पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में जजों की भारी कमी के कारण लंबित मामलों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। हाईकोर्ट में कुल 85 स्वीकृत पदों के मुकाबले इस समय सिर्फ 51 जज ही कार्यरत हैं। हाल ही में जस्टिस अरुण पाली के जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के मुख्य
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स्थिति और भी गंभीर इसलिए है क्योंकि इसी साल जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस मंजरी नेहरू कौल रिटायर होने जा रहे हैं, जबकि 2026 तक कुल 9 और जज सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इनमें अगली साल रिटायर होने वाले जजों में मुख्य न्यायाधीश शील नागू, जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल, जस्टिस एसपी शर्मा, जस्टिस जीएस गिल, जस्टिस अनिल खेत्रपाल, जस्टिस मीनाक्षी आई मेहता, जस्टिस अर्चना पुरी, जस्टिस सुखविंदर कौर और जस्टिस संजीव बेरी शामिल हैं।
लंबित मामलों का आंकड़ा 4.28 लाख के पार
हाईकोर्ट में इस समय कुल 4,28,394 मामले लंबित हैं। इनमें से 2,62,125 मामले सिविल और 1,66,269 आपराधिक मामले हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से 82 प्रतिशत मामले एक साल से ज्यादा समय से लंबित हैं। नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के अनुसार, केवल 18 प्रतिशत मामले ही एक साल से कम समय से लंबित हैं।
लंबित मामलों की स्थिति इस प्रकार है
1 से 3 साल: 17%
3 से 5 साल: 8%
5 से 10 साल: 29%
10 साल से अधिक: 28%
पदोन्नति की प्रक्रिया में भी देरी
हाईकोर्ट प्रशासन ने हाल ही में 2 साल के लंबे अंतराल के बाद पंजाब और हरियाणा के जिला एवं सत्र न्यायाधीशों के नाम पदोन्नति के लिए केंद्र को भेजे हैं। हालांकि, यह प्रक्रिया पूरी होने में अभी समय लग सकता है। वहीं वकीलों को जज बनाने की आखिरी सिफारिश भी हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा लगभग 2 साल पहले की गई थी।