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महाशिवरात्रि पर पढ़ें यह व्रत कथा, मिलेगा पूजा का संपूर्ण फल, शिकारी चित्रभानु जैसी पाएंगे शिव कृपा!


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Maha Shivratri Vrat Katha: महाशिवरात्रि पर शिव जी की पूजा में बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी आदि का जितना महत्व है, उतना ही व्रत कथा का भी है. शिव पूजा कर रहे हैं, तो आपको महाशिवरात्रि की व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए. …और पढ़ें

महाशिवरात्रि व्रत कथा.

हाइलाइट्स

  • महाशिवरात्रि पर शिव पूजा का विशेष महत्व है.
  • व्रत कथा पढ़ने से पूजा का संपूर्ण फल मिलता है.
  • शिकारी चित्रभानु को मोक्ष की प्राप्ति हुई.

महाशिवरात्रि के दिन विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. इस साल महाशिवरात्रि 26 फरवरी बुधवार को मनाई जाएगी. महाशिवरात्रि पर शिव जी की पूजा में बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी आदि का जितना महत्व है, उतना ही व्रत कथा का भी है. यदि आप महाशिवरात्रि पर व्रत रखकर शिव पूजा कर रहे हैं, तो आपको महाशिवरात्रि की व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए. शिवपुराण में महाशिवरात्रि की व्रत कथा और उसके महत्व के बारे में बताया गया है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं महाशिवरात्रि की व्रत कथा.

महाशिवरात्रि व्रत कथा
महाशिवरात्रि की व्रत कथा एक शिकारी चित्रभानु के बारे हैं, जिसने अनजाने में शिवरा​त्रि का व्रत और पूजन किया और उसे अंत में मोक्ष की प्राप्ति हुई. शिव पुराण की कथा के अनुसार, एक गांव में चित्रभानु शिकारी रहता था. वह कर्ज के तले दबा हुआ था. कर्ज से उसकी मुक्ति नहीं हो पा रही थी. एक दिन साहूकार आया और उसे पकड़कर ए​क शिव मठ में कैद कर दिया. उस दिन शिवरात्रि थी. वहां पर चित्रभानु को शिवरात्रि की कथा सुनने को मिली. जब शाम हुई तो चित्रभानु ने उस साहूकार से कहा कि अगर वह उसे छोड़ देता है तो वह अगले दिन उसका कर्ज चुका देगा. उसकी बात पर विश्वास करके साहूकार ने चित्रभानु को छोड़ दिया.

शिकारी चित्रभानु पर कर्ज चुकाने का दवाब था, इसलिए वह सीधे जंगल की ओर भागा, ताकि कोई शिकार मिल जाए. वह जंगल में एक तालाब के पास पहुंचा, जहां एक बेलपत्र का पेड़ था. उस पेड़ के नीचे ही एक शिवलिंग भी था, जो बेलपत्र से ढंक गया था. हालांकि यह बात चित्रभानु को पता नहीं थी. वह बेलपत्र के पेड़ पर चढ़ गया और वहां ठिकाना बना लिया. वहां बैठकर व​ह शिकार की तलाश करने लगा. उसे भूख और प्यास लगी थी. वह बेलपत्र को तोड़ता और नीचे गिरा देता, जो शिवलिंग पर गिर रहा था. इससे अनजाने में उससे​ शिवजी की पूजा हो गई.

कुछ देर बाद ए​क हिरण आई, जिसके पेट में बच्चा था, वह तालाब में पानी पीने आई थी. चित्रभानु उसका शिकार करने को तैयार था. उस हिरण ने चित्रभानु से कहा कि वह गर्भवती है, यदि उसकी हत्या करते हो तो दो लोगों की हत्या का पाप लगेगा. यदि तुम जीवनदान दे दो, तो बच्चे को जन्म देने के बाद वह तुम्हारे पास शिकार के लिए आ जाएगी. हिरण की बात सुनकर चित्रभानु ने उसे जीवनदान दे दिया.

कुछ समय व्यतीत हुआ तो एक दूसरी हिरण वहां आई, चित्रभानु उसका शिकार करना चाहता था. तब उस हिरण ने शिकारी से कहा कि वह पति की तलाश में भटक रही है और काम वासना से पीड़ित है. वह पति से मिलने के बाद शिकार के लिए उपस्थि​त हो जाएगी. अभी जाने दो. चित्रभानु ने उसे भी जाने दिया.

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रात हो गई, काफी समय बीतने के बाद एक हिरण अपने बच्चों के साथ तालाब के किनारे आई. चित्रभानु एक बार फिर शिकार करने के लिए तैयार हो गया. हिरण ने चित्रभानु को देखा तो कहा कि वह उनका शिकार न करे. वह बच्चों के पिता की तलाश कर रही है, वह जैसे ही मिल जाएगा, वह शिकार बनने के लिए उसके पास आ जाएगी. शिकारी को दया आई, उसने उनको भी छोड़ दिया.

चित्रभानु बेलपत्र तोड़कर शिवलिंग पर नीचे गिरा रहा था. सुबह होने वाली थी, तभी एक हिरण वहां आया. उसने चित्रभानु से पूछा कि क्या तुमने 3 हिरण और उनके बच्चों का शिकार किया है? यदि तुमने उनको मारा है तो मुझे भी मार दो. अगर उनको नहीं मारा है तो मुझे भी जाने दो. उसने आश्वासन दिया कि परिवार से मिलने के बाद वह शिकार के लिए उपस्थित हो जाएगा. चित्रभानु ने उस हिरण को भी जाने दिया.

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इधर चित्रभानु से अनजाने में शिवलिंग की पूजा और रात्रि जागरण हो गई. उस समय उसके मन में दया का भाव उमड़ पड़ा और अब तक किए गए शिकार पर उसे पश्चाताप होने लगा. वह यह सब सोच रहा था, तभी हिरण का पूरा परिवार उसके सामने शिकार बनने के लिए आ गया. चित्रभानु ने उस पूरे हिरण परिवार को जीवनदान दे दिया.

शिकारी चित्रभानु से अनजाने में शिवरात्रि का व्रत हो गया. जब चित्रभानु का अंत समय आया तो उस व्रत के पुण्य प्रभाव से उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई. शिव कृपा से उसे शिवलोक में स्थान मिला.

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