आर्सेनिक युक्त मोहिउद्दीन नगर के गांव के नल जल में लगा वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट।
समस्तीपुर जिले के गंगा किनारे बसे मोहनपुर, मोहिउद्दीननगर, पटोरी और विद्यापतिनगर प्रखंड के आर्सेनिक प्रभावित 59 पंचायतों में जलजनित बीमारियों में उल्लेखनीय कमी आई है। इन पंचायतों में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) द्वारा नल जल योजना के तहत वॉ
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पहले जिन इलाकों में पेट की बीमारियों से लेकर कैंसर तक के मामले सामने आते थे, वहां अब हालात में काफी सुधार देखा जा रहा है।
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट।
आर्सेनिक युक्त पानी से थी कई गंभीर बीमारियां
स्थानीय निवासी संजीव जायसवाल बताते हैं कि उनका गांव गंगा के नजदीक स्थित है और इलाके की अधिकांश चापाकलों पर लाल निशान लगा हुआ है, जो दर्शाता है कि वहां का पानी पीने योग्य नहीं है। आर्सेनिक की अधिक मात्रा के कारण इन इलाकों में कैंसर, त्वचा रोग और पेट संबंधी कई बीमारियां आम थीं।
संजीव बताते हैं कि पहले गांव के कई लोग इन बीमारियों की चपेट में आ चुके हैं। लेकिन जब से वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़ा नल जल गांव-गांव में पहुंचा है, बीमार लोगों की संख्या में स्पष्ट कमी देखी गई है।
कैसे काम करता है वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट
वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की प्रक्रिया बेहद सुनियोजित है। मोटर के जरिए जलस्रोत से पानी खींचा जाता है, जो पहले ट्रीटमेंट यूनिट से होकर गुजरता है। यहां पानी से हानिकारक तत्वों को निकालकर उसे शुद्ध किया जाता है। इसके बाद यह पानी ऊंची टंकी में भेजा जाता है, जहां से पाइपलाइन के माध्यम से सीधे घरों तक पहुंचाया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाता है कि लोगों को पूरी तरह से शुद्ध और सुरक्षित पानी मिले।

आर्सेनिक युक्त पानी।
प्रखंडों में हुआ बड़ा विस्तार
मोहिउद्दीननगर प्रखंड में 17 पंचायतों के 218 वार्डों में 150 स्थानों पर नल जल योजना को वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा गया है। मोहनपुर प्रखंड के 11 पंचायतों के 148 वार्डों में 92 स्थानों पर यह योजना सक्रिय है। पटोरी प्रखंड के 17 पंचायतों के 281 वार्डों में 119 स्थानों पर और विद्यापतिनगर प्रखंड के 14 पंचायतों के 196 वार्डों में 104 स्थानों पर वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट कार्यरत हैं।
चारों प्रखंडों में कुल 793 वार्डों के लिए 465 स्थानों पर टंकी लगाई गई है, जो वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़ी हुई हैं।
सरकारी पहल से बदला गांवों का हाल
पीएचईडी विभाग के कार्यपालक अभियंता कुमार अभिषेक ने बताया कि इन इलाकों में जांच के दौरान आर्सेनिक की मात्रा अत्यधिक पाई गई थी। इसके बाद राज्य सरकार ने निर्देश जारी कर वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था की।
अब शुद्ध पानी मिलने से गांवों में बीमारियों की दर में कमी आई है और लोग सुरक्षित जीवन की ओर बढ़ रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि पहले वे जिन बीमारियों से लगातार पीड़ित रहते थे, अब उनसे बहुत हद तक राहत मिली है। वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की इस पहल को लोग सराहनीय मान रहे हैं और इसे ग्रामीण स्वास्थ्य सुधार की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं।