Sunday, June 8, 2025
Sunday, June 8, 2025
Homeबिहार‘एग्जाम का प्रेशर हटाने के लिए रोज इंजेक्शन लेती हूं': पटना...

‘एग्जाम का प्रेशर हटाने के लिए रोज इंजेक्शन लेती हूं’: पटना में एक कॉल पर 150 रुपए में नशे का एक डोज, वो भी थाने से थोड़ी दूर


‘जब तक सुई नहीं लेता, मेरा हाथ-पैर कांपता है। रिक्शा चलाने की हिम्मत नहीं पड़ती। सुई लेने के बाद लगता है कि मैं दुनिया के ऊपर हूं।’

.

पटना के बहादुरपुर इलाके का 28 साल का राजू हर दिन नशीली दवा का इंजेक्शन लेता है। वह राजेन्द्र नगर टर्मिनल एरिया में ई-रिक्शा चलाता है।

राजधानी के कोने-कोने में नशे का कारोबार तेजी से फैल रहा है। 100-150 रुपए में एक डोज मिलता है। बस एक बार आदत पड़ जाए, फिर छोड़ना मुश्किल है।

पटना में सूखे नशे और नशीली दवाइयों का कारोबार कैसे हो रहा है? इसे कौन ले रहा है और कारोबार करने वाले कौन हैं? संडे बिग स्टोरी में पढ़िए और देखिए…

कहानी-1ः शराब पीने से बदबू आती थी, इसलिए इंजेक्शन लेने लगे

बहादुरपुर इलाके में हमारी मुलाकात 28 साल के राजू से हुई। उसने बताया, ‘14 साल का था तब पहली बार शराब पी थी। दोस्तों ने जबरदस्ती शराब पिला दी थी। तब से नशे की आदत पड़ गई। कई बार छोड़ना चाहा। डॉक्टर के पास भी गया, डी-एडिक्शन सेंटर गया, लेकिन आदत नहीं छूटी।’

‘शराब पीने से मुंह से बदबू आती है। रात को घर जाने पर पत्नी और मां-बाप डांटते थे। शराब की बदबू से सबको पता चल जाता था। एक दिन मेरे रिक्शा चालक दोस्त ने बताया कि इंजेक्शन लो, इससे ना बदबू आएगी और ना ही कोई शक करेगा। बस, वही दिन था जब मैंने पहली बार इन्जेक्शन ली। अब इसकी आदत पड़ गई है।’

राजू ने हमें एक वीडियो दिखाया। वीडियो में दिख रहा है कि एक जगह आधा दर्जन से अधिक किशोर लड़के इकट्ठा होकर नशे की सुई ले रहे हैं। आपस में गाली-गलौज भी कर रहे हैं। वीडियो बहादुरपुर गुमटी के पास का था। वहां लड़के अक्सर नशे की इन्जेक्शन लेते हैं।

हम (भास्कर रिपोर्टर) बहादुरपुर गुमटी के पास पहुंचे। वहां हमने सिरिंज और कुछ नशीली दवाइयां देखी। कुछ देर रुकने पर दो किशोर पहुंचे, जो नशे में थे। वह केमिकल सूंघकर नशा कर रहे थे। नशीली इन्जेक्शन के बारे में पूछा तो बताया, ‘सुई लेने से मजा आता है। जल्दी चढ़ता है और ऐसा लगता है कि हम स्वर्ग में पहुंच गए हैं। नहीं लें तो सबकुछ नरक जैसा लगता है।’

‘यहां रोज लड़के नशा करने आते हैं। उन्हें जीतू नाम का लड़का इन्जेक्शन देता है। अभी कुछ दिन से नहीं आ रहा है। इसलिए अभी स्मैक ले रहे हैं। शायद पुलिस ने उसे पकड़ लिया है।’

कहानी-2ः पढ़ाई के दबाव को कम करने के लिए नशा करती हूं

बाजार समिति, मुसल्हपुर, और बहादुर गुमटी जैसे इलाके में कोचिंग सेंटरों की भरमार है। इसके बावजूद यहां खुले में गांजा, स्मैक, नशीली दवाइयां और इंजेक्शन बेची जा रही हैं।

