रात भर से धरने पर बैठे ग्रामीण।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से विस्थापित हुए बतकछार गांव के ग्रामीण एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। पचमढ़ी के पनारपानी गेट के बाहर सड़क किनारे पिछले 20 घंटे से विस्थापित आदिवासी ग्रामीणों का धरना जारी है। कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के
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ग्रामीणों को मनाने के लिए पहले पिपरिया नायब तहसीलदार नीरज बैस मौके पर पहुंचे। उन्हें मनाने का प्रयास हुआ, लेकिन रात 9 बजे तक भी सभी मांगों पर अड़े रहे कि हमें पहले हमारे पुराने गांव में जाकर बसने दें, फिर हम बात करेंगे। जिसके बाद पिपरिया एसडीएम आईएएस अनिशा श्रीवास्तव, एसडीओपी पिपरिया समझाने का प्रयास किया। लेकिन ग्रामीण नहीं मानें, इसके बाद अफसर लौट गए।
रातभर खुले आसमान के बीच धरना जारी रहा।
कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे गुजारी रात
आदिवासी अपने पुराने गांव बतकछार में जाकर धरना देना चाहते थे, लेकिन उन्हें सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के सहायक संचालक संजीव शर्मा और फॉरेस्ट टीम ने एसटीआर के कोर क्षेत्र में गांव होने से सभी को गेट पर ही रोक दिया। जिसके बाद दोपहर 12बजे से विस्थापित ग्रामीण गेट के बाहर सड़क किनारे ही बैठ गए। जो रातभर तिरपाल बिछाकर और दूसरी तिरपाल ढंककर सोते व धरने पर बैठे रहे। अंधेरा होने से ग्रामीण सड़क किनारे बैठे रहे। खुले आसमान के बीच ठंड में लोगों ने रात गुजारी।
पनारपानी गेट के सामने एसटीआर प्रबंधन की गाड़ी खड़ी कर दी गई।
युवाओं ने कहा 10लाख रुपए देने का था वादा
बतकछार की आदिवासी ग्रामीण युवती ने कहा 13 साल पहले जब गांव का विस्थापन हुआ, तब हम काफी छोटे थे। हमारे माता पिता से कहा गया था कि प्रति व्यक्ति 10 लाख रुपए दिया जाएगा। हमारे माता-पिता से पेपर में हस्ताक्षर की जगह अंगूठा लगवा लिया और कहा कि आप लोगों को भी मुआवजा मिलेगा, लेकिन आज तक मुआवजा नहीं मिला। आदिवासी युवती और बुजुर्गों ने कहा हमारी कोई भी सुनवाई नहीं कर रहा है। हमें अपनी खोई जमीन वापस दी जाए या हमें मुआवजा दिया जाए। इसी मांग को लेकर सभी कड़ाके की ठंड में खुले में रातभर बच्चे, महिलाओं के साथ धरने पर बैठे हैं।
2 दिसंबर को भी धरना दिया गया था।।
पिछले महीने भी धरना देकर दी थी चेतावनी
बतकछार गांव के आदिवासी ग्रामीणों ने बच्चें और महिलाओं के साथ जमीन के बदले मुआवजा नहीं मिलने व अन्य सुविधा नहीं देने की मांग को लेकर से 2 दिसंबर को भी धरना दिया था। तब पचमढ़ी से पनारपानी गेट तक 5 किमी तक पैदल रैली निकालकर पहुंचे थे। अपनी मांगों को तख्तियां पर लिखकर रैली निकालकर पहुंचे थे। जहां गेट पर धरना दिया था। तब 15 दिसंबर 2024 तक समस्या के लिए कार्रवाई न शुरू होने पर गांव वापस जाने की धमकी दी थी। इसी कड़ी के साथ ग्रामीण शुक्रवार को धरने पर बैठ गए।
शुक्रवार को दोपहर से धरने पर बैठे ग्रामीण आदिवासी।
इन मांगों को लेकर धरना
- हर्जाना और मुआवजाः विस्थापन के कारण अब तक जो लोग पीड़ित हुए हैं या जिनकी जीविका प्रभावित हुई है, उन्हें उचित हर्जाना दिया जाए।
- कृषि भूमि आवंटन: प्रत्येक व्यक्ति को 5 एकड़ कृषि भूमि वर्तमान समय के अनुसार आवंटित की जाए और इसकी सूची तैयार की जाए। अथवा जो हमें कृषि भूमि दी जाएगी वह हमें पचमढ़ी से पिपरिया के बीच में ही दी जाए।
- प्रति व्यक्ति 5 एकड़ कृषि भूमि साथ में दी जाए।
- जिस जगह हमें विस्थापित किया जाएगा, उस जगह पर प्रशासन द्वारा स्कूल, हॉस्पिटल, विद्युत, जल की व्यवस्था दिया जाए।
- 15 दिसंबर 2024 तक समस्या के लिए कार्रवाई न शुरू होने पर गांव वापस जाने की धमकी दी थी। अपने ग्राम वापस जाने दिया जाए।
एसडीएम स्तर से कार्रवाई जारी है
एसटीआर फील्ड डायरेक्टर राखी नंदा ने बताया विस्थापित ग्रामीण अलग-अलग मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं। मुआवजा वाली मांग उनकी जायज है, जो उन्हें मिलना चाहिए, उसके लिए सरकारी भुगतान की प्रकिया है। वो एसडीएम पिपरिया स्तर पर जारी है। उन्होंने बताया विस्थापन के समय दो प्रकार दिए जाते है, 10 लाख रुपए नगद व दूसरा कुछ रुपए के साथ जमीन और रहवास की व्यवस्था। जिन्होंने 10लाख रुपए वाला विकल्प चुन लिया, उन्हें हम जमीन कैसे दे सकते हैं। बाकी प्रक्रिया जारी है।