महिलाओं में मलेरिया से कम वजन वाले बच्चों के जन्म जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
समस्तीपुर में मलेरिया नियंत्रण की स्थिति चिंताजनक है। जिले में स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों की खुली अवहेलना हो रही है। सदर अस्पताल में प्रतिमाह 800-900 प्रसव होते हैं, लेकिन एक भी गर्भवती महिला की मलेरिया जांच नहीं की जा रही है। जिले में एक सदर अस्पत
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इस वर्ष अब तक मलेरिया के तीन मरीज मिले हैं। पिछले वर्ष कुल 27 मरीज मिले थे। इनमें 20 मामले प्लाज्मोडियम वाइवैक्स के और 7 मामले अधिक खतरनाक प्लाज्मोडियम फैल्सीपैरम के थे।
6 दिन बाद दिखाई देते हैं लक्षण
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. विजय कुमार के अनुसार, मलेरिया के लक्षण मादा मच्छर के काटने के 6 दिन बाद दिखाई देते हैं। गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भस्थ शिशु के लिए यह बीमारी विशेष रूप से खतरनाक है। गर्भवती महिलाओं में मलेरिया से माता मृत्यु, मृत शिशुओं का जन्म और कम वजन वाले बच्चों का जन्म जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। अस्पताल परिसर में जगह-जगह जलजमाव और नल कूप से पानी का रिसाव मच्छरों के प्रजनन को बढ़ावा दे रहा है। हर साल विश्व मलेरिया दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।