Friday, May 16, 2025
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गंजेपन की दवा देने वाले इन्फ्लुएंसर को नहीं मिली जमानत: हाईकोर्ट- वैज्ञानिक परीक्षण के बिना भ्रामक दावे करने वाले उत्पादों का प्रचार निंदनीय – Sangrur News


संगरूर में 71 लोगों की आंखें हुई थी खराब।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक हेयर स्टाइलिस्ट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अमदीप सिंह की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। यह फैसला उनके द्वारा प्रचारित बाल उगाने वाले तेल के चलते 71 लोगों के बीमार पड़ने के बाद आया है। अदालत ने सख्त टिप्पणी करते ह

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न्यायमूर्ति हरप्रीत सिंह बराड़ ने अपने फैसले में कहा, सुंदरता, भले ही क्षणिक और सतही हो, फिर भी यह मानवता को सदियों से आकर्षित करती रही है। आज भी महिलाएं और पुरुष आकर्षक दिखने की होड़ में ऐसे उत्पादों के झांसे में आ जाते हैं, जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स बिना किसी योग्यता के आम जनता की भावनाओं का फायदा उठा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि समाज में सुंदर दिखने का अत्यधिक दबाव बच्चों और बड़ों की मानसिक सेहत पर बुरा असर डाल रहा है। “सोशल मीडिया पर जो बनावटी छवि बनाई जाती है, वह लोगों को भ्रमित करती है और उन्हें जोखिम भरे कदम उठाने को मजबूर कर देती है।”

इलाज के लिए 71 लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया था।

1 लाख के करीब फॉलोअर्स

अमदीप सिंह, जो सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स का दावा करते हैं, ने 16 मार्च 2025 को पंजाब के संगरूर जिले के काली माता मंदिर परिसर में एक कैंप आयोजित किया था। इसमें करीब 500 लोग शामिल हुए। इस कैंप में उन्होंने एक तेल और शैम्पू की जोड़ी ₹1300 में बेची, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया था कि इससे गंजापन दूर होगा और बाल उगेंगे।

तेल लगाने के कुछ ही देर बाद करीब 71 लोगों को आंखों में जलन, चेहरे पर सूजन और एलर्जी जैसी गंभीर प्रतिक्रियाएं होने लगीं। सभी को तत्काल सिविल अस्पताल, संगरूर में भर्ती कराना पड़ा। अदालत ने इस घटना को “जन स्वास्थ्य और उपभोक्ता विश्वास के साथ खिलवाड़” बताया।

कानून की धाराएं

इस मामले में आरोपी अमदीप सिंह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 124 और ‘ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम’ की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत क्यों खारिज की?

अदालत ने कहा:

  • आरोपी के खिलाफ कई लोगों की शिकायतें हैं।
  • उत्पाद का कोई क्लीनिकल ट्रायल या वैज्ञानिक प्रमाणीकरण नहीं था।
  • इस प्रकार की घटनाएं जनता के स्वास्थ्य और बाज़ार में विश्वास को नुकसान पहुंचाती हैं।
  • इसलिए आरोपी को अग्रिम जमानत देना उचित नहीं है।



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