6 जिलों की 12 प्रमुख आर्द्रभूमियों में टीम ने किया सर्वे। इस दौरान 9381 पक्षी दर्ज किए गए।
बिहार के वेटलैंड्स में इस बार प्रवासी पक्षियों की रौनक बढ़ गई है। झीलों और तालाबों में हजारों परिंदों की चहचहाहट इन दिनों गूंज रही है। दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (CUSB) के शोधकर्ताओं ने एशियाई जलपक्षी जनगणना (AWC) में 119 प्रजातियों के 9381
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CUSB के शोधकर्ताओं ने एशियाई जलपक्षी जनगणना में 119 प्रजातियों के 9381 पक्षी दर्ज किए हैं।
हर जिले में दिखे अनोखे नजारे
- CUSB की टीम ने 02-16 फरवरी 2025 के बीच औरंगाबाद, अरवल, गया, जहानाबाद, नवादा और भोजपुर के जलाशयों में सर्वे किया। नतीजे चौंकाने वाले रहे।
- नवादा के हरदिया बांध में 1286 जलपक्षियों की 52 प्रजातियां दर्ज।
- औरंगाबाद के इंद्रपुरी बैराज वेटलैंड में 2268 पक्षी मिले, जो बिहार के सबसे बड़े वेटलैंड्स में शामिल है।
- गया के बरनडीह व बरवाडीह वेटलैंड्स में पक्षियों की भारी मौजूदगी दर्ज हुई।
- जहानाबाद की पाताल गंगा झील में 200 से ज्यादा कॉमन टील और ग्रीनशेंक देखे गए।
- भोजपुर में महुली घाट से मनेर घाट तक गंगा नदी के किनारों का भी सर्वे किया गया।
प्रवासी मेहमानों की दस्तक
शोधकर्ताओं ने कई दुर्लभ प्रवासी पक्षियों को रिकॉर्ड किया। नॉब बिल्ड डक, गेडवाल, रेड-क्रेस्टेड पोचर्ड, कॉमन टील, कॉटन टील, नॉर्दन शॉवलर और गार्गनी के झुंड देखे गए। खास बात यह कि ब्लैक स्टॉर्क, पाइड एवोकेट और बार-हेडेड गूज की मौजूदगी ने वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया। हिमालय से आने वाले इन पक्षियों के लिए यह क्षेत्र अहम शीतकालीन आवास बन रहा है।
बिहार में वेटलैंड संरक्षण पर जोर
एशियाई जलपक्षी जनगणना वेटलैंड इंटरनेशनल और एशियाई वेटलैंड ब्यूरो द्वारा संचालित एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है। इस बार बिहार सरकार ने 32 जिलों के 109 वेटलैंड्स को अध्ययन में शामिल किया। CUSB के प्रो. राम प्रताप सिंह ने कहा कि जलपक्षियों की मौजूदगी वेटलैंड की सेहत का पैमाना होती है। बिहार में इनकी बढ़ती संख्या संरक्षण प्रयासों की सफलता का संकेत है।