शिक्षा विभाग में बुधवार को 13 साल बाद बड़ा ऐतिहासिक आदेश जारी हुआ। विभाग ने 1335 व्याख्याता, व्याख्याता एलबी और मिडिल स्कूल के प्रधान पाठकों को उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालयों में प्राचार्य बनाया गया है। इसी तरह 1478 व्याख्याता, व्याख्याता एलबी और मिडिल
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पदस्थापना से पहले इनकी काउंसिलिंग होगी। इसकी जिम्मेदारी डीपीआई को दी गई है। विभाग में लंबे समय बाद पदोन्नति की वजह ट्राइबल विभाग से स्कूलों का शिक्षा विभाग में विलय, आरक्षण रोस्टर का लागू न होना, समय पर सीआर न लिखा जाना और प्रमोशन के केस हाईकोर्ट में लंबित होना है। गुरुवार को भी इस संबंध में हाईकोर्ट में बड़ा फैसला आने की संभावना है।
मालूम हो कि 2015-16 में ट्राइबल विभाग से स्कूलों का विलय शिक्षा विभाग में कर दिया गया था। उसके पहले ट्राइबल विभाग ने 2012-13 में अपने शिक्षकों को अंतिम बार पदोन्नति दी थी। शिक्षा विभाग में अधिकृत तौर पर 2027 के बाद प्रमोशन नहीं हुए थे। दोनों पदोन्नति आदेश वरिष्ठता के आधार पर जारी हुए हैं। इसमें नॉन बीएड को फायदा नहीं हुआ है।
इस वजह से डिग्रीधारी आगे हो गए हैं। ऐसे प्रधानपाठकों को भी तरजीह मिली है जिन्होंने स्नातकोत्तर (पीजी) की उपाधि ले ली थी। कोर्ट केस के बावजूद पदोन्नति आदेश इस वजह से जारी हुए कि नियमानुसार डीपीसी रोकी नहीं जाती है। खास बात यह कि पदोन्नति से सैकड़ों को बड़ा पदनाम तो मिलेगा, लेकिन पहले से ही 6600 रुपए ग्रेड वेतन पाने वालों को वित्तीय तौर पर फायदा नहीं होगा। यह लाभ उन्हें तीन साल पहले मिल गया है।
अब आगे क्या
प्राचार्य के पद पर नियुक्ति से पहले पदस्थापना का फार्मूला तय करना होगा। इस पर सबकी नजरें होंगी। पदोन्नत लोगों की काउंसिलिंग होगी। नियमानुसार दिव्यांगों को पहले मौका मिलेगा। इसके महिलाओं और फिर पुरुष उम्मीदवारों को नंबर आएगा। इससे भी अहम बात यह कि काउंसिलिंग वरिष्ठता के आधार पर होगी।
सरकार का फैसला ऐतिहासिक राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग में बुधवार को दो ऐतिहासिक फैसले किए। बर्खास्त सहायक शिक्षकों की बहाली अपने आप में आइकॉनिक डिसिजन है। इसकी वजह यह कि उसे इसका कोई राजनीतिक तौर पर लाभ नहीं होना है, कयोंकि भविष्य में कोई चुनाव नहीं है। दूसरा निर्णय 2813 शिक्षकों को प्रमोट करना। इससे सबसे बड़े सरकारी विभाग के लोगों को फायदा मिलेगा। पदोन्नति का इंतजार कर रहे पीछे के हजारों शिक्षकों को लाभ मिलेगा। – राजेश चटर्जी, शिक्षाविद, अंतरविभागीय समिति को राय देने वाले आमंत्रित सदस्य