समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए 20 जनवरी से पंजीयन शुरू करने के निर्देश प्रदेश सरकार ने दिए हैं लेकिन अब तक यह पंजीयन शुरू नहीं हो सके हैं। किसान पंजीयन केंद्रों से निराश होकर लौट रहे हैं। ऐसा अब तक गिरदावरी नहीं होने के कारण हो रहा है। गिरदावरी न
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खेत में गेहूं, मसूर की फसल फूलने लगी है। गिरदावरी पोर्टल पर अब भी खेत में सोयाबीन की फसल दिखाई जा रही है। 2024 में खरीफ मौसम में की गई गिरदावरी की फसल अब भी पोर्टल पर दिखाई जा रही है। उसके बाद से पोर्टल अपडेट नहीं हुआ है। इस कारण पुरानी फसल ही दिखाई जा रही है। यही कारण है कि अब तक समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए पंजीयन शुरू नहीं हो पाए हैं।
पहले गिरदावरी होगी। एप और पोर्टल पर किसान के खेत में बोई फसल व रकबा दर्ज होगा। इसके बाद गेहूं बेचने के लिए पंजीयन करा पाएगा। अपर कलेक्टर रूपेश उपाध्याय ने बताया कि अब तक इस संबंध में कोई जानकारी नहीं आई है कि पंजीयन में कोई समस्या हो रही है। पता करता हूं क्या स्थिति है।
ये सोयाबीन नहीं गेहूं है साहब
गेहूं बेचने के लिए पंजीयन नहीं होने के पीछे के कारण पता किए तो जानकारी मिली कि अब तक पोर्टल अपडेट नहीं है। इसे देखा तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई। बांदरी तहसील के हलका हडुआ के ग्राम हडुआ में खसरा नंबर 328/2 पर 0.810 हेक्टेयर जमीन पर गेहूं की फसल बोई गई है। इसकी पुष्टि मौके पर जाकर की गई। किसान के साथ फसल की तस्वीर भी ली। किसान एप पर अब भी 2024 में बोई गई सोयाबीन की फसल बताई जा रही है। जबकि इसे काटकर उपज को बेचा चुका है।
खरीदी के पंजीयन के लिए अनिवार्य है गिरदावरी
फसल बेचने के लिए ई-उपार्जन पोर्टल पर किसान का पंजीयन होता है। इस ई-उपार्जन पोर्टल पर किसान पंजीयन में जमीन की जानकारी भू-अभिलेख डाटाबेस व बोई गई फसल की जानकारी गिरदावरी एप से ली जाती है। किसान पंजीयन के लिए गिरदावरी की अनिवार्यता है। इसमें फिलहाल किसान के जमीन की जानकारी तो भू अभिलेख के रिकॉर्ड से मिल जा रही है, लेकिन गिरदावरी नहीं होने के कारण एप पर उस जमीन पर बोई फसल की जानकारी सही नहीं मिल रही है। यह अब भी खरीफ की फसल ही दिखा रहा है।
सर्वेक्षक करते हैं गिरदावरी, पटवारी करते प्रमाणित
राजस्व विभाग के मुताबिक गिरदावरी किसान खुद भी एप के माध्यम से कर सकते हैं। साथ ही इसके लिए प्रत्येक हल्का में सर्वेक्षक भी रखे हैं। यह सर्वेक्षक मौके पर जाकर फसल देखकर खसरा नंबर पर फसल चढ़ाते हैं। पटवारी उसे प्रमाणित करते हैं। किसान खुद अपने खसरा नंबर पर फसल चढ़ाते हैं तो भी इसे पटवारी प्रमाणित करते हैं। पटवारी के प्रमाणित करने के बाद ही उसे सही व प्रामाणिक माना जाता है। हालांकि यह काम अब तक शुरू नहीं हुआ है। कुछ पटवारियों ने ही यह काम शुरू किया है।
गिरदावरी शुरू हुई, इसके बाद पंजीयन भी होंगे
बांदरी तहसीलदार अनिल कुशवाहा ने बताया कि गिरदावरी शुरू हो गई है। इसके साथ ही पंजीयन भी होने लगेगा। गिरदावरी जैसे जैसे पूरी होगी, पोर्टल पर फसल अपडेट होती जाएगी।