Wednesday, April 30, 2025
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NSUI पहुंची पुिलस के पास: मुख्यमंत्री के सलाहकार पर कार्रवाई की मांग, BJP बोली- उल्टा चोर कोतवाल को डांटे – Raipur News


सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर NSUI पुलिस के पास पहुंची। इन नेताओं ने मुख्यमंत्री के सलाहकार पर कार्रवाई की मांग भी की। NSUI ने पंकज कुमार झा द्वारा अपने आधिकारिक फ़ेसबुक अकाउंट पर आपत्तिजनक और भड़काऊ टिप्पणी की है। जवाब में भाजपा ने कहा है कि कांग्रेस दे

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NSUI नेताओं ने पुलिस से अपनी शिकायत में कहा- मुख्यमंत्री मीडिया सलाहकार पंकज झा द्वारा की गई टिप्पणी में स्पष्ट रूप से “नफ़रत के विरुद्ध नफ़रत फैलाने” का आह्वान किया गया है, जो कि न केवल सामाजिक सौहार्द्र के विपरीत है, बल्कि यह प्रदेश की कानून व्यवस्था को भी चुनौती देने वाला कृत्य है। उक्त टिप्पणी में यह दावा किया गया कि “नफरत + नफरत = प्यार होता है”, जो कि समाज में भ्रम और उत्तेजना फैलाने वाला बयान है।

NSUI प्रदेश अध्यक्ष नीरज पांडेय ने कहा कि जब इस प्रकार की भड़काऊ टिप्पणियाँ प्रदेश के मुख्यमंत्री के एक शासकीय सलाहकार द्वारा की जाती हैं, तो यह मामला और भी गंभीर हो जाता है। इससे प्रदेश में शांति भंग होने की आशंका है और नागरिकों के बीच असुरक्षा का भाव उत्पन्न हो सकता है।

NSUI की मांग 1. इस आपत्तिजनक पोस्ट का तत्काल संज्ञान लिया जाए। 2. पंकज कुमार झा को यह पोस्ट डिलीट करने का निर्देश दिया जाए। 3. उन्हें इस गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के लिए सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगने हेतु बाध्य किया जाए। 4. उनके विरुद्ध उचित अनुशासनात्मक एवं कानूनी कार्रवाई की जाए, जिससे भविष्य में कोई अन्य पदाधिकारी इस प्रकार की टिप्पणी करने से पूर्व जिम्मेदारी का पालन करे।

पंकज झा की पोस्ट

भाजपा का जवाब भी पढ़िए मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा की पोस्ट पर शिकायत को भाजपा ने ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ को चरितार्थ करने वाला कृत्य बताया है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने कहा कांग्रेस के ऑफशियल पेज से रोज आपत्तिजनक पोस्ट होते हैं। कई कांग्रेस के नेता भी रोज सोशल मीडिया पर लोगों की भावना को आहत करने वाले पोस्ट करते हैं। ऐसे में उन पर बैन लगना चाहिए।

देवलाल ठाकुर ने कहा कि जब पंजाब में कांग्रेस की सरकार के रहते प्रधानमंत्री मोदीजी की हत्या की साजिश की गई थी। तब एक वीडियो गेम भी आया था जिसमें उस पूरे षड्यंत्र का ब्लू प्रिंट बनाया गया था। अब एक सर कटा फोटो पोस्ट कर कांग्रेस निस्संदेह एक बड़े षड्यंत्र में शामिल हो रही है, ऐसा आभास हो रहा है। सर तन से जुदा वाले नारों के साथ कांग्रेस का जुड़ना बड़ी साजिश की तरफ संकेत कर रहा है।

ठाकुर ने कहा कि उल्टे चोर कोतवाल को डाँटे की तर्ज पर बजाय शर्मिंदा होने, माफी मांगने के स्थान पर कांग्रेस रोज यही कृत्य कर रही है, इससे यह आभास होता है कि निश्चित ही यह भी कांग्रेस की रणनीति ही है। उन्होंने कहा कि पंकज झा सोश्यल मीडिया पर भी एक विनम्र हस्तक्षेप के लिए जाने जाते हैं। झा के बारे में अशोभनीय बयानबाजी और झूठी शिकायत करने के पहले कांग्रेस को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। उन्होंने कहा कि हाल ही में कांग्रेस के सजायफ़्ता प्रवक्ता ने पहलगाम नरसंहार को जायज ठहराते हुए पोस्ट किया। गांधी परिवार के दामाद ने सीधे तौर पर उस हमले को सही ठहराया, उस पर शर्मिंदा होने के बदले कांग्रेस कार्यकर्ता का झूठा प्रोपेगंडा रचना यह दिखाता है कि निस्संदेह कांग्रेस में भीतरखाने किसी बड़े षड्यंत्र की रूप रेखा बन रही है।

ठाकुर ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश में संवेदनशील हालात के बावजूद कांग्रेस के कई नेताओं ने फेसबुक पर जहर उगलने का कार्य किया है। छत्तीसगढ़ से ही कांग्रेस के पूर्व विधायक ने भारत के युद्ध हारने तक की वाहियात और बेतुकी भविष्यवाणी कर दी थी। युवा कांग्रेस को चाहिए कि कांग्रेस के अपने तमाम नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोले। कांग्रेस का कृत्य निंदनीय और दंडनीय है।

डमी एडमिशन के खिलाफ सौंपा ज्ञापन मंगलवार को राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) के कार्यकर्ताओं ने शिक्षा प्रणाली में गहराते डमी एडमिशन जैसे गंभीर मुद्दे के खिलाफ आवाज़ उठाते हुए अपर कलेक्टर अभिलाषा पैकरा को एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन के माध्यम से छात्र संगठन ने डमी प्रवेश की बढ़ती प्रवृत्ति पर कड़ा एतराज़ जताते हुए प्रशासन से इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने एवं ठोस नियम बनाए जाने की माँग की। इस अभियान का नेतृत्व NSUI के प्रभारी महामंत्री हेमंत पाल ने बताया कि “विद्यालयों द्वारा केवल नाम मात्र के एडमिशन लिए जा रहे हैं, जबकि छात्र पूरे वर्ष कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई करते हैं। यह प्रक्रिया शिक्षा का व्यवसायीकरण है और ग्रामीण व निर्धन छात्रों के साथ घोर अन्याय है।” NSUI ने ज्ञापन में ये मांगें जिले में संचालित सभी विद्यालयों और कोचिंग संस्थानों की सघन जांच की जाए, डमी एडमिशन प्रणाली पर सख्त प्रतिबंध लगाया जाए, दोषी संस्थानों के विरुद्ध मान्यता समाप्ति की कार्यवाही शुरू की जाए, एक नियमावली बनाकर शिक्षा विभाग इसे नियंत्रित करे।



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