पटना में रिटायर्ड डॉक्टर दंपति को साइबर अपराधियों ने तकरीबन 12 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। 21 मई से घर के एक कमरे में खिड़की-दरवाजे पर पर्दे लगाकर वीडियो कॉलिंग पर दोनों बुजुर्ग अपराधियों की नजर के सामने बंधक बने रहे।
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रोज काम पर आने वाले ड्राइवर और साफ-सफाई करने वाली स्टाफ भी नहीं समझ पाई कि घर के अंदर क्या चल रहा है।
डॉक्टर राधे मोहन प्रसाद के छोटे बेटे डॉक्टर सौरभ ने बताया कि मैं सुबह-शाम हालचाल जानने के लिए कॉल करता हूं। इन 12 दिनों में भी रेगुलर बातचीत हुई। मां ऐसी एक्टिंग करती थी कि कुछ पता ही नहीं चला कि घर में क्या चल रहा है। कभी बातचीत से भी आशंका नहीं हुई।
स्टाफ को पर्दे के पीछे से ही लौटा दिया जाता
दिल्ली से जब घर लौटकर आया तो ड्राइवर और काम करने वाली से भी पूछा कि तुमलोगों को कभी नहीं लगा कि घर में कुछ अलग चल रहा है। मां-पापा परेशान हैं। तो ड्राइवर ने बताया कि हमलोगों को लगा कि कुछ घर का अंदरूनी मैटर है, जो सबके सामने नहीं बताना चाहते हैं। वीडियो कॉल पर या फोन पर जब बात होती थी तो हमलोगों को लगता था कि आपसे बातचीत हो रही है। जब रूम में जाते थे तो पर्दे के पीछे से ही लौटा दिया जाता था।
डॉक्टर सौरभ ने बताया कि जो 53 लाख रुपए होल्ड किए गए हैं, उसे रिलीज कराने के प्रयास में हूं। IO ने 10 से 12 दिन का समय मांगा है। उन्होंने कहा है कि जांच हो रही है।
जिन खातों में पैसा गया, उनका डिटेल मांगा जा रहा
वहीं इस मामले में साइबर थाने के प्रभारी DSP राघवेंद्र मणि त्रिपाठी ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। जिन खातों में पैसा गया है, उन बैंकों से डिटेल मांगा गया है।
क्या है पूरा मामला…
पटना में डॉक्टर दंपती को अपराधियों ने 12 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा। 14 दिनों के अंदर दंपती से 1.95 करोड़ रुपए ट्रांसफर करवाए।
अपराधियों ने CBI, वकील और जज बनकर डराया-धमकाया। परिवार को भी नुकसान पहुंचाने की धमकी दी। दंपती इस कदर डरे हुए थे कि उन्होंने खुद बैंक जाकर 6 बार RTGS के जरिए रुपए ट्रांसफर किए।
पीड़ित PMCH के रिटायर्ड डॉ. राधे मोहन प्रसाद हैं। वो हनुमान नगर पटना के रहने वाले हैं। 21 मई को उन्हें पहला कॉल आया था।
साइबर अपराधी फोन से लगातार दंपती के कॉन्टैक्ट में थे। उन्हें किसी से मिलने, बात करने नहीं देते थे। 15-15 घंटे वीडियो कॉल से उनपर नजर रखी जा रही थी।
बाद में रिटायर्ड डॉक्टर को शक हुआ कि ये साइबर फ्रॉड हो सकता है। इसके बाद बुधवार को वो साइबर SP से मिले। फिर गुरुवार को साइबर थाने में मामला दर्ज हुआ। साइबर थाने की पुलिस ने फिलहाल 53 लाख रुपए की राशि होल्ड करा ली है।
मुंबई से आया कॉल, बोले-मनी लॉन्ड्रिंग का केस है
डॉ. राधे मोहन प्रसाद के बेटे डॉक्टर सौरभ मोहन ने बताया कि ’21 मई को मेरे मां-पापा घर पर बैठे थे। मुंबई से एक कॉल आया। सामने वाले ने खुद को CBI अधिकारी बताया।’
‘उसने कहा कि मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन में केस दर्ज हुआ है। मुंबई आना होगा। मेरे पिता जी ने कहा अचानक से इतनी जल्दी में कैसे आ सकते हैं, फिर उसने कोलाबा पुलिस स्टेशन का नंबर दिया।’
‘इसके बाद पापा ने उनसे बात की तो उन लोगों ने बताया कि राधा मोहन प्रसाद और छवि प्रसाद के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज हुआ है। उन लोगों ने वीडियो कॉल भी किया, जिसमें पुलिस ड्रेस में लोग मौजूद थे।’

उन लोगों ने कहा कि आपके आधार कार्ड पर मुंबई में SIM इश्यू हुआ है, जिससे कई लोगों के साथ धोखाधड़ी की गई। महज 1 घंटे के बाद से वीडियो कॉल आना शुरू हो गया। वीडियो कॉल में पुलिस स्टेशन, CBI और जज कोर्ट रूम के सेटअप दिख रहे थे। जिससे और डर बन गया।

6 बार में ट्रांसफर कराए 1.95 करोड़ रुपए
बेटे ने बताया कि ‘पापा-मम्मी को गिरफ्तारी का डर दिखाकर पूरी तरह से साइबर अपराधियों ने अपनी बातों में ले लिया। उन्होंने कहा- आपके नंबर से धोखाधड़ी हुई है। आप पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। आप मोस्ट वांटेड है। आप रुपए नहीं भेजेंगे तो आपको गिरफ्तार कर लिया जाएगा।’
साइबर अपराधियों ने दंपती को इस कदर डराया और धमकाया कि उन्होंने खुद बैंक जाकर पैसे ट्रांसफर किए। 6 बार में RTGS के जरिए एक करोड़ 95 लाख रुपए ट्रांसफर करवाए गए।
डॉ सौरभ ने बताया कि

ठगों ने मेरे पापा की जिंदगी भर की कमाई लूट ली।
CBI, जज और वकील बनकर ठगे पैसे
DSP राघवेंद्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि ’23 मई से ही इनके साथ इस तरीके की घटना हो रही थी। जब इनको लगा कि यह साइबर ठगी का मामला हो सकता है तो बुधवार के दिन साइबर SP से मिले। इसके बाद गुरुवार को मामला दर्ज हुआ है। छानबीन हो रही है।’
