बखिरा पक्षी अभयारण्य में विदेशी पक्षियों का खुला शिकार।
संतकबीरनगर के बखिरा स्थित मोती झील पक्षी अभयारण्य में प्रवासी पक्षियों का अवैध शिकार धड़ल्ले से चल रहा है। 1990 से पक्षी अभयारण्य घोषित इस झील में स्थानीय शिकारी बेरहमी से पक्षियों का शिकार कर रहे हैं। विशेष रूप से झुंगिया और शनिचरा गांव के शिकारी रा
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शिकारियों ने झील को अपना अड्डा बना लिया है, जहां वे खाना पकाने के लिए चूल्हा-बर्तन तक रखते हैं। शिकार किए गए पक्षियों की बिक्री के लिए एक सुव्यवस्थित नेटवर्क काम कर रहा है। गोरखपुर के सहजनवां और बस्ती से लोग महंगी गाड़ियों में आकर इन पक्षियों की खरीदारी करते हैं।
बाजार में अलग-अलग प्रजातियों के पक्षियों के दाम तय हैं। लालसर 2000 रुपये, टिकिया 500 रुपये, कैमा 400 रुपये, सेवार 800 रुपये, पटियरा और पुछास 500 रुपये प्रति पक्षी की दर से बेचे जा रहे हैं। स्थानीय गांवों में रोज सुबह इन पक्षियों की खुली नीलामी होती है।
इस पूरे मामले में वन विभाग और पुलिस प्रशासन की चुप्पी चिंताजनक है। रेंजर प्रीति पाण्डेय का कहना है कि उन्हें इस अवैध शिकार की कोई जानकारी नहीं है, हालांकि उन्होंने शिकार रोकने के प्रयास जारी होने की बात कही है। यह स्थिति न केवल वन्यजीव संरक्षण कानूनों का खुला उल्लंघन है, बल्कि प्रवासी पक्षियों के अस्तित्व के लिए भी बड़ा खतरा बन गई है।
शिकारियों से इन्हें खरीदते हैं तस्कर
शिकारियों द्वारा मेहमान व प्रवासी पक्षियों को लाकर झील के बाहर मौजूद तस्करों को दो सौ से पांच सौ रुपये प्रति चिड़िया के हिसाब से बेच दिया जाता है। जिसमें अलग-अलग चिड़ियों की वजन व प्रजाति रहती है। फिर शुरू होता है तस्करों का खेल। वे सब पहले से ही मोबाईल या अन्य माध्यम से चिडियों को बेचने के लिए ग्राहक तय किए रहते हैं। जिन्हें ये तस्कर बड़ी चालाकी से अपने गाहकों को पांच सौ से एक हजार रुपये में आसानी से बेच देते हैं।
एडवांस में होती है चिड़ियों की बुकिंग
स्वाद के शौकीन ग्राहक चिड़ियों को खाने या खिलाने का आर्डर पहले से ही तस्करों को बुक कराए रहते हैं। ये ग्राहक स्थानीय के अलावा आस पास के कई जिलों के होते हैं। जो तस्करों के लिए काफी मुफीद साबित होते हैं। जिसमे कुछ राजनेता व प्रशासनिक लोग भी शामिल होते हैं। जिनके द्वारा तस्करों को पूरा संरक्षण दिया जाता है।
तस्करों का विरोध गांव में या स्थानीय स्तर पर यदि कोई करता है उसे ये तस्कर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर धमकी आदि देकर चुप करा देते हैं।जानकारी नही बखिरा पक्षी विहार की रेंजर प्रीति पाण्डेय ने कहा कि पक्षियों का शिकार होने की जानकारी नहीं है। टीम के साथ रात-दिन गस्त कर रहे हैं। शिकारी पकड़ में आते ही इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लकड़ी या घास के बहाने स्थानीय लोग झील के अन्दर चले जाते हैं।