राम मंदिर किस शिखर की ऊंचाई होगी 212 फीट।
श्रीराम जन्मभूमि परिसर में निर्माणाधीन भव्य राम मंदिर के शिखर पर स्थापित किए जाने वाले ध्वज दंड को लेकर तैयारियां अब अंतिम चरण में हैं। लेकिन इसकी पूर्णता में आ रही तकनीकी बाधाओं और परंपरागत विधान के सम्यक अध्ययन को ध्यान में रखते हुए इसकी स्थापना की
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ध्वज दंड की आयु होगी 300 सौ साल
राम मंदिर के शिखर पर स्थापित किए जाने वाले इस ध्वज दंड की आयु का वैज्ञानिक परीक्षण देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIT चेन्नई की प्रयोगशाला में कराया गया। परीक्षण में यह बात सामने आई कि इस धातु की अनुमानित आयु 250 से 300 वर्ष है, जो इसकी दीर्घकालिक मजबूती और टिकाऊपन को प्रमाणित करती है। इसके निर्माण में इस्तेमाल की गई धातु और संरचना इतनी सशक्त है कि यह तूफानी हवाओं के दबाव को सहने में सक्षम है।
पूजन की स्थगित योजना और अधूरा रंग-रोगन
हालांकि, शनिवार को ध्वज दंड पूजन की तैयारियां पूरी कर ली गई थीं और अर्चकों को निर्देश भी दे दिए गए थे, लेकिन रविवार को सामूहिक पूजन स्थगित करना पड़ा। अहमदाबाद से आए निर्माणकर्ताओं ने बताया कि राम मंदिर के मुख्य शिखर पर लगने वाले ध्वज दंड का रंग-रोगन कार्य अधूरा रह गया है।
ध्वज दंड को एक बार जब इतनी ऊंचाई पर स्थापित कर दिया जाएगा, तो बाद में उस पर कोई कार्य कर पाना अत्यंत कठिन होगा। इस कारण जल्दबाजी से बचते हुए इसे टालने का निर्णय लिया गया।
212 फीट ऊंचा होगा भव्य राम मंदिर
ध्वज दंड की स्थापना के बाद राम मंदिर की कुल ऊंचाई 161 फीट से बढ़कर 212 फीट हो जाएगी। यह ध्वज दंड 44 फीट ऊंचा और साढ़े पांच टन यानी वजनी है। इसे राम मंदिर के तीसरे तल पर स्थापित किया जाना है।
डॉ. अनिल मिश्रा, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के न्यासी, ने बताया कि CBRI (केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रुड़की) के विशेषज्ञों ने इसकी जांच के बाद रिपोर्ट दी कि इसका भार और संरचना शिखर की शक्ति के अनुकूल है।
गुजरात से अयोध्या तक यात्रा
राम मंदिर के लिए तैयार किया गया यह ध्वज दंड अहमदाबाद (गुजरात) में निर्मित किया गया था और इसे जनवरी 2024 में ही अयोध्या लाया गया था, जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां चल रही थीं। इसकी भव्यता और परंपरागत शिल्प कौशल इसे विशिष्ट बनाते हैं।
परकोटे के मंदिरों के लिए भी ध्वज दंड
राम मंदिर के मुख्य शिखर के अतिरिक्त, परकोटे में बनाए जा रहे छह मंदिरों के लिए भी 20-20 फीट ऊंचे ध्वज दंड लाए गए हैं। प्रत्येक ध्वज दंड का वजन 700 किलो है।
इन सभी ध्वज दंडों का निर्माण भी गुजरात में ही हुआ और इसमें लगभग आठ महीने का समय लगा।