Wednesday, June 18, 2025
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रेप और POCSO पीड़िता की केस खत्म करने की मांग: केरल हाईकोर्ट का याचिका पर सुनवाई से इनकार; कहा-अपराध साबित हुआ, केस रद्द नहीं होगा


कोच्चिकुछ ही क्षण पहले

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प्रतीकात्मक तस्वीर।

केरल हाईकोर्ट ने शनिवार को POCSO एक्ट के तहत दर्ज एक मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया है। याचिका पीड़िता और उसकी मां ने दायर की थी। जिसमें उन्होंने आरोपियों के खिलाफ मामला खत्म करने की मांग की थी।

केरल हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब IPC के तहत रेप या POCSO एक्ट के तहत आने वाले गंभीर अपराध साबित होते हैं, तो ऐसे मामलों को खत्म करने के लिए पीड़िता की याचिका को वरीयता नहीं दी जा सकती।

पीड़िता और उसकी मां ने जो दावे किए हैं उनके आधार पर भी मामले को रद्द नहीं किया जा सकता। ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया कि वह इस मामले की सुनवाई तेजी से पूरी करे और 3 महीने के भीतर इसका निपटारा करे।

क्या है पूरा मामला पीड़िता ने डांस टीचर और उसकी पत्नी के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया था। पुलिस को दिए बयान में पीड़िता ने बताया था कि 2015 में जब वह नाबालिग थी, तब डांस टीचर ने उसे फिल्म और रियलिटी शो में काम दिलाने का वादा करके कई बार उसके साथ यौन संबंध बनाए। डांस टीचर ने शादी का वादा करके उसका शारीरिक शोषण किया।

जब डांस टीचर ने किसी और से शादी कर ली, तो पीड़िता ने उसकी पत्नी को उनके रिलेशन के बारे में बताया। डांस टीचर की पत्नी ने पीड़िता से कहा कि वह भी उसके पति से शादी कर सकती है। इसके बाद, डांस टीचर की पत्नी ने अपने पति की पीड़िता से शारीरिक संबंध बनाने में मदद की और उन्हें बढ़ावा दिया।

पीड़िता और उसकी मां ने बयान बदले हालांकि 2020 में जब पीड़िता बालिग हुई तो वह मजिस्ट्रेट के सामने पहले के सभी आरोपों से पलट गई। उसने कहा कि डांस टीचर ने उसके साथ न तो रेप किया और न ही छेड़छाड़ की। उसकी पत्नी की भी इसमें कोई भूमिका नहीं है। पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने दावा किया कि उसे डांस टीचर और उसकी पत्नी के खिलाफ झूठे आरोप लगाने के लिए मजबूर किया गया था।

उसकी मां ने पहले शिकायत दर्ज करवाई थी, उसने भी अपने आरोपों से पीछे हटते हुए मामले को खत्म करने की मांग की।

हाईकोर्ट का सख्त रुख हाईकोर्ट ने इन सभी दलीलों को खारिज किया और साफ कहा कि जब गंभीर अपराध सिद्ध होते हैं, तो पीड़िता की याचिका को प्राथमिकता नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने आरोपियों को मुकदमे में सहयोग करने का निर्देश दिया।

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