Saturday, April 19, 2025
Saturday, April 19, 2025
Homeराज्य-शहरहरियाणा जेलों में महिला बंदियों की हालत खराब: पंजाब यूनिवर्सिटी की...

हरियाणा जेलों में महिला बंदियों की हालत खराब: पंजाब यूनिवर्सिटी की डॉक्टर की रिसर्च में खुलासा, मानसिक और आर्थिक समस्याओं से जूझ रहीं – Chandigarh News



चंडीगढ़ में जेल में बंद महिला विचाराधीन कैदी दोहरी परेशानी का सामना कर रही हैं- न सिर्फ उन्हें सजा सुनाई जाने से पहले ही सामाजिक बहिष्कार झेलना पड़ता है, बल्कि जेल के अंदर भी उन्हें पुरुषों के मुकाबले कम सुविधाएं और अधिकार मिलते हैं। पंजाब यूनिवर्सिट

.

मर्डर केस में जेल में बंद महिला कैदियों से बातचीत इस रिसर्च में अंबाला सेंट्रल जेल, करनाल और कुरुक्षेत्र की महिला कैदियों से बातचीत की गई, जिनमें से अधिकतर मर्डर केस की आरोपी थीं। रिपोर्ट में सामने आया कि जेल में विचाराधीन महिलाओं को कोई काम नहीं दिया जाता, जिससे वे न तो समय काट पाती हैं और न ही जरूरत का सामान खरीदने के लिए कमाई कर पाती हैं।

वहीं दोषी करार दी गई कैदियों को काम करने के बदले 1200 प्रति माह मिलते हैं। जैसे ही कोई महिला जेल जाती है, उसके परिवारजन उससे रिश्ता तोड़ लेते हैं। कई महिलाओं ने कहा कि वे अपने लिए जरूरी सामान तक नहीं खरीद पातीं क्योंकि उनके पास पैसे नहीं होते और परिवार भी मदद नहीं करता।

80% महिला कैदी गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं, और 3.4% के पास ही आयुष्मान कार्ड मौजूद है। इसका असर जेल की चिकित्सा व्यवस्था पर भी पड़ता है क्योंकि इलाज का खर्च जेल प्रशासन को उठाना पड़ता है।

डॉक्टर और काउंसलर की कमी जेलों में डॉक्टरों के पद खाली पड़े हैं। यदि छह डॉक्टरों की जरूरत है तो मुश्किल से एक या दो डॉक्टर ही तैनात हैं। मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं भी न के बराबर हैं, न कोई काउंसलर है और न ही मेंटल हेल्थ के लिए कोई स्थायी डॉक्टर। महिला दोषियों को साधारण बीमारियों से लेकर उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अवसाद और भावनात्मक नियंत्रण जैसी समस्याएं देखने को मिली हैं।

महिलाओं को बंद केबिन रिसर्च में यह भी सामने आया कि पुरुष कैदियों को जेल कैंपस में घूमने-फिरने की आजादी होती है, जबकि महिलाएं सिर्फ अपने केबिन तक ही सीमित रहती हैं। अंबाला जेल में तो महिला कैदियों को कैंटीन में जाने की भी अनुमति नहीं है। कुरुक्षेत्र जेल में केवल बुधवार को ही महिला कैदियों को कैंटीन तक जाने की छूट है।

करनाल जेल में पांच, कुरुक्षेत्र में दो और अंबाला जेल में तीन महिलाएं ऐसी हैं, जिनके साथ उनके छोटे बच्चे भी जेल में रह रहे हैं। हालांकि बच्चों के लिए पढ़ाई और खेलने की कुछ सीमित व्यवस्था की गई है, लेकिन वह नाकाफी साबित हो रही है।

हरियाणा की जेलों में पुरुष और महिला बंदियों की संख्या

  • अंबाला जेल:पुरुष बंदी – 1575, महिला बंदी – करीब 72
  • करनाल जेल:पुरुष बंदी – 2335, महिला बंदी – करीब 64
  • कुरुक्षेत्र जेल:पुरुष बंदी – 766, महिला बंदी – करीब 44

छुट्टी मिलने में लगता है समय ​​​​​​​अगर किसी महिला कैदी के घर में कोई आपात स्थिति हो जाए, जैसे किसी परिजन की मृत्यु, तो छुट्टी की फाइल आगे बढ़ने में ही एक सप्ताह लग जाता है। स्टाफ की कमी और लचर प्रक्रिया के कारण कैदियों को समय पर छुट्टी नहीं मिल पाती। कुरुक्षेत्र जेल में महिला कैदियों के लिए सिर्फ पांच किताबें ही उपलब्ध हैं जबकि पुरुषों के लिए भी इतनी ही संख्या है।

ये संख्या कुल कैदियों की संख्या की तुलना में बेहद कम है। करनाल जेल में महिलाओं को सीमेंट के प्लेटफॉर्म पर सोना पड़ता है, जिससे उन्हें काफी असुविधा होती है। रिसर्च के अनुसार, विचाराधीन कैदियों के लिए अलग बैरक की व्यवस्था तो है लेकिन जेलों में न काउंसलर हैं और न ही योग, खेल, संगीत जैसी गतिविधियों की नियमित व्यवस्था।

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि महिला विचाराधीन कैदियों को भी काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए, जिससे न सिर्फ उनका मानसिक तनाव कम होगा बल्कि वे आर्थिक रूप से भी कुछ सक्षम बन सकेंगी।



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular