रायसेन के वनगवां गांव में होली पर एक अनूठी परंपरा निभाई जाती है। यह परंपरा ‘वीर बम बोल’ के नाम से प्रसिद्ध है, जो हजारों वर्षों से चली आ रही है।
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25 फीट ऊंचे खंभे पर बांधा जाता है बकरा
स्थानीय लोगों ने बताया कि धूलेंडी के दिन शाम 6 बजे से यह विशेष आयोजन शुरू होता है। इसमें मेघनाथ की पूजा की जाती है, जिन्हें स्थानीय लोग “वीर बब्बों” भी कहते हैं। पूजा स्थल पर दो लोहे के खंभे लगे हैं। इन खंभों पर करीब 25 फीट की ऊंचाई पर एक बकरे को बांधकर घुमाया जाता है।
खंभों से बंधी रस्सियों पर झूलने वाले लोगों को कोड़े मारे जाते हैं।
लोगों को मारे जाते हैं कोड़े
लोगों ने बताया कि इस परंपरा में सबसे रोचक कोड़े मारने की प्रथा है। खंभों से बंधी रस्सियों पर झूलने वाले लोगों को कोड़े मारे जाते हैं। यह प्रथा वीरों की पहचान के लिए शुरू की गई थी। माना जाता है कि जो युवा अपने गांव और समाज की रक्षा करेंगे, उन्हें कोड़े मारकर उनकी वीरता का एहसास कराया जाता है।

इसमें आसपास के करीब 10 गांवों के लोग भाग लेते हैं।
10 गांव के लोग होते हैं इकट्ठा
यह आयोजन हलारिया परिवार द्वारा किया जाता है। इसमें आसपास के करीब 10 गांवों के लोग भाग लेते हैं। गांव के मुन्नालाल गौर के अनुसार यह परंपरा 100 वर्षों से भी अधिक पहले से गांव में निभाई जा रही है।

होली के दिन गांव में उत्साह के साथ मेला का आयोजन किया जाता है।
होली के दिन गांव में उत्साह के साथ मेला का आयोजन किया जाता है। इस परंपरा के दौरान कोड़े खाने वाले व्यक्तियों को कोई नुकसान नहीं होता है। उनके शरीर पर कोई चोट के निशान भी नहीं मिलते हैं। यह परंपरा वनगवां गांव की पहचान बन चुकी है।
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