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पोप फ्रांसिस की जिंदगी खतरे से बाहर: फेफड़ों का इन्फेक्शन ठीक होने में समय लगेगा; एक हफ्ते से अस्पताल में भर्ती


रोम56 मिनट पहले

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पोप बीते 1000 साल में कैथोलिक धर्म के सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाले पहले गैर-यूरोपीय हैं। - Dainik Bhaskar

पोप बीते 1000 साल में कैथोलिक धर्म के सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाले पहले गैर-यूरोपीय हैं।

कैथलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस की हालत अब खतरे से बाहर है। पोप दोनों फेफड़ों में निमोनिया और सांस नली में संक्रमण से जूझ रहे हैं। वे पिछले एक हफ्ते से रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती हैं।

डॉक्टरों ने बताया है कि वे बीमारी से पूरी तरह रिकवर नहीं हुए हैं, पर अब खतरे की कोई बात नहीं है। डॉक्टरों ने ये भी कहा कि ऐसी हालत में भी पोप ने हंसी-मजाक करना नहीं छोड़ा है।

एक दिन पहले खबरें सामने आई थीं कि 88 साल के पोप की हालत बेहद गंभीर है। स्विस न्यूज पेपर ब्लिक ने बताया था कि पोप के अंतिम संस्कार की रिहर्सल शुरू हो गई है।

इस खबर के सामने आने के बाद स्विस गार्ड के प्रवक्ता ने इसे अफवाह बताया और कहा कि गार्ड्स अपने सामान्य रूटीन के मुताबिक काम कर रहे हैं।

वेटिकन बोला- पोप अस्पताल से ही काम कर रहे

  • सोमवार को वेटिकन ने कहा था कि पोप फ्रांसिस को सांस नली में पॉलीमाइक्रोबियल इन्फेक्शन है, जिसकी वजह से उनके मेडिकल ट्रीटमेंट में बदलाव करना पड़ा है।
  • मंगलवार को जारी बयान में कहा गया कि दोनों फेफड़ों में निमोनिया होने के बावजूद पोप फ्रांसिस अच्छे मूड में हैं।
  • बुधवार को बताया गया था कि पोप की हालत गंभीर बनी हुई है। वेटिकन के प्रवक्ता माटेओ ब्रूनी के मुताबिक मंगलवार तक पोप फ्रांसिस से उनके सबसे करीबी सहयोगियों के अलावा कोई और मिलने नहीं आया। ब्रूनी ने बताया कि पोप अस्पताल से ही काम कर रहे हैं।
  • गुरुवार को पोप के अंतिम संस्कार की रिहर्सल सामने आने के बाद रोमन कैथोलिक चर्च के हेडक्वार्टर वेटिकन ने बताया कि पोप की हालत स्थिर है। उनके ब्लड टेस्ट में थोड़ा सुधार दिखाई दे रहा है। CNN ने वेटिकन के एक सोर्स के हवाले से बताया कि पोप अपने बेड से उठकर अस्पताल के कमरे में कुर्सी पर बैठने की हालात में हैं।
पोप के जल्द स्वस्थ होने के लिए उनके अनुयायी दुनिया भर में प्रार्थना कर रहे हैं।

पोप के जल्द स्वस्थ होने के लिए उनके अनुयायी दुनिया भर में प्रार्थना कर रहे हैं।

पोप से मिलने पहुंचीं मेलोनी, कहा- उनके चेहरे पर मुस्कान है बुधवार को इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी पोप से मिलने पहुंची थीं। दोनों के बीच करीब 20 मिनट की मुलाकात हुई। मुलाकात के बाद में मेलोनी ने बताया कि पोप की हालत में हल्का सुधार है और चेहरे पर मुस्कान बनी हुई है।

मेलोनी ने कहा, ‘पोप और मैंने हमेशा की तरह मजाक किया। पोप ने अपना सेंस ऑफ ह्यूमर नहीं खोया है।’ पोप के भर्ती होने के बाद मेलोनी उनसे मिलने वाली पहली नेता हैं।

