बालोद जिले के NH 930 प्रोजेक्ट के तहत खरखरा केनाल के पास 9 महीने पहले पुल बनाया गया। लेकिन अब तक वहां संकेतक, डिवाइडर, बैरियर और लाइट नहीं लगाई गई हैं। पुल के बीच में बड़ा गड्ढा बन गया है। जिससे लोग रात में लगातार गिर रहे हैं।
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अंधेरे और प्रशासन की अनदेखी के कारण हर सप्ताह हादसे हो रहे हैं। अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है।
बालोद जिले के खरखरा केनाल के पास बना पुल
अंधेरा बना हादसों की वजह, प्रशासन बेखबर
वार्डवासी किशोरनाथ योगी ने बताया कि उनके सामने ही तीन हादसे हो चुके हैं। रात में अंधेरा होने से यह खतरनाक हो गया है और बड़े हादसे हो सकते हैं। इसके बावजूद प्रशासन और जनप्रतिनिधि कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।
संकेतक और बैरियर लगाना भूल गए जिम्मेदार
बालोद-दल्ली मुख्य मार्ग पर आमापारा केनाल के पास बना चौराहा और पुल खतरनाक होता जा रहा है। पुल के पास सड़क की चौड़ाई 6 मीटर कम हो जाती है, जिससे हर दो दिन में हादसे हो रहे हैं। पुल निर्माण एजेंसी और मॉनिटरिंग करने वाले अफसरों ने संकेतक और बैरियर लगाना ही भूल गए।

पुल में रात के समय अंधेरा रहता है
व्यस्त रास्ते पर खतरा, जिम्मेदार मौन
इस रास्ते से कलेक्टर, एसपी, प्रशासनिक अधिकारी, भाजपा-कांग्रेस के नेता और नगर पालिका के जनप्रतिनिधि गुजरते हैं। जिला अस्पताल, सिटी कोतवाली, लीड कॉलेज, आईटीआई सहित सरकारी और निजी संस्थानों में जाने वाले हजारों लोग भी इस रास्ते का उपयोग करते हैं। यात्री बसों, ट्रकों और अन्य वाहनों की आवाजाही भी यहां अधिक है, लेकिन फिर भी जिम्मेदार मौन हैं।
स्ट्रीट लाइट नहीं, चेतावनी संकेतक भी गायब
वार्डवासी रविंद्र नेताम ने बताया कि पुल और चौराहे पर स्ट्रीट लाइट नहीं लगी हैं और न ही कोई चेतावनी संकेतक हैं। रात में यह जगह वाहन चालकों के लिए और खतरनाक हो जाती है। लोग रोजाना अपनी जान जोखिम में डालकर इस रास्ते से गुजरने को मजबूर हैं। लोगों ने इस चौराहे पर सुरक्षा व्यवस्था की मांग की है।
अव्यवस्थाओं पर कोई जवाब नहीं
NH विभाग, केंद्र और राज्य सरकार ने एजेंसी के माध्यम से काम कराने की जिम्मेदारी दी है, लेकिन मॉनिटरिंग करने वाले एसडीओ टीकम ठाकुर और इंजीनियर वसीम जानबूझकर कुछ कहने से बच रहे हैं।
वहीं, नगर पालिका के सीएमओ सौरभ शर्मा भी इस समस्या पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। अपर कलेक्टर चंद्रकांत कौशिक ने कहा कि वे एनएच विभाग के अधिकारियों से चर्चा करेंगे।