Monday, June 2, 2025
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वट पूर्णिमा व्रत कब है? वट सावित्री जैसा उपवास लेकिन 15 दिन बाद क्यों, जानें तारीख, मुहूर्त


वट पूर्णिमा का व्रत वट सावित्री जैसा ही है. ये दोनों एक ही हैं, अंतर बस यह है कि वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या के दिन रखते हैं, जबकि वट पूर्णिमा का व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन रखा जाता है. इन दोनों ही व्रतों को करने से पति की आयु लंबी होती है, दांपत्य जीवन सुखमय होता है और सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है. जब वट पूर्णिमा और वट सावित्री दोनों एक ही व्रत हैं तो दोनों में 15 दिनों का अंतर क्यों होता है? इन दोनों ही व्रतों में बरगद के पेड़ और देवी सावित्री की पूजा करते हैं. आइए जानते हैं कि वट पूर्णिमा व्रत कब है? वट पूर्णिमा के दिन के मुहूर्त और शुभ योग क्या हैं?

वट पूर्णिमा 2025 तारीख

दृक पंचांग के अनुसार, वट पूर्णिमा के लिए जरूरी ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि 10 जून को दिन में 11 बजकर 35 मिनट से शुरू हो रही है और यह 11 जून को दोपहर 1 बजकर 13 मिनट तक मान्य रहेगी. ऐसे में उदयाति​थि के आधार पर वट पूर्णिमा का व्रत 10 जून दिन मंगलवार को रखा जाएगा.

वट पूर्णिमा 2025 मुहूर्त
10 जून को वट पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त 04:02 ए एम से 04:42 ए एम तक है. वहीं दिन का शुभ समय या​नि अभिजीत मुहूर्त 11:53 ए एम से दोपहर 12:49 पी एम तक है. वट पूर्णिमा व्रत की पूजा रवि योग में होगी, जो उस दिन सुबह से शाम तक बना रहेगा.

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3 शुभ योग में वट पूर्णिमा व्रत 2025
इस बार की वट पूर्णिमा के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं. वट पूर्णिमा को सिद्ध योग, साध्य योग और रवि योग बनेंगे. रवि योग सुबह में 05 बजकर 23 मिनट से शाम 06 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. रवि योग में सभी प्रकार के दोषों को मिटा देने की क्षमता होती है. उस दिन सिद्ध योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 1 बजकर 45 मिनट तक है, उसके बाद से साध्य योग बनेगा, जो रात तक है. वट पूर्णिमा को अनुराधा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर शाम 6 बजकर 2 मिनट तक है, उसके बाद से ज्येष्ठा नक्षत्र है.

वट पूर्णिमा पर स्वर्ग की भद्रा 2025
इस साल की वट पूर्णिमा के दिन भद्रा लग रही है, जिसका वास स्थान स्वर्ग है. भद्रा का प्रारंभ सुबह में 11 बजकर 35 मिनट से होगा. यह भद्रा देर रात 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. हालांकि इसका कोई दुष्प्रभाव पृथ्वी पर नहीं होगा. ऐसे में आप उस दिन कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं. भद्रा के कारण कोई रोक नहीं होगी क्योंकि धरती पर उसका कोई प्रभाव नहीं होगा.

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वट सावित्री के 15 दिन बाद वट पूर्णिमा क्यों?

काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट का कहना है कि वट सावित्री और वट पूर्णिमा व्रत दोनों ही एक समान हैं. हालांकि वट पूर्णिमा और वट सावित्री व्रत में 15 दिनों का अंतर होता है. वट सावित्री अमावस्या तिथि को और वट पूर्णिमा पूर्णिमा तिथि के दिन होता है.

दरअसल उत्तर भारत में यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब समेत उत्तर भारत के राज्यों में पूर्णिमांत चंद्र कैलेंडर का पालन करते हैं, जबकि बाकी के राज्यों में अमांत चंद्र कैलेंडर का पालन होता है. इस वजह से उत्तर भारत में महिलाएं वट सावित्री व्रत 15 दिन पहले कर लेती हैं, जबकि अन्य राज्यों में महिलाएं वट पूर्णिमा व्रत 15 दिन बाद करती हैं. दोनों व्रत में सावित्री और सत्यवान की कथा ही पढ़ते हैं.



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