समस्तीपुर जिले के धमौन गांव में वृंदावन के बरसाने की तर्ज पर छाता होली का आयोजन किया गया। गांव के कुलदेवता निरंजन स्वामी मंदिर परिसर में शनिवार रात लोगों की भारी भीड़ जुटी, जहां विभिन्न डिजाइनों के बने छातों का प्रदर्शन किया गया। इस दौरान 50 से अधिक
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गांव के बुजुर्गों के अनुसार, यह परंपरा 15वीं शताब्दी से चली आ रही है, जब धमौनवासी संबलगढ़, उत्तर प्रदेश से आकर यहां बसे थे। तभी से यह अनोखी होली मनाने की परंपरा चली आ रही है। होली के गीतों में रामायण और महाभारत के प्रसंगों का दर्शन होता है, जो इस उत्सव को और भी खास बनाता है।
कुल देवता निरंजन स्वामी मंदिर परिसर में जुटी भीड़।
सामाजिक एकता का प्रतीक है होली
गांव के लोग जाति-धर्म से ऊपर उठकर इस उत्सव में शामिल होते हैं। गंगा-जमुनी तहजीब की झलक इस होली में साफ नजर आती है। हर टोली अपनी विशाल छतरी तैयार करती है, जिसमें दो दर्जन से अधिक लोग एक साथ होली गीत गाते हैं।
धमौन की यह छाता होली अब एक सांस्कृतिक धरोहर बन चुकी है, जहां परंपरा, मनोरंजन और सामाजिक समरसता का अनूठा संगम देखने को मिलता है।