नर्सिंग छात्रा की मौत की जांच, कलेक्टर ने अस्पताल में मरीजों की भर्ती बैन कर दिया है।
बिलासपुर के यूनिटी हॉस्पिटल में नर्सिंग छात्रा की मौत एनेस्थेसिया के ओवरडोज से होने की आशंका है। स्वास्थ्य विभाग की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर कलेक्टर अवनीश शरण ने अस्पताल में 15 दिनों तक नए मरीजों की भर्ती बैन कर दिया है।
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अब इस केस में पुलिस भी अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने की तैयारी में है। दरअसल, परिजनों ने पुलिस को बताया कि सर्जरी से पहले छात्रा को गलत तरीके से एनेस्थेसिया दी गई, जिसके बाद वो कोमा में चली गई। उन्होंने इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप भी लगाया है। मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है।
दरअसल, मुंगेली जिले के सिलदहा की रहने वाली किरण वर्मा (21 साल) मोपका शासकीय नर्सिंग कॉलेज में थर्ड ईयर की छात्रा थी। वो बिलासपुर में रहती थी। इस दौरान उसके गले में थायराइड की गांठ होने की जानकारी मिली।
डॉक्टरों ने उसे इलाज के लिए सर्जरी कराने की सलाह दी थी। जिस पर वो 7 मार्च को परिजन के साथ यूनिटी हॉस्पिटल पहुंची थी। सभी जरूरी टेस्ट के बाद उसे शाम को ऑपरेशन के लिए ले जाया गया। जिसके बाद उसे एनेस्थेसिया दिया गया, जिससे वो बेहोश हो गई। फिर झटके के साथ कोमा में चली गई।
आनन-फानन में उसके गले में छेद कर ऑक्सीजन सपोर्ट दिया और उसे आईसीयू में भर्ती कर दिया।
यूनिटी हॉस्पिटल में सर्जरी से पहले ही छात्रा की मौत हो गई।
मौत की खबर सुन भड़के परिजन, पुलिस ने शुरू की जांच
परिजनों का आरोप है कि दो दिन तक किरण को आईसीयू में रखा गया। इस दौरान न तो उससे मिलने दिया और न ही किसी तरह की जानकारी दी गई। अस्पताल में इलाज नहीं हुआ तो उसे दूसरी जगह रेफर करना था। लेकिन, उन्हें सिर्फ गुमराह किया गया। वो अपनी बेटी से मिलना चाहते थे, लेकिन उन्हें बाहर ही रखा गया।
फिर 10 मार्च की रात अचानक अस्पताल प्रबंधन ने परिजन को बुलाकर किरण की मौत की सूचना दी। जिससे परिजन भड़क गए और अस्पताल में जमकर हंगामा मचाया। उन्होंने इस मामले की पुलिस से शिकायत की है। पुलिस ने उनका बयान दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
भर्ती रजिस्टर में भी कूटरचना का आरोप
परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप लगाए हैं। इसके साथ ही इस मामले में बड़ी गड़बड़ी भी सामने आई है, जहां अस्पताल के रिकॉर्ड में भर्ती की तारीख 27 फरवरी दर्ज की गई।
वहीं, परिजन ने किरण को 7 मार्च को भर्ती कराने की जानकारी दी है। इस अनियमितता से अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। वहीं, परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर कूटरचना कर मामले को दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।

इलाज में लापरवाही के आरोप की पुलिस जांच कर रही है।
स्वास्थ्य विभाग के जांच कमेटी की रिपोर्ट पर एक्शन
इधर, कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश पर CMHO डॉ. प्रमोद तिवारी ने यूनिटी हॉस्पिटल में नर्सिंग छात्रा की मौत की जांच के लिए छह सदस्यीय कमेटी बनाई। जिसके बाद कमेटी के सदस्यों में सिविल सर्जन डॉ. अनिल गुप्ता, ईएनटी डॉ. मनीष श्रीवास्तव, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रेणुका सैमुअल, नर्सिंग होम एक्ट के नोडल अधिकारी डॉ. विजय मिश्रा, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. उमेश साहू और नर्सिंग होम एक्ट के सदस्य डॉ. सौरभ शर्मा ने जांच की।
उन्होंने प्रारंभिक रिपोर्ट CMHO को सौंपी, जिसे कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया गया। बताया जा रहा है कि प्रारंभिक जांच में एनेस्थेसिया के ओवरडोज से छात्रा की मौत होने की आशंका जताई गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर ने 15 दिनों के लिए अस्पताल में नए मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी है। दावा किया जा रहा है कि कमेटी की जांच रिपोर्ट आने पर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
अब पुलिस भी दर्ज कर सकती है FIR
इधर, सिविल लाइन थाना प्रभारी एसआर साहू ने कहा कि परिजनों की मांग पर शव का पोस्टमॉर्टम वीडियोग्राफी के साथ कराया गया है। परिजनों ने गलत इलाज के साथ लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिलने पर डॉक्टरों से राय लेकर मामले में नियमानुसार वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। जिस तरह से मामले में स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट पर कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लिया है, जिसके बाद अब अस्पताल प्रबंधन और छात्रा का इलाज करने वाले डॉक्टरों पर केस दर्ज की जा सकती है।