मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की चिचोली तहसील स्थित गोधना गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने शनिवार को दौरा किया। टीम ने मां चंडी दरबार, राजा इल का किला, देवल किला और दुधियागढ़ किला जैसे ऐतिहासिक स्थलों का विस्तृत सर्वेक्षण किया।
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टीम ने मंदिरों की शिल्पकला, संरचनात्मक विशेषताओं और पुरातात्विक महत्व की जानकारी जुटाई। मंदिर परिसर के प्राचीन शिलालेखों और किलों की बाहरी बनावट की भी जांच की गई।
राष्ट्रीय धरोहर बनने की उम्मीद गोधना के सरपंच संतोष चिक्का टेकाम ने कहा, “यह हमारे लिए ऐतिहासिक क्षण है। एएसआई टीम का दौरा इस क्षेत्र को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा दिलाने की दिशा में पहला कदम है।” उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और गांव की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनेगी।
लंबे समय से संरक्षण की मांग स्थानीय ग्रामीण और सामाजिक संगठनों की ओर से लंबे समय से इन स्थलों को संरक्षित करने की मांग की जा रही थी। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग भी इनके संरक्षण की सिफारिश कर चुका है। तहसीलदार की रिपोर्ट के मुताबिक, 1916-17 से इन स्थलों को राजस्व अभिलेखों में मंदिर और पूजास्थल के रूप में दर्ज किया गया है।
आदिवासी संस्कृति से जुड़ी विरासत यह इलाका न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि आदिवासी समाज की सांस्कृतिक धरोहर भी है। ग्रामीणों की मांग है कि इसे सार्वजनिक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए।

सर्वे टीम में शामिल अधिकारी दौरे में डॉ. मनोज कुमार कुर्मी (सुपरिंटेंडिंग ऑफिसर), डॉ. मोहन चंद्र जोशी (डिप्टी सुपरिंटेंडिंग), नितिन श्रीवास्तव (सर्वेयर) और के.के. रॉय (ड्राफ्ट्समैन) शामिल थे। एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर जल्द कोई महत्वपूर्ण घोषणा हो सकती है।