राम नगरी अयोध्या में स्थित श्रीराम जन्मभूमि परिसर में अब ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। भारत सरकार के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के विशेषज्ञों का दल श्रीराम जन्मभूमि परिसर पहुंच चुका है। यह दल विराजमान रामलला के
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भव्य राम मंदिर के निर्माण के बाद अब श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने यह निर्णय लिया है कि रामलला की प्राचीन धरोहरों को भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जाएगा। इस दिशा में एएसआई की सहायता से कार्य शुरू हो गया है। भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र ने इसकी पुष्टि की है।
500 वर्षों के इतिहास को दिखाने की तैयारी
नृपेन्द्र मिश्र ने बताया कि पुराने अस्थायी मंदिर को इस तरह संरक्षित किया जाएगा कि लोग पिछले 500 वर्षों के संघर्ष और इतिहास को समझ सकें। इसके लिए पंचवटी क्षेत्र के निर्माण में प्रकृति के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी और भूमि की यथास्थिति बनाए रखी जाएगी।
जीएमआर और सीबीआरआई कर रहे अध्ययन
मिश्र ने बताया कि जीएमआर संस्था के विशेषज्ञ मास्टर प्लान पर काम कर रहे हैं, जो एक महीने में तैयार हो जाएगा। इस संबंध में सीबीआरआई (सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) के प्रतिनिधियों के साथ भी विस्तृत बातचीत हो चुकी है।
दर्शन के लिए तैयार हो रहा राम दरबार
राम दरबार में दर्शन की सुविधा के लिए ट्रस्ट द्वारा व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं। नृपेन्द्र मिश्र ने उम्मीद जताई कि एक सप्ताह से दस दिन के भीतर रामभक्तों को राम दरबार के दर्शन का सौभाग्य मिलेगा।
तीसरे तल पर बनेगा श्रीराम ग्रंथागार
उन्होंने बताया कि मंदिर का निर्माण लगभग पूर्ण हो चुका है। भूतल पर रामलला विराजमान हैं, प्रथम तल पर उनका पूरा परिवार स्थित है और तीसरे तल पर “श्रीराम ग्रंथागार” की स्थापना की जा रही है। रक्षा मंत्रालय की संस्था द्वारा मंदिर में टाइटेनियम की विशेष जाली बनाई जा रही है, जिसका भुगतान ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। साथ ही, नेशनल रॉक मैकेनिक्स की केंद्रीय निगरानी भी की जा रही है।