दुनिया के अलग अलग हिस्सों से लोग खत लिखकर पोप के लिए सद्भावना जाहिर कर रहे हैं।

दुनिया के अलग अलग हिस्सों से लोग खत लिखकर पोप के लिए सद्भावना जाहिर कर रहे हैं।

1000 साल में पोप बनने वाले पहले गैर-यूरोपीय पोप फ्रांसिस अर्जेंटीना के एक जेसुइट पादरी हैं, वो 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बने थे। उन्हें पोप बेनेडिक्ट सोलहवें का उत्तराधिकारी चुना गया था। पोप फ्रांसिस बीते 1000 साल में पहले ऐसे इंसान हैं जो गैर-यूरोपीय होते हुए भी कैथोलिक धर्म के सर्वोच्च पद पर पहुंचे।

पोप का जन्म 17 दिसम्बर 1936 को अर्जेंटीना के फ्लोरेस शहर में हुआ था। पोप बनने से पहले उन्होंने जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो नाम से जाना जाता था। पोप फ्रांसिस के दादा-दादी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी से बचने के लिए इटली छोड़कर अर्जेंटीना चले गए थे। पोप ने अपना ज्यादातर जीवन अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में बिताया है।

वे सोसाइटी ऑफ जीसस (जेसुइट्स) के सदस्य बनने वाले और अमेरिकी महाद्वीप से आने वाले पहले पोप हैं। उन्होंने ब्यूनस आयर्स यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र और धर्मशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की थी। साल 1998 में वे ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप बने थे। साल 2001 में पोप जॉन पॉल द्वितीय ने उन्हें कार्डिनल बनाया था।

वेटिकन में चर्च के बाहर कुर्सियां लगा दी गई हैं।

वेटिकन में चर्च के बाहर कुर्सियां लगा दी गई हैं।

पोप पर लगा था समलैंगिकों के अपमान का आरोप पिछले साल पोप पर समलैंगिक पुरुषों को लेकर अभद्र टिप्पणी करने का आरोप लगा था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि पोप ने समलैंगिक लोगों के लिए इटालियन भाषा के एक बेहद आपत्तिजनक शब्द ‘फैगट’ का इस्तेमाल किया।

फैगट शब्द को साधारण तौर पर समलैंगिक पुरुषों के कामुक व्यवहार को बताने के लिए किया जाता है। इसकी LGBTQ समुदाय आलोचना करता रहा है।

हालांकि विवाद के बाद पोप फ्रांसिस ने माफी मांग ली थी। तब वेटिकन ने कहा था कि पोप का इरादा किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था। अगर किसी को उनकी बात से ठेस पहुंची है तो वो इसके लिए वे माफी मांगते हैं।

पोप फ्रांसिस के मुख्य फैसले

  • समलैंगिक व्यक्तियों के चर्च आने पर: पद संभालने के 4 महीने बाद ही पोप से समलैंगिकता के मुद्दे पर सवाल किया था। इस पर उन्होंने कहा, ‘अगर कोई समलैंगिक व्यक्ति ईश्वर की खोज कर रहा है, तो मैं उसे जज करने वाला कौन होता हूं।’
  • पुनर्विवाह को धामिक मंजूरी: पोप ने दोबारा शादी करने वाले तलाकशुदा कैथोलिक लोगों को धार्मिक मान्यता दी। उन्होंने सामाजिक बहिष्कार को खत्म करने के लिए ऐसे लोगों को कम्यूनियन हासिल करने का अधिकार दिया। कम्यूनियन एक प्रथा है जिसमें यीशु के अंतिम भोज को याद करने के लिए ब्रेड/पवित्र रोटी और वाइन/अंगूर के रस का सेवन किया जाता है। इसे प्रभु भोज या यूकरिस्ट के नाम से भी जाना जाता है।
  • बच्चों के यौन शोषण पर माफी मांगी: पोप फ्रांसिस ने अप्रैल 2014 में पहली बार चर्चों में बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण की बात स्वीकार की और सार्वजनिक माफी भी मांगी। चर्च के पादरियों की तरफ से किए गए इस अपराध को उन्होंने नैतिक मूल्यों की गिरावट कहा था। इससे पहले तक किसी पोप की तरफ से इस मामले पर प्रतिक्रिया नहीं देने की वजह से वेटिकन की आलोचना की जाती थी।
  • पिछले साल 27 सितंबर को बेल्जियम की यात्रा के दौरान बच्चों के यौन शोषण पर कैथोलिक चर्चों से माफी मांगने के लिए कहा। उन्होंने ब्रुसेल्स में पादरियों से यौन उत्पीड़न के शिकार 15 लोगों से मुलाकात भी की।

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