चेकिंग के दौरान गिरफ्तार हुआ रोहिंग्या मोहम्मद साहिल
कानपुर में अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या पर जांच कर रही पुलिस को सफलता हाथ लगी है। बुधवार को पुलिस ने आठ साल से शुक्लागंज के मनोहर नगर में परिवार के साथ रहा रहा रोहिंग्या को गिरफ्तार कर लिया। उसे कानपुर के बड़ा चौराहा से चेकिंग के दौरान पकड़ा गया। व
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बड़ा चौराहा पर बुधवार को वाहनों की चेकिंग चल रही थी। इसी दौरान ऑटो चालक मो. साहिल को रोका गया। उससे ऑटो के कागजात मांगे गए। कागजात देने पर उसका आधार और डीएल भी चेक किया गया। इसी पूछताछ के दौरान वह ठीक से हिंदी नहीं बोल पाया।
जिसके बाद पुलिस को उस पर शक गहराया। वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना देकर पुलिस उसे कोतवाली ले गई और पूछताछ की। सख्ती से पूछताछ में उसने बताया कि वह म्यांमार कर रहने वाला है और बांग्लादेश से होते हुए भारत पहुंचा है।
बांग्लादेश के डिटेंशन सेंटर में भी वह तीन साल रहा। इसके बाद असोम पहुंचा और सीधे कानपुर आ गया। यहां शुक्लागंज के मनोहर नगर में उसकी बहन अपने पति और बच्चों के साथ रहती थी। यहां उसने बहन बहनोई की मदद से फर्जी आधार कार्ड बनवाया।
इसके बाद डीएल बनवाया और आटो चलाने लगा। यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस उसे शुक्लागंज के मनोहर नगर ले गई। जानकारी मिली है कि उसकी बहन और उसके परिवार को मिलाकर करीब 10 लोग रहते हैं। पुलिस को मौके पर बहन बहनोई नहीं मिले। पुलिस इस मामले में जांच कर रही है।
अब जानिए रोहिंग्या मोहम्मद साहिल ने पुलिस को क्या बताया
मो. साहिल ने पुलिस को बताया कि वह मूल रूप से ग्राम शिद्दर फरा कयंम डेंग, मंगडो शहर (आईकब), साइडुय, म्यांमार का रहने वाला है। वर्तमान में वह मनोहर नगर पानी टंकी के पास शुक्लागंज उन्नाव में परिवार के साथ रहता है।
सन 2013-14 में म्यांमार से वह बांग्लादेश में शरण लेने के लिए परिवार के साथ निकला। पानी के रास्ते नांव में बैठकर वह परिवार के साथ बांग्लादेश के काक्स एस बाजार पहुंचा। काक्स एस बाजार बांग्लादेश पोर्ट के पास एक शरणार्थी शिविर है।
यहां से वह अपने परिवार के साथ असोम पहुंचा। उसके साथ 18 से 20 लोग और थे। गुवाहाटी असोम से ट्रेन में बैठकर वह कानपुर सेंट्रल पहुंचा। उसके साथ माता-पिता और चार भाई थे। उसकी बहन पहले से ही शुक्लागंज में रहती थी।
वह उसे लेने सेंट्रल स्टेशन पहुंची थी। कानपुर आने की तारीख साहिल को याद नहीं है। इतना याद है कि वह 2017-18 में कानपुर आया था। इसके बाद बहन बहनोई की मदद से शुक्लागंज के पते से ही आधार कार्ड बनवाया। आधार कार्ड की मदद से डीएल भी मिल गया। इसके बाद वह बहनोई की मदद से आटो किराये पर लेकर चलाने लगा था।
बार्डर पार करने के लिए दिए थे 7200 रुपए
बांग्लादेश बॉर्डर पार कराने का काम ऑटो वाले बाखूबी करते हैं। एक आटो वाले ने बांग्लादेश से असोम बार्डर पर प्रवेश कराने के लिए प्रति व्यक्ति 1200 रुपये लिए थे। इस लिहाज से साहिल ने ऑटो वाले को अपने परिवार के छह सदस्यों के लिए 7200 रुपये दिए थे। एक भी पैसा कम नहीं किया था। पुलिस की पूछताछ में उसने बताया कि शरणार्थी कैंप में कुछ समय रहने के बाद लोग इसी तरह बार्डर पार करते हैं और भारत आ जाते हैं। क्योंकि भारत रहने के लिए मुफीद स्थान है।
साहिल ने पुलिस को यह भी जानकारी दी कि जो बीस लोगों ने उसके साथ बार्डर क्रॉस किया था और ट्रेन से आगे बढ़े तो वो और उसका परिवार कानपुर में उतर गया जबकि बाकी लोग दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे। वो लोग कौन थे वो नहीं जानता था
सन 2014 में आई थी बहन
साहिल ने पुलिस को बताया कि उसकी बहन ताहिरा बेगम अपने पति अमीन के साथ वर्ष 2014 में भारत आयी थी। वह भी इसी तरह से भारत में बार्डर पार करके पहुंची थी। पुलिस ने शुक्लागंज के मनोहर नगर स्थित बस्ती में छापा मारा लेकिन वह हाथ नहीं लगी। अमीन भी ऑटो चलाने के लिए निकला था।
तीन लाख लोग थे शरणार्थी शिविर में बांग्लादेश के काक्स एस बाजार में तीन लाख लोग थे। यहां वह परिवार के साथ तीन साल तक रहा। पूछताछ में उसने बताया कि सुरक्षाकर्मी शरणार्थियों के साथ ज्यादती करते थे। खाना भी समय पर नहीं मिलता था। किसी भी काम में कभी भी लगा दिया जाता था। हालांकि काम के पैसे भी मिल जाते थे। यहीं पैसे जोड़कर भारत में आने का रास्ता बनाया। इसमें कई लोगों ने मदद की थी। वह लोग शरणर्थी स्थल में रहने वालों को भारत में प्रवेश कराने में मदद करते हैं हालांकि वह उन्हें नहीं जानता था।
डीसीपी ईस्ट सत्यजीत गुप्ता ने बताया कि एक रोहिंग्या को बड़ा चौराहा पर गिरफ्तार किया गया है। उसके पास आधार कार्ड और डीएल मिला है। पूछताछ की जा रही है कि बिना वीजा और पासपोर्ट के वह भारत कैसे आया। उसके पास मिले पहचान पत्र बनाने में किसने मदद की, इन बिंदुओं पर जांच की जा रही है।