नई दिल्ली6 मिनट पहले
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PM मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, NSA अजीत डोभाल, CDS और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ शनिवार को मीटिंग की।
भारत सरकार ने फैसला किया है कि भविष्य में होने वाला हर आतंकी हमला भारत के खिलाफ युद्ध माना जाएगा। भारत की सेना इसका जवाब भी उसी के अंदाज में देगी। न्यूज एजेंसी ने यह जानकारी सरकार के टॉप सोर्स के हवाले से दी है।
यह फैसला 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़ते संघर्ष के बीच आया है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। उनमें ज्यादातर पर्यटक थे।

एक्ट ऑफ वॉर कैसे निर्धारित करती है सरकार
भारत में एक्ट ऑफ वॉर कोई एक कानून नहीं है, बल्कि यह कई कानूनों (संविधान, IPC (अब भारतीय न्याय संहिता), रक्षा कानून, अंतरराष्ट्रीय समझौते) के तहत निर्धारित होता है। किसी भी कार्रवाई को एक्ट ऑफ वॉर घोषित करना केवल भारत सरकार का अधिकार है। यह आम तौर पर तभी किया जाता है जब भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर हमला होता है।
इसके अलावा डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट भी है। इसे युद्ध या युद्ध जैसे खतरे के दौरान नागरिकों की स्वतंत्रता और संपत्ति को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे 1962 में भारत-चीन युद्ध और 1971 भारत-पाक युद्ध के दौरान हुआ था।
ये कानून संसद ने भारतीय संविधान के तहत युद्ध के दौरान आपातकालीन अधिकारों को और मजबूत करने के लिए बनाए थे। हालांकि दोनों निरस्त हो चुके हैं।
एक्ट ऑफ वॉर को लेकर अंतरराष्ट्रीय कानून क्या कहता है
भारत संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सदस्य देश है। इसलिए वह यूएन चार्टर के आर्टिकल 51 के मुताबिक आत्मरक्षा में युद्ध का अधिकार रखता है। और युद्ध को केवल रक्षा के लिए या UNSC की अनुमति से ही सही ठहरा सकता है।
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