भारतीय जनता पार्टी आज अपना 46वां स्थापना दिवस मना रही है। 46 साल पुरानी ये पार्टी आज देश में आजादी के बाद से लंबे वक्त तक सत्ता में रही कांग्रेस पर भारी पड़ रही है। लेकिन वो दौरा भी रहा जब भाजपा काे कांग्रेस के सामने देश और प्रदेश में टिकने का मौका न
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कैसे तब मध्यप्रदेश का हिस्सा रहे छत्तीसगढ़ में भाजपा ने जनता के बीच जगह बनाई, उस दौर के दिलचस्प किस्से क्या थे, भाजपा के दिग्गज बता रहे हैं इस रिपोर्ट में।
भाजपा की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई। तब छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का हिस्सा था। कुशाभाऊ ठाकरे, राजमाता सिंधिया, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, नरेंद्र मोदी, अरुण जेटली, JP नड्डा,सौदान सिंह, राम प्रताप सिंह, दिलीप सिंह जुदेव ये उन नेताओं के नाम हैं, जिन्होंने तब छत्तीसगढ़ के हिस्से में भाजपा के प्रति माहौल तैयार किया।
ये सभी यहां आते रहते थे, तब प्रदेश की जिम्मेदारी रायगढ़ के रहने वाले नेता (जो बाद में बिलासपुर में बसे) लखीराम अग्रवाल के हाथ में थी। बस्तर के बलीराम कश्यप भी यहां भाजपा को स्थापित करने वाले नेता रहे।
लखीराम ने दिया था बाजपेई को पान
लखीराम के बेटे पूर्व मंत्री और विधायक अमर अग्रवाल बताते हैं- सन 88 की बात है, रायगढ़ में अटल जी की रैली थी, काफी गर्मी थी। हमारे घर पर थे अटल जी, पान उन्हें दिया, तो उन्होंने जोर से पूछा कौन खाता है पान यहां, तो बाबू जी ने कह दिया मैं खाता हूं, अटल ही बोले- अच्छी आदत है, भगवान शंकर इसकी खेती करते थे, ये कहकर अटल जी ने दो पान खा लिए सभी ये देखकर हंसने लगे। इस तरह का पारिवारिक माहौल हुआ करता था।
दैनिक भास्कर संवाददाता सुरेश पांडेय ने पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल से बातचीत की।
रायगढ़ होता था बड़े नेताओं का ठिकाना
अमर अग्रवाल बताते हैं कि उन दिनों संसाधन उतने नहीं थे। हमारे घर पर ही सभी बड़े नेता रुकते थे, चुनावों के समय मुझे याद है करीब 10 दिन राजमाता सिंधिया जी हमारे घर पर रही हैं। कुशाभाऊ ठाकरे यहां आकर रहे हैं। आडवाणी जी, उमा भारती, पंडित दीनदयाल सभी आया करते थे।
जब लखीराम को अरेस्ट करने आई पुलिस
अमर बताते हैं, सन 1963 की मेरी पैदाइश है। तब बाबू जी (लखीराम) अखिल भारतीय जन संघ का काम संभाले हुए थे। 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगा। बाबूजी के पास कुछ लोग आए और बताया कि सभी बड़े नेता अरेस्ट हो चुके हैं। आप अंडर ग्राउंड हो जाएं, बाबू जी ने इनकार कर दिया और घर से ये कहकर चले गए कि सुबह 8 बजे मैं आउंगा पुलिस को गिरफ्तारी दूंगा।
रात में पुलिस आई, घर वालों ये बात पुलिस से कह दी, सुबह बाबू जी अरेस्ट हो गए। तब माहौल ऐसा था कि जेल गए लोग छूट नहीं रहे थे, बाबू जी ने मेरे चाचाओं से कह दिया था, बेटियों की शादी करवा देना। लेकिन जेल से छूटने के बाद जनता पार्टी और फिर भारतीय जनता पार्टी बनी, बाबू जी की ही तरह हजारों लोगों ने मेहनत की देश में बदलाव हुआ।
हारे हुए नेता का विजय जुलूस पहली बार देखा
अग्रवाल ने आगे बताया कि बात 1988 की है, जब पंजाब में गर्वनर बनाए गए अर्जुन सिंह को फिर से MP का CM बनाना था। इसके लिए उनका विधायक बनना जरुरी था ताब खरसिया की सीट उनके लिए खाली कराई गई। MP में सुंदर लाल पटवा भाजपा के अध्यक्ष थे।
बाबू जी से कैंडिडेट किसे बनाए पटवा जी ने पूछा.. बाबू जी ने दिलिप सिंह जुदेव का नाम दिया। प्रचार के लिए तब उमा भारती आती थीं, राजा माता सिंधिया, आडवाणी जी आए थे। सिर्फ 7 हजार वोट से अर्जुन सिंह जीते। मगर हार के बाद भी जुदेव का किसी विजय जुलूस की तरह विजय जुलूस निकला। अर्जुन सिंह का जुलूस नहीं निकाला गया।
इससे भाजपा को प्रदेश के इस क्षेत्र में माहौल मिलना शुरू हाे गया था। एक सभा में अर्जुन सिंह ने कह दिया था मंच से कि लखीराम अग्रवाल को देख लूंगा।
नंद कुमार साय लखीराम की गाय
नंद कुमार साय छत्तीसगढ़ के पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहे। कहा जाता था कि वो लखीराम का कहना मानते थे, तो ये नारा काफी प्रचलित था। इसे लेकर अमर अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहले प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार साय बने। शुरुआत से ही बाबूजी के साथ वो काम करते रहे थे।
सबसे पहले रायपुर के कुछ नेताओं ने ये कहना शुरू किया था, वो साेचते थे कि अगर ऐसा हम बोलेंगे तो इन दोनों का साथ छूट जाए, ये हमेशा से ही एक राजनैतिक मुद्दा रहा। साय जी चूंकि सरकारी के सेवक के रूप में थे। फिर बाबूजी से प्रेरणा के बाद राजनीति में आए, तो ये नारे राजनीतिक जुमलेबाजी रहे हैं।
इस दिए में तेल नहीं सरकार बनाना खेल नहीं
अमर अग्रवाल बताते हैं कि भाजपा के पुराने नेता इस कोशिश में थे कि देश में तब के MP में भाजपा की सरकार बने। शुरुआती दिनों में जनसंघ का चुनावी चिन्ह दीपक था। तब कांग्रेसी या विरोधी गुट के लोग मजाक उड़ाते हुए कहते- इस दिए में तेल नहीं सरकार बनाना खेल नहीं। मगर पिछले कुछ सालों में भाजपा ने खुद को साबित करके दिखाया।
जनता ही गायब करवा दी जाती थी
जनसंघ के समय से काम कर रहे नेता अशोक बजाज ने बताया- हम कोई सभा या धरना प्रदर्शन करने जाते थे तो दो चार घंटे पहले गांवों से लोगों को कांग्रेसी अपनी गाड़ियों में भरकर घुमाने ले जाते थे। लोगों को इस तरह से गायब करवा दिया जाता था ताकि वो भाजपा से जुड़ ही न पाएं।
1977 के चुनाव में मुझे याद है हमारे चुनावी कार्यालय नहीं खुलने दिए गए, मारपीट हुई पुलिस का इस्तेमाल हमारे खिलाफ किया गया।

भाजपा के सीनियर नेता अशोक बजाज ने उस दौर के किस्से बताए।
अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग में बैठकें हाेती थी
बजाज ने कहा- एक बार कुशाभाऊ ठाकरे जी आए, एक कार्यकर्ता का मकान बन रहा था, छत बन गई थी तो वहीं दरी बिछाकर उन्होंने बैठक ली। किसी का मकान खाली हो तो वहां इसी तरह बड़े नेता बैठक ले लिया करते थे। आज कुशाभाऊ ठाकरे जी के नाम पर ही प्रदेश भाजपा का कार्यालय है।
गाड़ी छुपाकर रखनी पड़ती थी
बजाज ने बताया उस जमाने में कार या जीप होना बड़ी बात होती थी। पूरे विधानसभा में एक-दो नेता के पास ही गाड़ी होती थी। चुनाव प्रचार के बाद गाड़ी को किसी के खेत या घर के आंगन में छुपाकर रखना पड़ता था वरना विरोधी गाड़ी को तोड़ देंगे, जला देंगे, पंचर कर देंगे इन बातों का डर होता था।

वरिष्ठ नेता रामप्रताप ने याद किया उस वक्त को जब भाजपा प्रदेश में पैर जमा रही थी।
दलबदल कांड पर नाराज हुए थे अटल
भाजपा के पूर्व प्रदेश संगठन महामंत्री रामप्रताप बताते हैं- अजीत जोगी के समय भाजपा के 12 विधायकों ने दल बदल लिया था। वो हमारे लिए संकट का दौर था, उस समय नेता प्रतिपक्ष नंदकुमार साय, विस उपाध्यक्ष बनवारी लाल थे और संगठन के नेता सौदान सिंह थे हम थे। हमें दिल्ली बुलाया गया।
अटलजी के सामने हमारी पेशी हुई, हमसे पूछा गया कि ये कैसे हुआ, हम जवाब नहीं दे पाए थे। उसके बाद अटल जी ने नए सिरे से काम करने को कहा, इसके बाद 15 साल सरकार रही और फिर से भाजपा की सरकार बनी।
भाजपा के 12 विधायकों ने नई पार्टी बनाई और दूसरे ही दिन इस पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया। राज्य में दलबदल की यह पहली घटना थी। इनमें विधायक तरुण चटर्जी, शक्राजीत नायक, डाॅ. हरिदास भारद्वाज, रानी रत्नमाला, श्यामा ध्रुव, मदन सिंह डहरिया, डाॅ. सोहनलाल, परेश बागबहरा, लोकेंद्र यादव, गंगूराम बघेल, प्रेमसिंह सिदार और विक्रम भगत शामिल थे।
बलिराम कश्यप ने बस्तर को बनाया भाजपा का गढ़
बलिराम कश्यप बस्तर इलाके में जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी की राजनीति को आधार प्रदान किया। 1990 में वे अविभाजित मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री भी रहे। माओवादियों से निरंतर विरोध के चलते उनके बेटे तानसेन कश्यप की सितंबर 2009 में गोली मारकर हत्या कर दी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्टूबर 2023 को जगदलपुर की रैली में बस्तर के बलिराम कश्यप को अपना गुरु बताया था। यह चार बार के सांसद थे, आज सरकार में वन मंत्री केदार कश्यप इन्हीं के बेटे हैं। भाजपा बस्तर से विधानसभा चुनाव जीतती है तो बलिराम की तैयार जमीन का ही ये असर है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्टूबर 2023 को जगदलपुर की रैली में बस्तर के बलिराम कश्यप को अपना गुरु बताया था।
1998 में मोदी भी आकर तैयार कर रहे थे माहौल
साल 1998 में नरेंद्र मोदी को MP का प्रभारी बनाया गया था वो तब के छत्तीसगढ़ भी आते थे। छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार साय बताते हैं कि तब मोदी पूरे प्रदेश में घूमकर संगठन की बैठक लेते थे।
बलिराम कश्यप मैं और नरेंद्र मोदी अंदरूनी इलाकों में जाकर कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करते थे। वे अक्सर बस्तर इलाके में चर्चित गोयल धर्मशाला में रुकते थे। भोपाल में भी एक कमरा मोदी ने ले रखा था वहां भी रहते थे।

90 के दौर की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर।
सन 1998 में चुनाव प्रचार के लिए प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आने वाले थे। बस्तर में उनकी सभा होनी थी। जगदलपुर के लालबाग मैदान में भव्य पंडाल बना था। सारी व्यवस्था नरेंद्र मोदी संभाल रहे थे। आते ही मोदी ने युवा मोर्चा और कार्यकर्ताओं की बैठक ली। किराए कि सुमो गाड़ी में जगदलपुर में मोदी घूमा करते थे। उस सभा में स्थानीय नेताओं के साथ मिलकर मोदी ने भीड़ जुटाई थी।
छत्तीसगढ़ में कैसे बना भाजपा का माहाैल
- प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य अशोक बजाज बताते हैं- कांग्रेस ने यहां किसानों पर लेवी लगाया था, इस टैक्स का विरोध भाजपा के लोगों ने किया। किसानों को लगा कि कांग्रेस शोषण कर रही है, पैसे वालों की हिमायती है, जनसंघ के लोग हमारे साथ हैं।
- हर घर- गांव-पांव-पांव ये नारा लेकर जनसंघ के लोगों ने जनता से मिलना शुरू किया। इसके बाद दो सीट, जीती भाजपा ने। ये सिलसिला चलता रहा और बढ़ता रहा।
- प्रदेश में हर हाथ को काम, हर खेत को पानी, अबकी बारी अटल बिहारी, अटल आडवाणी कमल निशान मांग रहा है हिंदुस्तान, ऐसे नारे देकर लोगों के बीच भाजपा का माहौल क्रिएट किया गया।
- प्रदेश में सिंचाई की सुविधा को लेकर आंदोलन हुए तो किसान भाजपा के साथ आए।
- राम जन्मभूमि आंदोलन, आडवाणी की रथ यात्राएं प्रदेश के वोटर के मन में असर करती रही।
- अजीत जोगी के कास्ट सर्टिफिकेट मामले से भाजपा मजबूत हुई। इसके बाद 15 साल भाजपा सरकार की योजनाएं जीत दिलाती रही। मगर एंटी इनकंबेंसी झेलनी पड़ी 5 साल कांग्रेस सत्ता में रही। अब फिर से वोटर ने कमल खिलाया है।