जांजगीर-चांपा में फर्जी अंकसूची का उपयोग कर नौकरी प्राप्त करने और साक्ष्य छुपाने के आरोपी को विभिन्न धाराओं में 3-3 साल और 2 साल के सश्रम कारावास तथा अर्थदंड की सजा सुनाई है। आरोपी रामकृष्ण राठौर ने 28 दिसंबर 1984 को फर्जी अंकसूची के आधार पर मुख्य अभ
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सन 2015 में प्रार्थी जितेंद्र राठौर ने आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी। इस पर आरोपी ने विभाग में अंकसूची के गुम होने का दावा किया और शपथ पत्र में अपनी जन्मतिथि 05/08/1953 बताया। विभाग ने इसे मानते हुए आरोपी को 31 अगस्त 2015 को सेवानिवृत्त कर दिया।
प्रार्थी की शिकायत पर पुलिस ने जांच की तो आरोपी की फर्जी अंकसूची का खुलासा हुआ। संबंधित स्कूल से जांच में पता चला कि आरोपी ने वह परीक्षा नहीं दी थी और अंकसूची शाला द्वारा जारी नहीं की गई थी। इस मामले में शासन की ओर से सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी एस. अग्रवाल ने पैरवी की।