Tuesday, June 17, 2025
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30 साल मजदूरी कर बेटे को बनाया BPSC टीचर: कहा- हर महीने 80 रुपए मिलते थे, कर्ज लेकर बेटी के लिए लड़का देखने गया था – Aurangabad (Bihar) News


‘घर से 300 किलोमीटर दूर जाकर मजदूरी करता था, कमाई इतनी नहीं थी कि दोनों बेटों की अच्छी से पढ़ाई करा पाऊं। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होने लगे, मेरी जिम्मेदारियां बढ़ती गईं। मैंने पत्नी के साथ मिलकर फैसला लिया और गांव वापस आ गया। गांव में खेतों में मजदूरी क

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ये बातें कि 60 साल के ककन बैठा ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कही। आज मजदूर दिवस के मौके पर औरंगाबाद के कटैया गांव के रहने वाले ककन बैठा की कहानी।

पुराने दिनों को याद कर ककन बैठा बताते हैं कि बचपन में ही उनके माता-पिता का निधन हो गया था। इसके बाद कम उम्र में ही घर से बाहर कमाने निकल गया। पढ़ाई उतनी की नहीं थी कि कहीं अच्छा काम मिल जाए, लिहाजा घर से 300 किलोमीटर दूर आसनसोल में कपड़ा धोने का काम मिला। हर महीने यहां 80 रुपए सैलरी मिलती थी। आसनसोल में 3 साल तक रहा और फिर बंगाल में ही रानीगंज चला गया, जहां लगभग 20 साल तक कपड़ा धोने का ही काम किया।

ककन बैठा बताते हैं कि इसी बीच शादी हो गई। पहले तीन बेटियां, फिर दो बेटे हुए। इसी बीच, आंगनबाड़ी सेविका की बहाली आई तो रिश्तेदारों ने पत्नी प्रेमा देवी का फार्म भरवा दिया। साल 1985 में पत्नी की आंगनवाड़ी सेविका में नौकरी हो गई। इसके बाद ककन बैठा घर आ गए। लेकिन गरीबी ने उनके साथ नहीं छोड़ा। पत्नी को आंगनवाड़ी में हर महीने 200 रुपए मिलते थे। लेकिन सिस्टम ऐसा था कि साल में एक बार पैसा मिलता था। आंगनबाड़ी से पत्नी को होने वाली कमाई से घर गृहस्थी चलाना संभव नहीं था।

दोनों बेटों और पत्नी के साथ ककन बैठा।

इसी बीच, मन में ख्याल रहता था कि खुद तो कुछ कर नहीं पाया, लेकिन चाहे जैसे भी हो, दोनों बेटों को कुछ ना कुछ जरूर बनाऊंगा। इसके लिए सबसे जरूरी दोनों बेटों की अच्छी पढ़ाई थी। फिर ककन ने गांव में ही मजदूरी करना शुरू कर दिया। मजदूरी और पत्नी की कमाई से किसी तरह घर तो चल जाता था लेकिन तीन-तीन बेटियों की शादी और दो बेटों की पढ़ाई मुश्किल लगता था।

पड़ोसी से 20 कर्ज लेकर बेटी के लिए लड़का देखने जाना पड़ा

ककन बैठा ने बताया कि सबसे बड़ी बेटी की शादी के लिए लड़का देखने जाना था। जेब में एक पैसे भी नहीं थे। तब उसने पड़ोसी से 20 रुपए कर्ज लिया था। पूर्वजों ने कुछ जमीन छोड़ी थी, उसमें से 9 कट्ठा जमीन बेचकर किसी तरह तीनों बेटियों की शादी की। इसके बाद बेटों की पढ़ाई के लिए पैसा जुटाने में लग गया।

ककन बताते हैं कि किसी तरह मजदूरी कर एक बेटे को संगीत की शिक्षा दी। दूसरे बेटे को फार्मासिस्ट की पढ़ाई कराया। बड़ा बेटा 30 साल का अनुज रजक औरंगाबाद में ही एमआरएम अस्पताल में जॉब कर रहा है। वहीं, छोटा बेटा 26 साल का सनोज सागर जिले का मशहूर गायक है। पिछले साल ही उसे बीपीएससी टीआरई 2 में सफलता मिली। फिलहाल वह औरंगाबाद जिले के गोह प्रखंड अंतर्गत उच्च माध्यमिक विद्यालय हमीदनगर, तेयाप में म्यूजिक टीचर है।

बेटे ने कहा- पढ़ने और गाने का जुनून था इसलिए आगे बढ़ता गया

ककन बैठा के छोटे बेटे सनोज ने बताया कि शुरुआती पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई। गांव में हर साल आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जाता था। बाद में गांव के पास ही कोचिंग सेंटर में पढ़ने जाने लगा, जहां कार्यक्रम के दौरान कोचिंग संचालक ने मेरे गाने के शौक को देखा और समझा। फिर कोचिंग वाले ने कहा कि तुम्हारी पढ़ाई मुफ्त में होगी। 2 साल तक कोचिंग में मुफ्त में पढ़ाई की। इसी बीच, एक बार देव महोत्सव में जब मैंने गाना गया, तब लोगों को मेरा गाना बहुत पसंद आया और जिले में मेरी चर्चा होने लगी। फिर दानिका म्यूजिक कॉलेज के डायरेक्टर डॉक्टर रविंद्र का सहयोग मिला और संगीत की पढ़ाई शुरू किया। प्रयाग संगीत समिति से मैंने संगीत प्रभाकर और प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ से संगीत प्रवीण की शिक्षा ली।

ककन बैठा का छोटा बेटा सनोज।

ककन बैठा का छोटा बेटा सनोज।

स्टेज पर जाने के लिए अच्छे कपड़े भी नहीं होते थे

सनोज ने बताया कि शुरुआती दिनों में जब गाना शुरू किया तो बड़े कार्यक्रमों में उसका बुलावा आने लगा। लेकिन स्टेज पर प्रस्तुति देने के लिए अच्छे ड्रेस नहीं होते थे। दूसरे कलाकारों का कपड़ा पहन कर उसने प्रस्तुति देना पड़ता था। सनोज बताते हैं कि सरकारी जॉब लगने के बाद अब मैं गरीब बच्चों को मुफ्त में संगीत की शिक्षा दे रहा हूं। जिले के विभिन्न कार्यक्रमों में निशुल्क प्रस्तुति देता हूं।

सनोज बताते हैं कि मैं मुंबई में भी कई कार्यक्रमों में भी अपनी प्रस्तुति दे चुका हूं। 2013 में डीडी बिहार चैनल पर आयोजित भोजपुरी जलवा कार्यक्रम का रनर अप रहा था। इसके बाद 2014 में हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आयोजित नेशनल यूथ फेस्टिवल में 8 पुरस्कार जीतकर उसने न सिर्फ औरंगाबाद बल्कि पूरे बिहार का नाम रोशन किया था।

2015 में मेरी मुलाकात सुर सम्राट कार्यक्रम के दौरान आलोक कुमार से हुई। उन्होंने उसे सुर संग्राम में ऑडिशन देने के लिए प्रेरित किया। सुर संग्राम में टॉप 40 में अपना स्थान बनाने में सफल रहा था। इसके अलावा पतंजलि की ओर से भजन रतन में भी टॉप 40 में शामिल था।



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