Sunday, June 8, 2025
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मुर्शिदाबाद हिंसा- बंगाल पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की: 13 लोगों के नाम; अप्रैल में हुई हिंसा में 113 घर तोड़े गए, दुकानें जलाईं गईं थीं


कोलकाता18 मिनट पहले

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मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में 11-12 अप्रैल को हिंसा हुई थी। इसमें 3 लोग मारे गए थे, जबकि 15 पुलिसकर्मी घायल हुए थे।

पश्चिम बंगाल पुलिस ने मुर्शिदाबाद के जाफराबाद में अप्रैल में हुई हिंसा में पिता-पुत्र के डबल मर्डर मामले में शुक्रवार को 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

पश्चिम बंगाल में 11-12 अप्रैल को नए वक्फ बोर्ड कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान भीड़ उग्र हो गई थी। इसके बाद मुर्शिदाबाद में हिंसा हुई। इसमें कम से कम तीन लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे।

इस हिंसा को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट की तरफ से जांच समिति गठित की गई थी। पिछले महीने समिति ने गंभीर खुलासे किए थे। इसमें कहा गया है कि हिंसा में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के स्थानीय नेता की भूमिका थी। हमलों का नेतृत्व स्थानीय पार्षद महबूब आलम ने किया।

रिपोर्ट के अनुसार हिंसा में खासतौर पर हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया। इस दौरान स्थानीय पुलिस पूरी तरह से निष्क्रिय रही। पीड़ितों ने कई बार पुलिस को कॉल किया, लेकिन कोई मदद नहीं पहुंची।

दरअसल, 17 अप्रैल को हाईकोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। इसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के एक-एक सदस्य शामिल थे।

हिंसा के दौरान दक्षिण 24 परगना के शोणपुर इलाके में पुलिस से झड़प के बाद प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी। पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया।

हिंसा के दौरान दक्षिण 24 परगना के शोणपुर इलाके में पुलिस से झड़प के बाद प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी। पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया।

रिपोर्ट के 4 अहम पॉइंट्स…

  • मुख्य हमला 11 अप्रैल, शुक्रवार को दोपहर 2:30 बजे के बाद हुआ।
  • पार्षद महबूब आलम उपद्रवियों के साथ आए थे। इसके बाद हिंसा भड़की।
  • बेटबोना गांव में 113 घरों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा।
  • आगजनी, लूटपाट और दुकानों व मॉल्स को निशाना बनाया गया।

बंगाल गवर्नर गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेज चुके

पश्चिम बंगाल के गवर्नर सी. वी. आनंद बोस ने 4 मई को मुर्शिदाबाद दंगे पर गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें कट्टरपंथ और उग्रवाद को पश्चिम बंगाल के लिए बड़ा खतरा बताया था।

गवर्नर ने कहा था कि बंगाल को दोहरा खतरा है, खासतौर पर बांग्लादेश से सटे मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में ज्यादा है, क्योंकि यहां हिंदू आबादी अल्पसंख्यक हैं। उन्होंने नॉर्थ दिनाजपुर को भी संवेदनशील जिला बताया था।

गवर्नर की रिपोर्ट के 4 मुख्य सुझाव..

  • बांग्लादेश से सटे सीमावर्ती जिलों में सेंट्रल फोर्सेस की चौकियां बनाई जाएं।
  • हिंसा की जांच के लिए एक आयोग गठित हो।
  • केंद्र सरकार ‘संवैधानिक विकल्पों’ पर विचार करे, ताकि राज्य में कानून व्यवस्था बनी रहे।
  • हालात बिगड़ने पर आर्टिकल 356 (राष्ट्रपति शासन) को विकल्प बताया। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि अभी इसकी जरूरत नहीं है।

गवर्नर का दावा- मुर्शिदाबाद हिंसा प्री-प्लांड थी बंगाल गवर्नर ने दावा किया था कि मुर्शिदाबाद हिंसा पहले से ही प्लान की गई थी। राज्य सरकार को पहले से खतरे का अंदेशा था, क्योंकि 8 अप्रैल को वक्फ (अमेंडमेंट) एक्ट जारी होने के तुरंत बाद हिंसा भड़क गई और राज्य सरकार ने उसी दिन इंटरनेट बंद कर दिया।