हम मुसल्हपुर पहुंचे तो दिखा एक गली में कुछ युवा एक कोने में इकट्ठा होकर स्मैक खरीद रहे थे। पास ही एक छोटी सी दुकान पर गांजा और नशीली गोलियां खुलेआम बिक रही थीं।

एक स्थानीय ने बताया, ‘ये लोग पहले मुफ्त में नशा देते हैं। एक बार आदत पड़ जाए, फिर पैसे मांगते हैं। बच्चे पैसे के लिए घर से झूठ बोलते हैं। चोरी करते हैं। कुछ तो गलत रास्ते पर चले जाते हैं।’

गर्ल्स हॉस्टल की एक लड़की ने बताया, ‘बंदा सेट है। एक कॉल पर पहुंच जाता है। पढ़ाई का बहुत प्रेशर है। 12 साल से तैयारी कर रही हूं। कभी एक नंबर से तो कभी दो नंबर से रिजल्ट रह जाता है। घर वाले शादी करा रहे थे। मैं घर में सबसे लड़कर सरकारी नौकरी की तैयारी करने पटना आई हूं। अब रिजल्ट नहीं होता है तो आत्महत्या कर लेने का मन करता है, क्योंकि वापस घर नहीं जा पाती हूं। इंजेक्शन लेने से दिमाग शांत हो जाता है।’

आंध्र प्रदेश से लेकर ओडिशा तक चेन

बिहार में सबसे ज्यादा गांजा उत्तर पूर्वी राज्यों के अलावा आंध्र प्रदेश और ओडिशा से सप्लाई हो रहा है। इसमें बिहार और यूपी के अलावा स्थानीय तस्कर भी सहयोग कर रहे हैं। एनसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक नेपाल से गांजा और चरस, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से हेरोइन की तस्करी की जा रही है। झारखंड से अफीम का सप्लाई होता है। झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाके में अफीम का उत्पादन होता है।

बिहार में क्यों बढ़ा रहा सूखे नशे का चलन

डॉ बिंदा सिंह बताती हैं, ‘ऐसा नहीं है कि यह अचानक बढ़ा है। शराबबंदी के पहले भी लोग सूखा नशा करते थे, लेकिन शराबबंदी के बाद संख्या तेजी से बढ़ी है।’

QuoteImage

शराब पीने से मुंह से बदबू आती है और पुलिस के पकड़ने का डर भी रहता है। नशे की इन्जेक्शन या स्मैक से कोई बदबू नहीं आती और किसी के पकड़ में आने का भी कोई भय नहीं रहता है। यह आसानी से मिल जाता है। इसे छिपाना भी आसान है।

QuoteImage

डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया, ‘ब्यूप्रेनोफिन नशे की लत को खत्म करने का इन्जेक्शन है। इसे सीमित डोज में दिया जाता है। ताकि धीरे-धीरे नशे की लत खत्म हो जाए, लेकिन अब इसी इन्जेक्शन को नशा के लिए ओवरडोज में लिया जा रहा है। यह काफी खतरनाक है। एक ही निडिल से कई लोग इन्जेक्शन ले लेते हैं। इसके कारण एचआईवी, हेपेटाइटिस जैसी बीमारी बढ़ रही है।’

क्या कहता है नियम

ड्रग इंस्पेक्टर कयामुद्दीन ने बताया, ‘ये तस्कर शातिर होते है। पहले होलसेल दुकान के नाम पर लाइसेंस लेते है। फिर नशीली मेडिसिन को कंपनी से लाकर कारोबारियों के हाथों बेच देते है। बीते छह माह में ऐसे दर्जनों दुकानों का लाइसेंस रद्द किया गया है। कुछ ऐसे भी दुकानदार हैं, जो फर्जी बिलिंग कर कारोबारियों के हाथों बेच देते हैं। ऐसे दुकानदारों को चिह्नित किया जा रहा है।’

