिबायोटिक, होम्योपैथिक सहित दवाओं को कहां से लाया गया, इस पर फूड एंड ड्रग्स विभाग जांच कर सकती है। कंपनी बंद होने के बाद बन गया डॉक्टर दूसरे फर्जी डॉक्टर का नाम प्रयाग रामचंद्र प्रसाद है और उसकी उम्र 57 वर्ष है। यह फर्जी डॉक्टर भेस्तान प्रियंका ग्रीन पार्क में रहता है। वह मगदल्ला में एक कंपनी में काम करता था, लेकिन जब कंपनी बंद हो गई, तो परिवार का पालन करने के लिए उसने बिना डिग्री के डॉक्टर की प्रैक्टिस शुरू कर दी। प्रयाग प्रसाद ने केवल 10वीं तक पढ़ाई की है। 2019 से वह मगदल्ला में किराए की दुकान में क्लीनिक चला रहा था।
मकान में ही खोला था क्लीनिक फर्जी महिला डॉक्टर ललिता कृपाशंकर सिंह (उम्र 40 वर्ष) है। महिला जहांगीरपुरा के कैनाल रोड पर वैष्णोदेवी स्काई में रहती है। ललिता ने केवल 12वीं तक पढ़ाई की है। उसका साइंस विषय रहा था। इसके बाद उसने सूरत में एक अस्पताल में डॉक्टरी से जुड़े कार्यों की प्रैक्टिस की थी। अस्पताल के डॉक्टर ने भी उसे बिना डिग्री के प्रैक्टिस करने की अनुमति दे दी थी। यह महिला पिछले 12 वर्षों से मगदल्ला में किराए के मकान में क्लीनिक चला रही थी, लेकिन स्वास्थ्य टीम को कभी भी कोई संदिग्ध नहीं लगा। वह इतनी चालाक थी कि उसने बाहर डॉक्टर का बोर्ड भी नहीं लगाया था। आयुर्वेदिक और हर्बल उत्पादों की आड़ में महिला क्लीनिक चला रही थी। मकान के अंदर पार्टिशन बना कर महिला ने मरीजों का इलाज कर रही थी।
दवाइयों के लिए ज्यादा पैसे वसूलती थी महिला डॉक्टर फर्जी महिला डॉक्टर इलाज के लिए 10 रुपए लेती थी इन फर्जी डॉक्टरों के कारण कई लोगों ने अपनी जिंदगी खतरे में डाली। प्रारंभिक जांच में पता चला कि ललिता ज्यादा मरीज उसके पास आए इसलिए 10 रुपए लेकर इलाज के नाम पर ठगती थी और दवाइयों के लिए ज्यादा पैसे वसूलती थी।
खुद को बताता था बीईएमएस फर्जी डॉक्टरों में पुरुष डॉक्टर प्रयाग रामप्रसाद भी शामिल है, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार किया। प्रयाग, जो खुद को बी.ई.एम.एस. डिग्रीधारी बताता था, केवल 10वीं पास निकला। पुलिस को जांच में उसके पास से कोई डिग्री या मान्य प्रमाण-पत्र नहीं मिला।