अप्रैल के 13 दिनों में 300 से अधिक ऐसे मरीज सामने आए
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तेज धूप और बढ़ते तापमान के बीच राजधानी में फूड पॉयजनिंग के मामले तेजी से बढ़े हैं। सोमवार को अवकाश के बावजूद 3 घंटे जेपी अस्पताल की ओपीडी चालू रही। करीब 500 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हुआ। इसमें से 100 से ज्यादा केस उल्टी, दस्त और पेट खराब होने के मामले सामने आए। अप्रैल के शुुरुआती 13 दिनों में ही 300 से अधिक मरीज उल्टी-दस्त और पेट दर्द की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचे। जेपी अस्पताल का बच्चा वार्ड और बाल चिकित्सा गहन देखभाल इकाई (पीआईसीयू) पूरी तरह भर चुका है। सिर्फ दो बेड इमरजेंसी केस के लिए रिजर्व रखे गए हैं।
अस्पताल में भर्ती ज्यादातर मासूम तेज बुखार, उल्टी-दस्त और निमोनिया जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं। जेपी अस्पताल के बच्चा वार्ड में 16 और पीआईसीयू में 10 बेड हैं। जिसमें वर्तमान में 24 बच्चे भर्ती हैं। इनमें से दो बाल रोगी निमोनिया से पीड़ित हैं। जेपी अस्पताल के एमडी मेडिसिन डॉ. योगेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि गर्म मौसम में साल्मोनेला, ई. कोलाई और लिस्टेरिया जैसे बैक्टीरिया ज्यादा तेजी से पनपते हैं, जिससे खाना जल्दी खराब होता है। इससे इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। गर्मी में स्ट्रीट फूड भी फूड पॉयजनिंग का बड़ा कारण है।
वजह… तेजी से पनपते हैं फूड पॉयजनिंग वाले बैक्टीरिया
ये लक्षण दिखें तो डॉक्टर को दिखाएं… 24 घंटे से अधिक उल्टी होना {3 दिन से ज्यादा दस्त रहना {उल्टी या मल में खून आना {40 डिग्री या उससे अधिक बुखार होना {गंभीर डिहाइड्रेशन (चक्कर आना, बहुत कम पेशाब आना, कमजोरी) {भ्रम या बेहोशी जैसा महसूस होना।
ऐसे करें बचाव
{घर का ताजा और गर्म खाना खाएं {बाहर के सलाद, बर्फ या कटे फल न खाएं {पानी उबालकर या आरओ का ही पीएं {बच्चों को पैक्ड जूस और आइसक्रीम से दूर रखें।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट... हर 10 में से एक व्यक्ति दूषित खाने से पड़ रहा बीमार
जेपी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि फूड पॉइजनिंग सिर्फ पेट खराब होने की समस्या नहीं, बल्कि एक गंभीर वैश्विक बीमारी है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, हर साल करीब 60 करोड़ लोग (दुनिया में हर 10 में से 1 व्यक्ति) दूषित भोजन खाने से बीमार पड़ते हैं। इनमें से 4.2 लाख की मौत हो जाती है। हर साल 5 साल से कम उम्र के 1.25 लाख बच्चों की मौत फूड पॉइजनिंग के कारण हो जाती है।
5 से 20 उम्र वालों को अधिक समस्या डॉक्टरों का कहना है कि सड़क किनारे बिकने वाले गोलगप्पे, बर्फ के गोले, चाट और कटे फल फूड प्वाइजनिंग का मुख्य कारण बन रहे हैं। कई दुकानदार बिना ढककर खाद्य सामग्री रख रहे हैं, जिससे धूल और बैक्टीरिया सीधा खाने में पहुंचते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, 5 से 20 साल के बच्चों में सबसे ज्यादा केस सामने आ रहे हैं। गर्मी में शरीर का मेटाबॉलिज्म बदलता है। खानपान में सावधानी नहीं बरती जाए तो पाचन तंत्र प्रभावित होता है। इस मौसम में सही तरह से भोजन पकाना और स्टोर करना और स्वच्छ पानी का इस्तेमाल करना ही बचाव का तरीका है।