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सिमडेगा जिले के 10 प्रखंडों में आज भी करीब 100 गांव ऐसे हैं जहां तक चारपहिया वाहन नहीं पहुंच सकते। सुदूर स्थित पंचायतों के इन गांवों तक ग्रामीण पगडंडियों पर होकर पहुंचते हैं। कहीं 2 किमी तक सड़क नहीं होने के कारण वाहन नहीं पहुंच रहे तो कहीं 5 से 10 किमी तक पहुंच पथ नहीं होने के चलते एम्बुलेंस भी गांव से दूर रह जाती है। ऐसे में प्रसव पीड़ा से तड़पती गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार लोगों को खटिया पर लिटाकर ही वाहन तक ले जाने या कभी कभी अस्पताल तक पहुंचाने की मजबूरी होती है।
बानो में जून माह के पहले सप्ताह में ही एक के बाद एक तीन ऐसे मामले आए जिनमें बीमार को खाट पर ढोकर लाया गया। 1 जून से 4 जून तक में डुमरिया, बेड़ाइरगी और कर्रादामर की घटनाओं के सामने आने के बाद 8 माह के भीतर सामने आए इसी तरह के अन्य मामले सुर्खियों में आ गए।
निकटवर्ती जलडेगा और ठेठईटांगर से भी ऐसे गांवों के नाम सामने आए जहां तक चारपहिया वाहन नहीं पहुंचते। मरीज को चारपाई में ढोकर लाने की मजबूरी के मामले को जिले की नवपदस्थापित डीसी कंचन सिंह ने गंभीरता से लिया है और प्रखंड प्रशासन तथा स्वास्थ्य विभाग को जरूरी निर्देश दिए हैं। इधर, अलग जिला बनने के 25 वर्ष होने पर भी गांवों – बस्तियों तक चारपहिया वाहन पहुंचने लायक कच्ची सड़क भी नहीं रहने को लेकर गांव की सरकार पर भी सवाल है। आखिर पंचायतों में जरूरी विकास कार्यों के लिए पहुंचे पैसों का मोरम पथ बनाने में भी इस्तेमाल होता तो शायद तस्वीर दूसरी होती।
ठेठईटांगर में इन गांवों एम्बुलेंस नही पहुंच सकते राजाबासा पंचायत के बिड़याम, डांड़पानी, कहुपानी बागेटोली, दुमकी पंचायत के चडरीटांड़, पहाड़टोली, गढ़ाटोली केरया के लोड़गोटोली गांव शामिल हैं। जलडेगा के 21 गांव ऐसे जहां नहीं पहुंचती एम्बुलेंस जलडेगा की पंचायत लमडेगा के लतापानी, बिझिंयापानी डांडपानी, डहुकोना, तोयोरदा और सेमरिया गांव में 400 परिवार रहते हैं। पंचायत टाटी के नवा टोली, गिरजा टोली, जोटो टोली, गई पकोटा टोली, पाहन टोली और बरबेड़ा (लेको टोली) में कुल 135 परिवार हैं। पंचायत पतिअम्बा के कारीमाटी (बनटोली) और खरवागढ़ा (गट्टीगढ़ा, पहनटोली, पतराटोली, बिलाईगढ़ा) में 80 परिवार हैं। पंचायत कुटुंगिया के कुलाओड़ा में 47 परिवार, परबा पंचायत के बेंदोसेरा (भालूघुटखुरा) में 19 परिवार, टीनगिना पंचायत के टीकरा (डोंगीझरिया) में 75 परिवार और लम्बोई पंचायत के पहाड़ टोली में 20 परिवार रहते हैं। इन टोलों तक एम्बुलेंस नहीं पहुंचती। 3 जून को बानो के बेड़ाइरगी पंचायत के डलियामर्चा गांव की गर्भवती महिला हना गुड़िया प्रसव पीड़ा से लगभग 10 घंटे से तड़प रही थी। दुरूह जंगल पहाड़ों से घिरे इस गांव में सड़क नहीं रहने के कारण एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी। सहिया ने खुद गर्भवती को परिजन के साथ मिलकर खाट पर लिटाई। बेड़ा इरगी में एक ही दिन बाद 4 जून 2025 को खटिया पर मरीज ढोने का एक और मामला आ गया। गेनमेर पंचायत के कर्रादमार टोनिया की गर्भवती महिला हेमंती देवी को रात में प्रसव पीड़ा हुई। पांगुर नदी पर पुल नहीं रहने से सुबह का इंतजार करते रहे, एक समाजसेवी ने भतीजे के साथ मिलकर मदद की। 9 सितम्बर 2024 को गेनमेर पंचायत के कर्रादमार,टोलियां निवासी महली कंडूलना को रात में सर्प काटने के बाद गांव तक एम्बुलेंस नहीं पहुंचने के कारण परिजन खाट पर ग्रामीणों की सहायता से रात 11 बजे, पांगुर नदी पार कर दुरूह पहाड़ी के रास्ते बानो सीएचसी बानो के लिए निकले। अस्पताल बिलंब से पहुंचने के कारण महली को मौत हो गई थी। 1 जून को बानो की डुमरिया पंचायत के मारीकेल बाटीदरी गांव की गर्भवती महिला सोनमती बागे को प्रसव पीड़ा में दो दिन तक इलाज नहीं मिला। सड़क नहीं रहने पर कोई इंतजाम नहीं हुआ। मुखिया लूथर भुइयां व रौतिया समाज के अध्यक्ष महेश सिंह ने गाड़ी भेजी, जो ढाई किमी पहले ही गाड़ी रोकनी पड़ी क्योंकि सड़क नहीं है।