  • किसी भी मेडिसिन को खुले में बेचना अपराध है।
  • ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940, फार्मेसी एक्ट, 1948 के तहत मेडिकल स्टोर चलाने के लिए रिटेल ड्रग लाइसेंस या होलसेल ड्रग लाइसेंस अनिवार्य है।
  • लाइसेंस राज्य के ड्रग कंट्रोलर ऑफिसर जारी करते हैं।
  • सामान्य दवा और विशेष दवा के लिए अलग-अलग लाइसेंस होता है।
  • शेड्यूल H और H1 दवाएं (जैसे एंटीबायोटिक्स, नशीली दवाएं) केवल डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही बेची जा सकती हैं। बिना प्रिस्क्रिप्शन के इनकी बिक्री गैरकानूनी है।
  • सामान्य दवाएं (OTC – Over the Counter) बिना प्रिस्क्रिप्शन बेची जा सकती हैं, लेकिन फार्मासिस्ट को ग्राहक की स्थिति देखकर ही बेचना है, की दवा लेकर कही गलत उपयोग तो नहीं कर रहा है।

28 मई को रैकेट का हुआ था खुलासा

28 मई को ड्रग इंस्पेक्टर ने भूतनाथ रोड के प्रोग्रेसिव कॉलोनी में छापेमारी कर नशीली सुइयों के कारोबारी को पकड़ा था। भारी मात्रा में नशीली दवाइयां जब्त की थी। ड्रग इंस्पेक्टर यशवंत कुमार झा ने बताया, ‘नशा करने वाले किशोर जिस जीतू की बात कर रहे हैं वह जितेंद्र है। उसे हाल में पकड़ा गया है।

QuoteImage

28 मई को जीतू उर्फ जितेंद्र और दानिश, गांधीनगर शिव मंदिर के पास काले पॉलीथिन में ब्यूप्रेनोफिन और एविल इन्जेक्शन लेकर खड़े थे। ग्राहक का इंतजार कर रहे थे। जब हमारी टीम पहुंची तो दोनों भागने लगे। दौड़कर पकड़ लिया गया।

QuoteImage

‘दोनों के पास से ब्यूप्रेनोफिन और एविल इन्जेक्शन मिला। दोनों ने पूछताछ में बताया कि दोनों मुंडन उर्फ चंदन के लिए काम करते हैं। इनकी निशानदेही पर 30 मई को मुंडन को गिरफ्तार किया गया। उसके गोदाम से भारी मात्रा में नशीली इन्जेक्शन को बरामद किया गया है।’

28 मई को पटना पुलिस ने छापेमारी कर भारी मात्रा में नशीली दवाओं को जब्त किया है।

28 मई को पटना पुलिस ने छापेमारी कर भारी मात्रा में नशीली दवाओं को जब्त किया है।

दवा रखने के लिए किराये पर लिया था रूम

मुंडन अपने कारोबार को पटना में फैला रखा है। शहरी इलाकों में उसके लड़के सेट हैं। खुद नशीली दवाइयां लाता है और उसे अपने लड़कों को दे देता है। लड़के पटना के अलग-अलग इलाकों में बेचते हैं। इसे ब्रजेश, दीपक और सुखलू इन्जेक्शन देते थे। 40 रुपए के हिसाब से अपने लड़कों को देता था। फिर लड़के बाजार में 50 रुपए से लेकर 100 रुपए तक बेचते थे।

प्रोग्रेसिव कॉलोनी में महेंद्र प्रसाद सिंह के मकान में रहकर अपना कारोबार कर रहा था। महेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया, ‘चंदन उर्फ मुंडन अकेले आया था। उसने बताया कि दवा कंपनी में एमआर है। अपनी दवा रखने के लिए एक रूम किराया पर लिया। अब उसमें वह क्या करता था, मैंने कभी देखा नहीं। जिस दिन पुलिस पहुंची उस दिन पता चला कि यह तो नशीली दवाइयां बेचता है।’

———————–

ये भी पढ़ें…

‘100 रु का नकली नोट लीजिए, खूब चलता है’:नेपाल से बिहार पहुंच रहे नकली नोट, रात 11 बजे तस्कर ने खेत में दिखाया सैंपल

बिहार की राजधानी पटना से 265 KM दूर नेपाल के बीरगंज का नीचुटा गांव। यहां भारत के 500 रुपए का जाली नोट 310, 250 और 190 रुपए में मिल रहा है। वहीं, सौ रुपए का जाली नोट 62 रुपए में मिल रहा है। सोर्स के जरिए भास्कर रिपोर्टर जाली नोट की तस्करी करने वालों तक पहुंचा। काफी कोशिशों के बाद एक तस्कर ने खेत में रिपोर्टर को नकली नोट का सैंपल भी दिखाया। पूरी खबर पढ़िए



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular