प्रयागराज9 मिनट पहले
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ये तस्वीर भाेर में 4.15 बजे की है। कुछ इस तरह से लोग इन्हें घड़ों के जल से स्नान कराते दिखे।
तारीख : 23 जनवरी.. घड़ी में भोर के 4 बजे थे। प्रयागराज के महाकुंभ मेला क्षेत्र स्थित सेक्टर-20 यानी अखाड़ों का स्थान। श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के मेन गेट के पास एक नागा संन्यासी जमीन पर बैठे हैं। 10 से ज्यादा लोग एक-एक कर घड़े का पानी उनके ऊपर डालते जा रहे थे। चारों तरफ लोग उन्हें घेरकर हर-हर गंगे-हर-हर महादेव का उद्घोष करते दिखे। नजदीक जाकर देखा, तो बहुत ही अनूठी तपस्या देखने को मिली।
पूछने पर बगल में खड़े अखाड़े के श्रीमहंत बलराम भारती ने बताया- यह नागा संन्यासी प्रमोद गिरि हैं, जो जलधारा तपस्या कर रहे हैं। आज 21 दिन बाद इनकी यह तपस्या पूरी हुई है। इसलिए आखिरी दिन 108 घड़े में भरे गंगाजल से स्नान कर रहे हैं।
आइए, सबसे पहले जानते हैं जलधारा तपस्या के बारे में
रोज भोर में 4 बजे उठकर घड़े में रखे जल से स्नान करना होता है।
नागा बाबा प्रमोद गिरि ने दैनिक भास्कर को जलधारा तपस्या के बारे में पूरी जानकारी दी। उन्होंने बताया- जलधारा तपस्या आसान नहीं होती। यह 41 दिन में पूरी होती है। लेकिन महाकुंभ में समय और स्थान की कमी के चलते हमने 21 दिन में तपस्या पूरी की है।
इसमें रोज भोर में 4 बजे उठकर घड़े में रखे जल से स्नान करना होता है। तपस्या के अंतिम दिन 108 घड़े के पानी से स्नान होता है। इसमें अखाड़े के सभी साधु-संत शामिल होकर आशीर्वाद देते हैं।
रोज बढ़ती जाती है घड़ों की संख्या प्रमोद गिरी महाराज ने महाकुंभ में गंगा के तट पर 3 जनवरी को यह जलधारा तपस्या शुरू की थी। पहले दिन 31 घडे़े गंगाजल से स्नान किया था। रोज कभी 2 तो कभी 3 घड़ों की संख्या बढ़ाई जाती है। इसी तरह 21वें दिन 108 घड़े के जल से स्नान कर इस तपस्या का समापन किया जाता है। प्रमोद गिरि ने बताया कि वह अभी तक 9 बार जलधारा तपस्या कर चुके हैं। इसी तरह भीषण गर्मी में अग्नि तपस्या होती है।
नागा बाबा प्रमोद गिरि ने दैनिक भास्कर को जलधारा तपस्या के बारे में पूरी जानकारी दी।
16 साल की उम्र में बन गए थे नागा बाबा प्रमोद गिरि महराज 16 साल की उम्र ही नागा संन्यासी बन गए थे। श्रीश्री 1008 श्री दिगंबर राम गिरि जी महाराज (हांडी कुंडी वाले नागेश्वर बाबा) के शिष्य हैं। इनके गुरु समाधि ले चुके हैं। लेकिन, प्रमोद गिरि अपने गुरु की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इस तपस्या को अपने जीवन का आधार बना लिया है। नागा बाबा प्रमोद गिरि बताते हैं कि राष्ट्र कल्याण और विश्व कल्याण के लिए यह जलधारा तपस्या करते हैं।
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