उन्होंने कहा था कि राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने में कोऑर्डिनेशन की बड़ी कमी दिखी। इसी वजह से केंद्र को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए संवैधानिक विकल्प तलाशने की सिफारिश की है।

हिंसा के मामले में 100 से ज्यादा FIR, 276 लोग गिरफ्तार

पश्चिम बंगाल पुलिस की SIT ने हिंसा मामले में 21 अप्रैल को ओडिशा के झारसुगुड़ा से 16 लोगों को गिरफ्तार किया। ये सभी झारसुगुड़ा जाकर छिपे थे।

पुलिस ने हिंसा का मास्टरमाइंड जियाउल हक समेत उसके दोनों बेटों सफाउल हक और बानी इसराइल को गिरफ्तार किया है। इन पर हिंसा भड़काने का आरोप है।

पश्चिम बंगाल पुलिस STF और SIT ने मिलकर जॉइंट ऑपरेशन चलाया। अधिकारियों ने CCTV फुटेज और मोबाइल टावर रिकॉर्ड बरामद किए। इनसे क्राइम सीन पर इनकी मौजूदगी की बात कन्फर्म हुई।

इसके अलावा हिंसा में मारे गए हरगोबिंदो दास और चंदन दास की हत्या मामले में पुलिस ने कालू नादर, दिलदार, इंजमाम उल हक को मुराराई और जियाउल शेख को अरेस्ट किया है। पुलिस ने बताया कि मुर्शिदाबाद हिंसा से जुड़ी 100 से ज्यादा FIR दर्ज की गई हैं। इसमें अब तक 276 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

11-12 अप्रैल को हुई हिंसा के दौरान सूती, शमशेरगंज और रघुनाथगंज में दुकानों और मकानों में तोड़फोड़ की गई और कई जगहों पर आग लगा दी गई।

11-12 अप्रैल को हुई हिंसा के दौरान सूती, शमशेरगंज और रघुनाथगंज में दुकानों और मकानों में तोड़फोड़ की गई और कई जगहों पर आग लगा दी गई।

मुर्शिदाबाद में हिंसा का इतिहास मुर्शिदाबाद जिला बांग्लादेश की सीमा से सटा है। जिले में मुस्लिमों की आबादी करीब 70% है। यह पश्चिम बंगाल का सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला जिला है। मुर्शिदाबाद में पहले भी हिंसा होती रही है।

दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे। तब भी मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क गई थी। 14 दिसंबर 2019 को प्रदर्शनकारियों ने रेलवे स्टेशनों और बसों को निशाना बनाया। लालगोला और कृष्णापुर स्टेशन पर 5 ट्रेनों में आग लगा दी गई और सूती में पटरियां तोड़ दी गई थीं।

2024 में राम नवमी के दौरान मुर्शिदाबाद के शक्तिपुर इलाके में हिंसा भड़की थी। इस दौरान 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। हिंदूवादी संगठनों ने आरोप लगाया कि जुलूस पर छतों से पत्थर फेंके गए। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई।

पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव पश्चिम बंगाल में करीब 30% आबादी मुस्लिम है। इनकी सबसे ज्यादा तादाद मुर्शिदाबाद, मालदा और नॉर्थ दिनाजपुर में है। BJP ने 2019 के बाद से राज्य में जगह बनानी शुरू की। 2021 के चुनाव में पार्टी सरकार भले नहीं बना पाई, लेकिन 77 सीटें जीतकर विपक्षी दल की भूमिका में आ गई। उसे 38% वोट मिले थे।

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मुर्शिदाबाद दंगे पर ये खबर भी पढ़ें…

क्या ममता के गढ़ मुर्शिदाबाद में बांग्लादेशियों ने भड़काई हिंसा

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद हिंसा की शुरुआत सूती कस्बे से हुई, लेकिन जल्द ही इसका असर शमशेरगंज और रघुनाथगंज तक पहुंच गया। अब तक तीन मौतें हो चुकी हैं। करीब 50 लोग घायल हैं। इनमें फरक्का के SDPO समेत 16 पुलिसवाले भी शामिल हैं। सूती, शमशेरगंज और रघुनाथगंज से करीब 170 लोगों को अरेस्ट किया गया है। पढ़िए पूरी खबर…



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