गोरखपुर में बक्शीपुर के राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज परिसर में पांच करोड़ रुपये की लागत से इनडोर मिनी स्टेडियम का निर्माण होगा। प्रदेश सरकार ने इसके लिए पहली किस्त के रूप में दो करोड़ सोलह लाख रुपये अवमुक्त कर दिए हैं। पुराने भवन को ध्वस्त कर नए स्टेडियम
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शासन की योजना के तहत गोरखपुर समेत प्रदेश के 10 जिलों में आधुनिक सुविधाओं से युक्त मिनी स्टेडियम बनाए जा रहे हैं। इसके लिए कुल 50 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। हर जिले के लिए 5 करोड़ का बजट तय किया गया है, जिसकी पहली किस्त पहले ही जारी हो चुकी है।
स्कूल परिसर में पहली बार बनेगा इनडोर स्टेडियम
जिला विद्यालय निरीक्षक अमरकांत सिंह के अनुसार, जुबिली इंटर कॉलेज परिसर में दो हिस्से हैं। एक हिस्से में पुराने और जर्जर भवनों को हटाकर इनडोर स्टेडियम का निर्माण जल्द शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह पहला मौका होगा जब शहर के किसी स्कूल परिसर में इनडोर मिनी स्टेडियम बनाया जा रहा है। इससे स्कूली खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण और प्रतियोगिताओं की सुविधा अपने ही क्षेत्र में मिल सकेगी।
कई खेलों के लिए एक साथ सुविधा
इस मिनी स्टेडियम में कुश्ती, कबड्डी, टेनिस, बैडमिंटन और टेबल टेनिस जैसे खेलों के लिए अलग-अलग कोट और अभ्यास क्षेत्र बनाए जाएंगे। इससे छात्रों को शहर के अंदर ही आधुनिक स्तर की खेल सुविधाएं मिलेंगी। अब तक खिलाड़ियों को अभ्यास और प्रतियोगिता के लिए रीजनल स्टेडियम या शहर से बाहर जाना पड़ता था।
खेल प्रतिभाओं को मिलेगा मंच
शहर के विभिन्न स्कूलों में लगभग पचास हजार से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। बड़ी संख्या में छात्र खेलों में रुचि रखते हैं, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते वे आगे नहीं बढ़ पाते। इनडोर मिनी स्टेडियम बनने से इन युवाओं को सही मंच मिलेगा और नई खेल प्रतिभाएं उभरकर सामने आएंगी।
प्रदेश सरकार की खेल नीति का हिस्सा
खेल और युवा कल्याण विभाग द्वारा कुछ महीने पहले सभी जिलों से ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में खेल प्रतियोगिताएं बढ़ाने के लिए मिनी स्टेडियम निर्माण के प्रस्ताव मांगे गए थे। उसी के तहत गोरखपुर को पहले चरण में शामिल किया गया है। विशेष सचिव कृष्ण कुमार गुप्ता द्वारा जारी आदेश में इस परियोजना की पुष्टि की गई है।
निगरानी के साथ होगी गुणवत्ता की जांच
निर्माण कार्य की निगरानी शिक्षा विभाग और खेल निदेशालय की संयुक्त टीम करेगी। शासन की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि निर्माण में गुणवत्ता से कोई समझौता न किया जाए और तय समयसीमा में कार्य पूरा किया जाए।