‘तैयारी के दौरान मैंने कभी समय नहीं देखा, सिर्फ टारगेट देखा। सुबह 6 बजे से 11 बजे तक पढ़ाई करता था, फिर एक घंटा आराम करता था। फिर तीन घंटा पढ़ाई करता था। थकान होने पर फिर से एक घंटा सो जाता था। पिता झारखंड में एनजीओ चलाते हैं, जबकि मां डीएवी स्कूल मे
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विद्यांशु शेखर झा दरभंगा के सिंहवाड़ा प्रखंड के भवानीपुर गांव के रहने वाले हैं। विद्यांशु इससे पहले भी तीन बार यूपीएससी परीक्षा पास कर चुके हैं। 2022 में उनका चयन केंद्र शासित प्रदेश कैडर में हुआ था। 2023 में इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के लिए चुने गए। वर्तमान में देहरादून में प्रशिक्षण ले रहे हैं। इस बीच उन्होंने फिर से परीक्षा दी और 2024 में 59वीं रैंक हासिल की।
विद्यांशु भवानीपुर के रहने वाले सुशील कुमार झा और विद्या झा के बेटे हैं। पिता झारखंड में एनजीओ चलाते हैं, जो आदिवासी समुदाय को मुख्यधारा से जोड़ने का काम करता है। विद्यांशु की बहन जोधपुर एम्स से एमबीबीएस कर चुकी हैं और अब अमेरिका में एमडी कर रही हैं।
DAV बरियातू से विद्यांशु ने की है पढ़ाई
विद्यांशु ने अपनी प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा DAV बरियातू झारखंड से की। इसके बाद VIT वेल्लोर से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। वहां भी अपने बैच के टॉपर रहे। 2018 में दिल्ली में कुछ महीने कोचिंग की, फिर सेल्फ स्टडी से तैयारी की। मां के साथ दिल्ली में रहकर पढ़ाई की। तीन बार प्रीलिम्स में असफल हुए, लेकिन हार नहीं मानी।
उन्होंने बताया कि वेल्लोर में पढ़ाई के दौरान अमोल श्रीवास्तव उनके मार्गदर्शक बने। अमोल 2019 में यूपीएससी पास कर जिलाधिकारी बने। संयोग से विद्यांशु भी अब उसी जिले में एसडीएम बनेंगे। दोनों के बीच भाई-भाई जैसा रिश्ता है।

माता-पिता के साथ विद्यांशु शेखर झा।
विद्यांशु बोले- दरभंगा और बिहार के लोग मेहनती होते हैं
विद्यांशु ने कहा कि बिहार और दरभंगा के लोग मेहनती होते हैं। उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए मैसेज देते हुए कहा कि उन्हें वही क्षेत्र चुनना चाहिए, जिसमें उनकी रुचि हो। उन्होंने बताया कि उन्हें स्कूल समय से ही डिफेंस, इकोनॉमिक्स और इंटरनेशनल रिलेशन में रुचि थी। इंटरव्यू में उन्होंने अपनी हॉबी इंटरनेशनल मीडिया और डिफेंस पढ़ना बताया। इंटरव्यू बोर्ड में एक आर्मी अफसर ने उनकी हॉबी देखकर सराहना की।
उन्होंने कहा कि यूपीएससी का सिलेबस उनकी रुचि से मेल खाता था। डिस्क्रिप्टिव राइटिंग में भी रुचि थी। यही वजह रही कि उन्होंने इसे करियर के रूप में चुना। उन्होंने बताया कि यूपीएससी में मुकाबला दूसरों से नहीं, खुद से होता है।
उन्होंने बताया कि दिल्ली नगर निगम में असिस्टेंट कमिश्नर के रूप में काम किया। वहां सरकारी स्कूलों को नजदीक से देखा। भविष्य में महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और सामाजिक जागरूकता पर काम करना चाहते हैं। उनका मानना है कि एक शिक्षित महिला पूरे परिवार को शिक्षित बनाती है। जाति भेदभाव खत्म कर सभी को समान सम्मान दिलाना उनका लक्ष्य है।
कुल 1009 कैंडिडेट्स UPSC CSE में सिलेक्ट
कुल 1009 कैंडिडेट्स UPSC CSE में सिलेक्ट हुए हैं। इसमें जनरल के 335, EWS यानी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 109, OBC के 318 , SC यानी अनुसूचित जाति के 160 और ST यानी अनुसूचित जनजाति के 87 कैंडिडेट्स सिलेक्ट हुए हैं।
टॉप 25 कैंडिडेट्स में 11 महिलाएं और 14 पुरुष
UPSC टॉपर्स की टॉप 5 लिस्ट में 3 लड़कियों ने जगह बनाई है। वहीं टॉप 10 में 4 लड़कियां शामिल हैं। UPSC ने कहा कि टॉपर्स ने IIT, NIT, VIT, JNU, दिल्ली यूनिवर्सिटी और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग, ह्यूमेनिटीज, विज्ञान, कॉमर्स, मेडिकल साइंस और आर्किटेक्ट में ग्रेजुएशन किया है।
5.8 लाख कैंडिडेट्स ने दी UPSC 2025 परीक्षा
UPSC सिविल सर्विस परीक्षा पिछले साल 16 जून को आयोजित की गई थी। इस परीक्षा के लिए कुल 9,92,599 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, जिनमें से 5,83,213 उम्मीदवार परीक्षा में उपस्थित हुए। कुल 14,627 उम्मीदवार लिखित (मुख्य) परीक्षा के लिए योग्य पाए गए जो सितंबर 2024 में आयोजित की गई थी। इनमें से 2,845 उम्मीदवार इंटरव्यू के चुने गए। इनमें से 1,009 उम्मीदवारों (725 पुरुष और 284 महिलाएं) को विभिन्न सेवाओं में नियुक्ति के लिए आयोग ने अनुशंसित किया है।