Thursday, April 24, 2025
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युवाओं की जॉब गारंटी के लिए सरकार की नई स्कीम: दिहाड़ी कर्मचारियों को 4 लाख का लोन, लाड़ली बहनों को बीमा समेत 12 फायदे – Madhya Pradesh News


मोदी सरकार का फोकस अब महिलाओं के बाद असंगठित क्षेत्र के कामगारों पर है। इन्हें जॉब और सोशल सिक्योरिटी देने के लिए सरकार दीनदयाल जन आजीविका योजना( DJAY-S) शुरू करने वाली है। दरअसल, शहरी गरीबों के लिए 2014 में शुरू की गई दीनदयाल अंत्योदय योजना का ये एक

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अब इसका दायरा बढ़ाते हुए इसमें शहरी गरीबों के साथ ट्रांसपोर्ट, कंस्ट्रक्शन, डोमेस्टिक, वेस्ट, केयर और गिग वर्कर्स को भी शामिल किया गया है। देश के 13 राज्यों के 25 शहरों में योजना का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। जिसमें मप्र के भोपाल, इंदौर और उज्जैन भी शामिल थे।

31 मार्च तक चले इस पायलट प्रोजेक्ट के बाद अब इसे पूरे प्रदेश में लागू करने की तैयारी है। एमपी सरकार ने केंद्र की इस योजना से लाड़ली बहनाओं को जोड़ दिया है। उन्हें केंद्र सरकार की बीमा योजना का फायदा मिलेगा। जानिए और किन्हें इस योजना का फायदा मिलेगा, कैसे होगी जॉब गारंटी? पढ़िए रिपोर्ट

अब जानिए कौन होंगे योजना के हितग्राही कैसे मिलेगा फायदा

1.कमजोर वर्ग के श्रमिकों पर फोकस केंद्र की 2014 में शुरू की गई दीनदयाल अंत्योदय योजना में केवल शहरी गरीबों को शामिल किया गया था। मगर, इस बार सरकार का शहरी गरीबों के साथ 6 कमजोर वर्गों पर फोकस है। इनमें परिवहन, घरेलू, अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े श्रमिक, गिग और केयर वर्कर्स शामिल है।

2. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होगा योजना के तहत इन सभी वर्ग से जुड़े श्रमिकों की सर्वे के जरिए पहचान की जाएगी। इसके बाद इनका शहरी असंगठित कामगार पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। इन्हें एक आइडेंटिटी कार्ड दिया जाएगा।

योजना के पांच अहम घटक

1.केंद्र और राज्य की योजनाओं से हितग्राहियों को जोड़ना इसके तहत ऑनलाइन पंजीकृत आवेदकों की सोशल इकोनॉमिक प्रोफाइलिंग की जाएगी। उन्हें पात्रता के अनुसार केंद्र और राज्य की योजनाओं का फायदा दिया जाएगा। केंद्र की योजनाओं की बात करें तो प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, जीवन ज्योति बीमा योजना का फायदा दिया जाएगा।

साथ ही जनधन योजना, श्रम योगी मानधन योजन, वन नेशन वन कार्ड, जननी सुरक्षा योजना, मातृ वंदना योजना और आयुष्मान भारत योजना से भी इन्हें जोड़ा जाएगा। मप्र सरकार ने बजट में लाड़ली बहना योजना के हितग्राहियों को को बीमा का फायदा देने का ऐलान किया है।

2. स्व सहायता समूहों का गठन शहरी गरीबों और कमजोर वर्ग के रजिस्टर्ड श्रमिकों के 70 फीसदी परिवारों को स्व सहायता समूहों से जोड़ने की योजना है। इसके अलावा दीनदयाल अंत्योदय योजना से छूटे हुए परिवारों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। जो स्वसहायता समूह गठित होंगे उन्हें 25 हजार रु. की निधि दी जाएगी।

स्व सहायता समूह के गठन के लिए 20 हजार रु. खर्च किए जा सकेंगे। ये समूह एरिया लेवल और सिटी लेवल पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। एरिया लेवल फेडरेशन को 2 लाख रु. और सिटी लेवल फेडरेशन को 1 लाख रु. की सहायता दी जाएगी।

3. खुद का कारोबार करने के लिए वित्तीय सहायता इसके तहत हितग्राहियों को आवश्यकतानुसार पर्सनल लोन के रूप में 4 लाख रु. और समूह लोन के रूप में 20 लाख रु. की सहायता देने की योजना है। स्व सहायता समूहों को बैंक लिंकेज सुविधा भी दी जाएगी। जिसके तहत समूह को बचत कोष से 1:6 के रेश्यो या डेढ़ लाख रु. जो भी ज्यादा हो उतना लोन मिल सकता है।

4. सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना इसके तहत 1 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले शहरों में आश्रय स्थल, शहरी आजीविका केंद्र, केयर क्लस्टर, बच्चों के लिए डे केयर सेंटर बनाए जाएंगे। सभी नगर पालिका और नगरनिगम में जरूरत के हिसाब से लेबर चौक का निर्माण किया जाएगा।

5- नवाचार और विशेष प्रोजेक्ट इसके तहत हितग्राहियों को गरीबी से बाहर लाने के लिए नवाचार के प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे। नगरीय निकाय और बाकी विभागों से समन्वय के लिए सुरक्षा योजना गारंटी केंद्र की स्थापना की जाएगी। यह सिंगल विंडो की तरह काम करेगा। इसके लिए निकाय को एकमुश्त 5 लाख रु. दिए जाएंगे।

एक्सपर्ट बोले- सरकार रोजगार नहीं दे पा रही, सोशल सिक्योरिटी दे शहरी गरीबों के साथ अब कमजोर वर्ग के श्रमिकों के लिए शुरू की जा रही योजना को लेकर वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई का कहना है कि सरकार रोजगार दे नहीं पा रही है इसलिए रोजगार की तलाश में लोग गांवों से शहरों का रुख कर रहे हैं।आने वाले दिनों में शहरों की आबादी तेजी से बढ़ने वाली है।

जैसे-जैसे शहरी आबादी बढ़ेगी, असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ेगी, क्योंकि संगठित क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं सीमित है। ऐसे में एक बड़े तबके को सामाजिक और स्वास्थ्य सुरक्षा की जरूरत होगी। किदवई के मुताबिक असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों का शोषण होता है। उन्हें काम के बदले पैसा नहीं मिलता।

ऐसे में यदि कोई दुर्घटना का शिकार हो जाए या बीमार हो जाए तो उनके लिए सरकार की इस योजना से मदद मिल सकती है। जहां तक इसके राजनीतिक पहलू को देखे तो ऐसे लोगों की मदद कर सरकार अपना वोट बैंक मजबूत करना चाहती है। सरकार ने 1 करोड़ 5 करोड़ जॉब के दावे किए हुए हैं। सरकार असंगठित क्षेत्र के लोगों को फायदा देकर क्रेडिट लेना चाहती है।



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